ऊँचाइयाँ तो शहर में भी देखने को मिलती हैं, मगर हिमालय की चोटियों में जो बात है, वो शहरी इमारतों में कहाँ।
ठंडी-बर्फीली चोटियों पर चढ़ कर हाँफते-काँपते जब चारों और निगाह डालते हो तो दिखता है ऐसा गज़ब नज़ारा, जो चित्त को स्थिर कर देता है।
खामोशी की आवाज़ इतनी साफ़ और कहाँ सुनाई देगी, जितनी साफ़ हिमालय के पहाड़ों में सुनाई देती है।
उस इंसान की हिम्मत को कौन नाप सकता है, जो नुकीले जूते पहने नाप आया कई हज़ारों मीटर ऊँचे हिमालय को।
अगर आप भी उन जांबाज़ दिलेरों में से हैं, जो मौका मिलते ही बैग उठा कर निकल जाते हैं नयी जगह ट्रेकिंग करने, तो हो सकता है आज आपको एक ऐसे ट्रेक के बारे में पता चलेगा जो हिमालय के पीर-पंजाल पर्वतों की ही एक मशहूर छोटी की और ले जाता है, जिसका नाम है फ्रेंडशिप पीक।
फ्रेंडशिप पीक
हिमालय की ये 5,289 मीटर ऊँची चोटी , हिमाचल प्रदेश राज्य के कुल्लू जिले की पीर-पिंजल पर्वत श्रंखला का हिस्सा है। इस चोटी तक पहुँचाने वाला ट्रेक व्यास कुंड से होता हुआ शिखर पर ले जाता है, जहाँ से पीर-पिंजल की और भी चोटियाँ जैसे हनुमान टिब्बा, शीतिधर, इंद्र आसन, देव टिब्बा ठीक सामने दिखती हैं।
ये ट्रेक आपको सोलंग वैली से होते हुए चीड़-देवदार के घने जंगलों में घुमाता हुआ हरे-भरे घास के मैदानों में ले आएगा, जहाँ से चोटी की चढ़ाई शुरू होती है।
फ्रेंडशिप पीक पर चढ़ने के लिए ज़रूरी नहीं कि आप अनुभवी पर्वतारोही हों। मगर हाँ, बर्फ से ढके शिखर की खड़ी चढ़ाई चढ़ने के लिए आपके पास क्रैम्पॉन और रस्सियों जैसे औज़ार होने ज़रूरी हैं। औज़ारों के साथ अपनी फिटनेस पर भी ध्यान देना होगा।
चलिए माउंट फ्रेंडशिप पीक की ओर
मनाली
सुबह मनाली पहुँचिए और पहाड़ी आबो-हवा से तालमेल बैठाने की कोशिश कीजिये।
धुंदी
मनाली- धुंदी (गाड़ी से ) -बकरथाच (21 कि.मी. की ड्राइव और 5 कि.मी. का ट्रेक)
दुसरे दिन जितना जल्दी हो सके, मनाली से निकल लीजिये। गाड़ी से सोलंग वैली होते हुए धुंदी पहुँचिए, जहाँ से कुछ ही ऊपर चढ़ाई करने पर आप बकरथाच पहुँच जाएँगे। फ्रेंडशिप पीक के लिए बकरथाच बेस कैम्प है।
धुंदी से बकरथाच जाने वाली पगडण्डी व्यास नदी के किनारे चलती है और एक जगह पर आपको लकड़ी का पुल भी पार करना होता है, जिस पर पकड़ने के लिए कोई रेलिंग नहीं बनी होती।
पगडण्डी पर चलते हुए आपको व्यास नदी की कई सहायक नदियाँ भी देखने को मिलेंगी। बकरथाच में आप कैम्प लगाएँगे।
बकरथाच
बकरथाच - फ्रेंडशिप बेस कैम्प 1 लेडी लेग (4 कि.मी. का ट्रेक)
तीसरे दिन के ट्रेक का हिस्सा बकरथाच से शुरू होगा और व्यास कुंड के ऊपर लेडी लेग नाम की कैंपसाइट तक पहुँचाएगा। ट्रेक पर चलते हुए आपको रास्ते में कई बड़ी-छोटी चट्टानों पर चढ़कर बढ़ना होगा जो उतना आसान नहीं होगा। मगर रास्ते में पड़ने वाले व्यास कुंड को देखकर तबियत तरोताज़ा हो जाएगी।
आगे डेढ़ घंटे की चढ़ाई के बाद व्यास नदी के कटाव में पहुँच जाएँगे जहाँ से नीचे देखने पर कुंड और सामने देखने पर हनुमान टिब्बा चोटी का ज़बरदस्त नज़ारा देखने को मिलेगा। कटाव से थोड़ा नीचे उतरेंगे और आज के दिन की कैंपसाइट लेडी लेग पर पहुँच जाएँगे। यहाँ बस्ते रख कर आस-पास आराम से घूमने जा सकते हैं।
बेस कैम्प - लेडी लेग एडवांस बेस कैम्प (3,840 मीटर)
सुबह 6 बजे चढ़ाई शुरू करेंगे और सुबह 11.30 तक लेडी लेग के एडवांस बेस कैम्प तक पहुँच जाएँगे। यहाँ अपने बस्ते रख कर पास ही की बर्फीली पहाड़ी पर जाएँगे और यहाँ बर्फ में क्रैम्पॉन, रस्सियाँ, आईस एक्स जैसे तकनीकी औजार काम में लेना सीखेंगे, क्योंकि अगले दिन बर्फीली चढ़ाई का कुछ भाग पूरा करना है।
आज हम बर्फ पर चढ़ाई करने की कोशिश करेंगे। पिछले कल जो कुछ सीखा था, उसी की थोड़ी प्रैक्टिस की जायेगी। दोपहर तक समिट कैम्प तक पहुँचने की कोशिश करेंगे। अगर बर्फ कम मिलती है तो आप समिट कैम्प को थोड़ा और ऊपर भी लगा सकते हैं। ऐसा करने के पीछे मकसद ये है कि हम समिट के जितना करीब आ सकते हैं, आ जाएँ।
समिट की चढ़ाई - बेस कैम्प पर वापसी
अपने स्नोबूट, गार्टर, हेलमेट, हेडलैम्प और औजार ले लीजिये, क्योंकि हम सुबह के 2 बजे घनघोर अँधेरे में ही शिखर की और चढ़ाई शुरू करने वाले है। समिट कैम्प से शिखर का रास्ता साफ़ है, मगर चढ़ाई खड़ी है। 4-5 घंटे के बाद शिखर के ठीक नीचे पहुँच जाएँगे और तब तक सुबह हो जाएगी।
इसके बाद शिखर तक की चढ़ाई एकदम खड़ी है। 2-3 घंटे और चढ़ने के बाद आप सोलो समिट तक पहुँच जाएँगे और इसके बाद 1 घंटे की चढ़ाई के बाद समिट पर पहुँच जाएँगे।
अगर सबकुछ प्लान के हिसाब से रहा तो सुबह के 10 बजे तक आप शिखर पर होंगे। इतनी मेहनत के बाद अपनी जीत का नज़ारा देखिये, मगर ज़रा संभल कर क्योंकि शिखर की चौड़ाई ज़्यादा नहीं है।
नीचे आने के लिए फिक्स्ड रोप्स की मदद लेनी होगी। शिखर से नीचे उतर कर समिट बेस कैम्प तक आएँ, फिर एडवांस बेस कैम्प तक। अगर अब भी हिम्मत बाकी है, तो एक ही दिन में शिखर से नीचे बेस कैम्प तक का रास्ता भी नाप सकते हैं।
एडवांस बेस कैम्प - बकरथाच
बकरथाच उतर कर तम्बू में आराम करें।
बकरथाच -धुंदी -मनाली
बकरथाच से धुंदी तक ट्रेक करके उतर आईये और फिर यहाँ से मनाली गाड़ी में ड्राइव करके।
मनाली कैसे पहुँचें
फ्रेंडशिप पीक पर जाने के लिए मनाली पहुँचना ज़रूरी है। मनाली के सबसे पास में कुल्लू हवाई अड्डा है, जहाँ से एक घंटे में मनाली पहुँच सकते हैं।
सड़क के रास्ते मनाली जाने के लिए दिल्ली के आईएसबीटी बस स्टैंड से वॉल्वो बस ले सकते हो। बस से मनाली जाने में 12-14 घंटे लग जाते हैं।
कुछ ज़रूरी बातें
ट्रेक कैसा है : मुश्किल
सबसे सही मौसम : जून या सितम्बर से अक्टूबर
कितना अनुभव : अगर आपने बेसिक माउंटेनेयरिंग कोर्स किया हुआ है तो बहुत ही बढ़िया, अगर नहीं किया हुआ तो भी चलेगा। मगर अच्छा होगा कि आपने हिमालय में 2-3 ट्रेक कर रखे हों। कुल 20-30 दिन का ट्रेकिंग का अनुभव है तो वारे-न्यारे।
अपनी यात्रा के दिनों में एक दिन ज़्यादा लेकर चलें, ताकि स्थिति को देखते हुए आराम से ट्रेक किया जा सके।
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