फोफसंडी: मुंबई के पास एक गांव जहां आज भी गुफाओं में रहते हैं लोग

Tripoto
13th Nov 2023
Photo of फोफसंडी: मुंबई के पास एक गांव जहां आज भी गुफाओं में रहते हैं लोग by रोशन सास्तिक

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई सभी आधुनिक सुख-सुविधाओं से संपन्न एक इंटरनेशनल शहर है। यह एक ऐसी जानकारी है जिससे हर कोई परिचित है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि मुंबई सरीखे शहर से महज 170 किमी की दूरी ही पर एक ऐसा अनोखा गांव भी अपना अस्तित्व रखता है, जहां कुछ परिवार ऐसे हैं जो कि 21वीं सदी में भी गुफा में रहते हैं। जी हां, महाराष्ट्र के अतिदुर्गम गांव की सूची में शामिल फोफसंडी गांव में आज भी कुछ परिवार ऐसे हैं जो लंबे समय से गुफा में रहकर ही अपना जीवन-बसर कर रहे हैं।

फोफसंडी गांव। इस गांव के बारे में कुछ भी जानने से पहले इस गांव के नामकरण से जुड़ी बेहद दिलचस्प कहानी जान लेते हैं। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के अकोला तालुका की सीमा में स्थित यह अति दुर्गम गांव चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है। प्रकृति के पालने में बसे गांव की इसी खूबसूरती पर मोहित होकर पोप नाम का एक अंग्रेज अधिकारी हर रविवार के दिन यहां घूमने-फिरने आया करता था। इतना भर ही नहीं तो उसने गांव में अपने ठहरने के लिए एक बसेरा तक बना लिया था। पोप नाम के अंग्रेज अधिकारी द्वारा हर संडे इस गांव में आने की वजह से गांव का नाम पोप-संडे के अपभ्रंश से फोफसंडी पड़ गया।

वैसे फोफसंडी गांव की असल यूएसपी गांव से सटे इलाके में आज भी कुछ परिवारों का अपने पालतू पशुओं के साथ गुफा के अंदर रहना नहीं है। इस गांव को तो यह बात सबसे ज्यादा खास बनाती है कि यहां महाराष्ट्र का सबसे छोटा दिन होता है। जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि चारों तरफ से ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के घिरे और उनके ठीक बीचोंबीच बसे इस गांव की भौगोलिक स्थिति कुछ ऐसी है कि सामान्य दिनों में यहां सूर्योदय एक घंटा देरी से होता है। और बात जब सुर्यास्त की आती है तो फोफसंडी गांव को सूरज भगवान एक घंटा जल्दी ही बाय बोलकर निकल जाते हैं।

फोफसंडी गांव से जुड़े इन दो रोचक पहलुओं को जीने के रोमांच का ख्याल ही मुंबई, पुणे, नासिक जैसे शहरों में रहने वाले लोगों को यहां आने के लिए प्रेरित करता है। यहां ज्यादातर लोग महाराष्ट्र में सबसे छोटे दिन का अनुभव करने और गुफा में रहने वाले लोगों से उनके जीवन का अनुभव जानने के लिए आते हैं। लेकिन इन सबके अलावा भी ऐसा बहुत कुछ बसा है इस गांव में जिसका आप बतौर पर्यटक लुत्फ़ उठा सकते हैं। अब क्योंकि यह इलाका चारों ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ है, तो आपके पास यहां आकर बढ़िया मौसम में ट्रेकिंग करने का विकल्प होता है। बारिश के दिनों में इन पहाड़ों से बहकर नीचे गिरते झरनों को भी एन्जॉय किया जा सकता है। ठंड के मौसम में यहां पड़ने वाले भयंकर कोहरे में आप दोस्तों के साथ हाइड एंड सीक खेल सकते हैं। और गर्मियों के महीने में नाइट कैम्पिंग के दौरान अलाव जलाकर आसमान में जगमगाते तारों को देखने का भी अपना अलग मजा है।

Photo of फोफसंडी: मुंबई के पास एक गांव जहां आज भी गुफाओं में रहते हैं लोग by रोशन सास्तिक

पहले ज्यादातर लोगों को सह्याद्री पहाड़ के पालन में झूला झूलते इस खूबसूरत गांव फोफसंडी के बारे में जानकारी नहीं थी। लेकिन दत्तात्रेय मुठे जैसे स्थानीय लोगों के चलते धीरे-धीरे फोफसंडी गांव भी पर्यटन की दृष्टिकोण से आसपास के शहरों में रहने वाले लोगों के बीच आकर्षण का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। अगर आप भी इस अतिआधुनिक युग में अतिआदिम तरीके से गुफा में रहने वाले लोगों को लेकर जगी अपनी ढेर सारी जिज्ञासाओं को शांत करना चाहते हैं और साथ ही सूरज देवता को किसी एक इलाके से सबसे देरी से पहुंचकर समय से पहले अस्त होते देखने का सौभाग्य अपने नाम कराना चाहते हैं, तो फिर बिना किसी देर के चले आइए फोफसंडी गांव।

यहां आने से पहले आपको दत्तात्रेय मुठे से ही संपर्क करना होगा। आप 7218327435, 8007825438 इन नंबर्स के जरिए संपर्क कर सकते हैं। क्योंकि इनके द्वारा ही यहां पर पर्यटन का ज्यादातर कारोबार किया जाता है। दत्तात्रेय मुठे फोफसंडी गांव में आने वाले पर्यटकों के रहने-खाने के साथ ही सभी अहम पॉइंट्स दिखाने का काम करते हैं। इन्होंने गांव में ही सह्याद्री दर्शन पथिकालय नाम से एक होटल खोला हुआ है। जहां सभी तरह के खाने-पीने के साथ ही ठहरने तक की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा अगर आप रात कमरे सोकर बिताने की बजाय खुले आसमान के नीचे टेंट में रहकर एन्जॉय करना चाहते हैं, तो इसका भी यहां पर पूरा इंतजाम किया गया है।

अब जब आने का मन बना लिया है, तो जान लेते हैं कि फोफसंडी गांव किस मौसम में आना है और यहां तक पहुंचना कैसे है।

देखिए अगर आप फोफसंडी की सुंदरता को 100% एन्जॉय करना चाहते हैं, तो इसके लिए आप सिंतबर-अक्टूबर का महीना चुन सकते हैं। क्योंकि इस दौरान इस इलाके की हरियाली भी बनी रहती है और झरने भी बचे रहते हैं। जुलाई-अगस्त में जब तेज बारिश हो रही होती है, तब इस इलाके का मौसम घूमने के अनुकूल नहीं होता। लेकिन इन दो महीनों में हुई जोरदार बारिश के बलबूते ही सितंबर-अक्टूबर महीने में फोफसंडी का समूचा इलाका किसी सोलह श्रृंगार की हुई दुल्हन सा खूबसूरत नजर आने लगता है। वैसे इन दो महीनों के अलावा जब तक ठंड का मौसम बना रहता है आप तब तक भी बना मन बनाकर यहां जा सकते हैं। बस गर्मियों के दिनों में यहां देखने जैसा कुछ खास नहीं होता। बाकी अगर आपकी रुचि गांव का जीवन देखने, उसे जीने और वहां के लोगों को जानने में है तो फिर आपके लिए यह जगह साल के सभी दिन जन्नत है।

रही बात कैसे जाएं, तो इस सवाल का जवाब इस बात पर निर्भर करता है कि आप रहते कहां हैं।अगर आप महाराष्ट्र से बाहर रहते हैं और फोफसंडी गांव का चक्कर लगाना चाहते हैं तो आपको अपने शहर से रेल या फिर हवाई मार्ग के जरिए सबसे पहले मुंबई या फिर पुणे एयरपोर्ट पहुंचना होगा। मुंबई में रहने वाले लोगों को ठाणे, कल्याण, मुरबाड़, मालशेज घाट होते हुए करीब 170 किमी का फासला तय कर यहां तक पहुंचना होगा। पुणे से यहां तक आने के लिए आपको चाकण, मंचर, नारायणपुर, ओतुर के रास्ते से करीब 130 की दूरी तय करनी होगी। और नासिक में रहने वाले लोग सिन्नर, अकोले होते हुए फोफसंडी तक का 100 किमी लंबा सफर तय कर सकते हैं। कहने को तो गांव तक राज्य परिवहन की बस भी जाती है लेकिन सफर को सुविधाजनक बनाने के लिए बेहतर होगा कि आप अपने निजी वाहन का ही इस्तेमाल करें।

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