पहाड़ों पर जाने से पहले इन पहाड़ी बीमारियों के बारें में जरूर पढ़ लें

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Photo of पहाड़ों पर जाने से पहले इन पहाड़ी बीमारियों के बारें में जरूर पढ़ लें by Rishabh Bharawa

ऊँची ऊंचाई से संबंधित बीमारी, जिसे हाई अल्टीट्यूड सिकनेस कहा जाता है के बारे में हर उन लोगों को जानकारी होनी चाहिए जो कि किसी ज्यादा ऊँचे (12000 फ़ीट +) स्थान पर जाने की तैयारी कर रहे हो।ऊंचाई वाले स्थानों पर यह बीमारी स्थानीय लोगों को आम तौर पर अनुभव नहीं होती है, क्योंकि उनके शरीर ने उन ऊंचाइयों के हिसाब से अपने आप को ढाल लिया होता हैं। अगर आप कभी हाई अल्टीट्यूड पर जाते हैं और ऐसी बिमारी का लम्बे समय के लिए शिकार हो जाते हैं तो आपकी यात्रा तो ख़राब होती ही हैं ,साथ ही साथ ऐसे स्थानों से नफरत भी हो जाती हैं और कई बार शरीर पर कई घातक प्रभाव भी पड़ते हैं।

हाई अल्टीट्यूड सिकनेस के कुछ आम लक्षण हैं जिनमें सिरदर्द, उल्टी, थकान, अपने हाथ और पैरों के सुस्त हो जाना, गंभीर सांस लेने में परेशानी, त्वचा की नीलामी, खाँसी और नींद की कमी शामिल होती है। इन लक्षणों के अलावा, अधिक गंभीर मामलों में, पुल्मोनेरी संबंधी बीमारियां (फेफड़ों में तरलता आना) भी आ जाती हैं। कई लोग ऑक्सीजेन की कमी से नींद में ही मर जाते हैं।दिसम्बर 2022 में एवेरेस्ट बेस केम्प के दौरान जब मैं गोरक्षेप पंहुचा ,तो वहां किसी ने हमें बताया कि एक दिन पहले ही वहां एक यात्री रात को नींद में सोता ही रह गया। गोरक्षेप में मेरी लापरवाही और ओवरकॉन्फिडेंस की वजह से मैं भी HAS का शिकार हुआ था ,लेकिन यह ज्यादा गंभीर नहीं था।

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ऊँची ऊंचाई रोग के लक्षण आमतौर पर कुछ घंटे से कुछ दिनों के भीतर दिखाई देते हैं, और यह अधिक ऊँचाइयों पर जाने पर और ज्यादा गंभीर हो सकता है। इसके अलावा, यह बीमारी उन लोगों को भी प्रभावित कर सकती है जो सिर्फ थोड़ी देर के लिए ऊँची ऊंचाई पर होते हैं और तुरंत नीचे आते हैं।कई लोगों को आपने देखा होगा कि दिल्ली से सीधी लद्दाख की फ्लाइट में बैठते हैं और वहां फ्लाइट उतरते ही वे लोग बीमार पड़ जाते हैं और तुरंत फ्लाइट में वापस दिल्ली लौट आते हैं। ये इसीलिए होता हैं क्योंकि आप एक सामान्य ऊंचाई से काफी ऊँची जगह पर कुछ ही घंटों में पहुंच जाते हैं और आपका शरीर उस नए कम ऑक्सीजन वाले वातावरण को सहन नहीं कर पा रहा होता हैं।

इसके लक्षण हैं -सिरदर्द,उल्टी और दस्त,सांस लेने में कठिनाई,सीने में दबाव और सीने में दर्द,नींद की कमी,ऊँचाई से उतारने के बाद भी लक्षणों का बना रहना।

कोशिश करे कि -

1. ऊँचाई पर जाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

2. ट्रेक के दौरान धीमी गति से ऊँची ऊंचाई पर जाएँ।

3. पानी एवं तरल पदार्थ ज्यादा से ज्यादा लेवे।

4. ठंड से खुद का बचाव करे ,खाली पेट ट्रेक ना करे।

5. बेसिक मेडिकल किट हमेशा साथ रखे।

6. नींद की गोलियों से बचें।

7. एक्लिमेटाइज: ऊँची ऊंचाई पर धीरे-धीरे चढ़ते रहें, अपने शरीर को ऑक्सीजन के स्तर में होने वाली कमी से लड़ने के लिए समय दें। ट्रेक पर कोशिश करे हर 1000 से 1500 फीट (305 मीटर) चढ़ने पर, उस ऊँचाई पर एक या दो अतिरिक्त दिन बिताएं।अगर आप कभी एवेरेस्ट या किसी अन्य 21000 फ़ीट से ज्यादा ऊंचाई वाले पहाड़ से जुडी किताब पढ़ेंगे या वीडियो देखेंगे तो आप पाएंगे कि ये लोग एक निश्चित ऊंचाई पर जाने के बाद रोज थोड़ा ऊपर चढ़ते हैं और फिर वापस निचे आ जाते हैं। ऊपर जाकर ऊपर ही नहीं रहते। पहले एक दो दिन तक लगातार एक निश्चित ऊंचाई पर जाते हैं और फिर निचे आकर सोते हैं। दो तीन दिन में जब शरीर उस ऊंचाई पर ढलता हैं तो फिर वे आगे बढ़ते हैं और यही प्रक्रिया दोहराते हैं।

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आज अचानक यह बिमारी सम्बंधित टॉपिक इसलिए याद आया क्योंकि मेरे नये यूट्यूब चैनल पर चल रही विंटर एवेरेस्ट बेस केम्प सीरीज के 10 वे एपिसोड मे आप देखोगे कि हम दो दिन डिंगबोचे रुके और शरीर को ढालने के लिए प्रक्टिस ट्रेक भी किया।अगर आप घुम्मकड़ी से जुड़े वीडियो देखते हैं तो यह सीरीज आपको काफी कुछ जानकारियां देगी। चैनल का नाम हैं -rishabh bharawa vlogs

-Rishabh Bharawa