भारत में स्थित कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है। हिमालय की गोद में बसे इस घाटी की खूबसूरती ऐसी है मानो कोई जन्नत।वैसे तो यहां बहुत सी घाटियां है जो खूबसूरती में जन्नत से कम नहीं उन्ही में से एक जम्मू और कश्मीर की घाटी जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।जहां हर वर्ष लाखों देशी और विदेशी पर्यटक आते है। आज हम आपको इस खूबसूरत घाटी में स्थित एक ऐसी ही जगह के विषय में बताएंगे जिसका नाम है "पीर की गली"। नाम सुनकर आप लोग भी यही सोच रहे होंगे की ऐसी जगह में दरगाह यह मंदिर के अलावा क्या ही होगा।पर आप बिल्कुल गलत सोच रहे है वो कहते है न नाम में क्या रखा है जो यहां बिल्कुल भी सटीक बैठती है।नाम तो है पीर की गली लेकिन यहां का नजारा देख आप भी कहेंगे की यह तो कोई जन्नत है।तो आइए जानते है इस जन्नत जैसी जगह के विषय में।
पीर की गली
सबसे पहले तो आपको बता दें कि यह एक पहाड़ी दर्रा है जोकि पीर पंजाल के नाम से भी जाना जाता है।यह दर्रा समुंद्र तल से लगभग 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सबसे ऊंचे दर्रे में से एक है।यह खूबसूरत दर्रा कश्मीर घाटी के दक्षिण-पश्चिम स्थित है और यह घाटी को जम्मू क्षेत्र के राजौरी जिले और पुंछ जिले को जोड़ने का काम करती है।दूर दूर तक फैले ऊंचे पहाड़ की बर्फ से ढकी चोटियां और वसंत में रंग बिरंगे फूलों से सजे इस घाटी को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि आप किसी कैनवास पर किसी पेंटिंग को देख रहे है।
पीर की गली का ऐतिहासिक महत्व
जितना ही खूबसूरत यह स्थान है उतना ही दिलचस्प इसका इतिहास भी।कहते है की एक पीर के नाम पर इस स्थान का नाम पीर की गली पड़ा।इस स्थान का नाम शेख अहमद करीम नामक एक संत के नाम पर रखा गया था।इसी जगह पर उनकी कब्र बनी है जहां वो कभी ध्यान लगाया करते थे।वहा के स्थानीय लोगों की माने तो वे आज भी संत को जीवित मानते हैं।
किवदंतियों की माने तो 1665 में मुगल सम्राट औरंगजेब के कारवां के साथ इस स्थान का दौरा करने वाले व्यक्ति बार्नियर फ्रांसियोस ने लिखा: "संत मुगल राजा जहांगीर के समय से यह संत यहां रह रहे थे जो कई तरह की भयानक आवाजे निकाला करते थे कहते है कि वो अपनी आवाज से तूफान भी ला दिया करते थे।उन्होंने लोगो को आदेश दिया की भगवान की इस शांत जगह पर शोर ना करे वरना उन्हें भयानक परिणाम भुगतने पड़ सकते है।मुगल राजा औरंगजेब और शाहजहाँ काफी बुद्धिमान थे क्योंकि उन्होंने जहांगीर के विपरीत, भगवान के इस शांत स्थान को बहुत शांति से पार किया।जबकि जहांगीर को इसका भयानक परिणाम देखना पड़ा था।तब से लेकर आज तक जब भी लोग भारी तूफान में फंसते हैं तो उन्हें मदद के लिए बुलाया जाता है और कहा जाता है: वह हमेशा जरूरतमंदों की मदद के लिए आते हैं।
पीर की गली से दिखते है जन्नत के मनमोहक नजारे
बात अगर वहां के खूबसूरत नजारों कि की जाए तो यह किसी जन्नत से कम नहीं दिखता। सर्दियों में जब चारों तरफ ऊंचे ऊंचे पहाड़ों की बर्फ से ढकी चोटियां होती है तो ऐसा लगता है मानो किसी से सफेद रंग की चादर इस पूरी घाटी को ढक दिया है।जिसे देखकर हर कोई अपना दिल खो बैठेगा।हालांकि अधिक बर्फबारी में यहां के रास्ते बंद हो जाते है।तो आप नवंबर से जनवरी के बीच यहां की यात्रा पर जाने से बचे।
स्नो एक्टिविटी के लिए जाना जाता है पीर की गली
पीर की गली को स्नो एक्टिविटी के लिए भी जाना जाता है।जब सर्दियों में पूरी घाटी बर्फ की चादर से ढकी होती है तो यहां पर कई सारी एक्टिविटी होती है जैसे स्नो स्कीइंग और स्नो ट्रेकिंग के अलावा भी कई एक्टिविटी है जो यहां करवाई जाती है साथ ही यह स्थान ट्रेकिन के लिए भी काफी लोकप्रिय है।
कैसे पहुंचें?
पीर की गली पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले जम्मू और कश्मीर पहुंचना होगा। जम्मू पहुंचने के लिए आप हवाई जहाज, ट्रेन या बस का सहारा ले सकते है।यहां से आप श्रीनगर पहुसे श्रीनगर से पीर की गली की दूरी लगभग 28 किलोमीटर की है तो आप टैक्सी या कैब की मदद से यहां आसानी से पहुंच सकते है।
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