माथेरान, महाबलेश्वर भूल जाएंगे... जब मॉनसून में एक बार भंडारदरा आएंगे

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Photo of माथेरान, महाबलेश्वर भूल जाएंगे... जब मॉनसून में एक बार भंडारदरा आएंगे by रोशन सास्तिक

भंडारदरा। महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे, नासिक और अहमदनगर इन चार प्रमुख शहरों के बीच ही कहीं बसा एक बेहद खूबसूरत-सा हिल स्टेशन है। सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला की गोद में बसा यह हिल स्टेशन मॉनसून के मौसम में राज्य के मोस्ट फेवरेट टूरिस्ट डेस्टिनेशन में से एक बन जाता है। और ऐसा हो भी क्यों ना। बारिश के मौसम में घूमने का शौक रखने वाले लोगों के अंदर जिन-जिन चीजों को देखने की इच्छा होती है, उन सभी फरमाइशों को अकेले पूरा करने की कूवत रखता है भंडारदरा। यहां आपको महाराष्ट्र राज्य की सबसे ऊंची चोटी से सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला के विशाल स्वरूप के दर्शन हो जाएंगे। आप अंग्रेजों के जमाने में बने और अब तक अपनी भव्यता को कायम रखने में कामयाब रहने वाले डैम को देख सकते हैं। बारिश के मौसम में यहां आपको एक से बढ़कर एक ऐसे-ऐसे झरने नजर आएंगे कि आपकी नजरों का निहाल हो जाना तय है। इतना ही नहीं, जब आप कुछ नहीं कर रहे होंगे ना , तब भी यह जगह आपको अपने अलौकिक प्राकृतिक माहौल के चलते शांति और सुकून से भर देगी।

Bhandardara

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भंडारदरा की सबसे बड़ी यूएसपी यही है कि इस हिल स्टेशन के पास यहां आने वाले अलग-अलग तरह के पर्यटकों की अलग-अलग किस्म की इच्छाओं को पूरा करने के लिए हर तरह के टूरिस्ट डेस्टिनेशन हैं। तो चलिए, अब इतना सब कुछ जानने के बाद आपके अंदर भी भंडारदरा की प्राकृतिक खूबसूरती के भंडार को आंखों में भर लेने की इच्छा जाग ही गई होगी। तो हम भंडारदरा में रहकर कम से कम 2 दिनों में अधिक से अधिक कितना कुछ और क्या-क्या एक्सप्लोर कर सकते हैं, यह भी जान लेते हैं। भंडारदरा घूमने के लिए सबसे पहले तो आपको यहां पहुंचना होगा। मुंबई, पुणे और अहमदनगर से इन तीनों ही शहरों से करीब 150 किमी और नासिक से करीब 70 किमी की दूरी पर स्थित भंडारदरा आने के लिए सबसे बढ़िया ऑप्शन तो अपने निजी वाहन के जरिए सड़क मार्ग से आना ही होगा। लेकिन अगर आप चाहें, तो अपनी सुविधानुसार भंडारदरा के सबसे निकटतम स्टेशन इगतपुरी भी उतर सकते हैं। यहां से आप बस या फिर टैक्सी के जरिए महज 35 किमी का सफर तय कर भंडारदरा पहुंच जाएंगे।

Day 1

Hotels In Bhandardara

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सबसे पहले तो आपको अपने रहने के लिए जरूरी ठिकाना ढूंढना है। ताकि फिर आप सभी गैर जरूरी सामान को ठिकाने लगाकर घूमने निकल सकें। कमरे के लिए आपके पास ढेर सारे ऑप्शन उपलब्ध होंगे। भंडारदरा में आप वंडरलस्ट रिसॉर्ट, आनंदवन रिसॉर्ट, हॉटेल अमृतेश्वर, यस रिसॉर्ट जैसे बहुत सारे ऑप्शन में से अपनी जेब और सुविधा के अनुसार किसी एक जगह ठहर सकते हैं। वैसे, इनके अलावा आप अगर चाहें तो फिर महाराष्ट्र टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन यानी MTDC के हॉटेल में भी रुक सकते हैं। यहां आप महज 1 से 2 हजार रुपए प्रति व्यक्ति खर्च कर अपने कमरे में बैठे-बैठे ही भंडारदरा डैम की भव्यता को जी-भरकर आंखों में भर सकते हैं। हां, तो अब जब आपने अपने लिए ठिकाना ढूंढ लिया है, तो फिर गरमागरम नाश्ते के साथ बगैर देर किए निकल चलते हैं आंखों को ठंडक पहुंचाने वाले अपने पहले टुरिस्ट स्पॉट की ओर।

Kalsubai Peak, Bhandardara

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देखिए, जब आस-पास देखने को बहुत कुछ हो, तो यह तय करना बेहद मुश्किल हो जाता है कि पहले क्या देखा जाए। अब अगर आप मुश्किल कामों को सबसे पहले निपटाने में यकीन रखते हैं, तो फिर महाराष्ट्र का माउंट एवरेस्ट यानी कलसुबाई शिखर पर चढ़ाई से ट्रिप की शुरुआत करना सबसे उत्तम रहेगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि कलसुबाई शिखर महाराष्ट्र स्थित सबसे ऊंची चोटी है। और यही वजह है कि करीब 5400 फीट ऊंचे कलसुबाई को महाराष्ट्र का माउंट एवरेस्ट भी कहा जाता है। इसलिए अगर आप भंडारदरा में आए हैं, तो सबसे पहले इस चोटी को फतह करने का काम कर लीजिए। इससे 2 काम एक साथ हो जाएंगे। पहला आप महाराष्ट्र की सबसे ऊंची चोटी फतह करने का कारनामा कर लेंगे और इसके साथ ही आपको पूरे भंडारदरा का 360 व्यू भी देखने को मिल जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कलसुबाई पर चढ़ाई कोई ज्यादा मुश्किल काम नहीं है। बशर्तें व्यक्ति 1646 मीटर चढ़ाई करने लायक स्टैमिना रखता हो। अगर इतनी जान है तो जान लीजिए कि आप 3-4 घंटों में शून्य से शिखर तक का सफर तय कर लेंगे।

Kalsubai Peak, Bhandardara

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सुबह 9 बजे से अगर कलसुबाई के लिए ट्रेकिंग शुरू कर दी जाए, तो फिर आप आराम से दोपहर 12 बजे तक चोटी तक पहुंच जाएंगे। चोटी पर पहुंचकर पहले तो आप अपनी जीत का जश्न मनाइए। फिर देर तक दूर तक भंडारदरा की खूबसूरती को जी-भरकर देखते रहिए। इसके बाद जब मन भर जाए तो पेट में खाली हुई जगह को भरने के बाद पहाड़ से नीचे उतरने का काम शुरू कर दीजिए। और ऐसा करते वक्त आपको खुशी और गम दोनों का एहसास एकसाथ होगा। खुशी इस बात की कि इतनी खूबसूरत जगह आने का मौका मिला और गम इस बात का कि इस जगह को इतनी जल्दी अलविदा कहना पड़ रहा है। खैर, पहाड़ से उतरने के बाद अपने अंदर दोबारा ऊर्जा का संचार करने के आपके पास दो ऑप्शन होंगे। पहला तो आप वापस अपने हॉटेल जाकर बिस्तर पर लुढ़क जाएं या फिर चाहे तो भंडारदरा डैम की भव्यता को देखते हुए भी अपनी सारी थकावट मिटा सकते हैं। अब आप खुद तय कीजिए कि ऐसी जगह पर आकर आप सोने जैसी बेवकूफी करना चाहेंगे या फिर ज्यादा से ज्यादा एक्सप्लोर करने वाली समझदारी को चुनेंगे।

Bhandardara Dam

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देखिए, इसमें कोई दोराय नहीं कि प्राकृतिक खूबसूरती का अपना कोई दूसरा जोड़ नहीं होता। लेकिन, इसका ये मतलब तो कतई नहीं कि हम इंसानों से भी कभी कोई देखने लायक चीज बनी ही नहीं। मेरी इस बात का सबूत है अपने अंदर अथाह जलराशि समेटे अंग्रेजों के जमाने से खड़ा भंडारदरा डैम। मॉनसून के मौसम में जब डैम झमाझम बारिश के चलते पानी से लबालब भर जाता है, तब इसकी भव्यता और खूबसूरती देखते ही बनती है। इसलिए कह रहा हूँ कि कलसुबाई से उतरकर हॉटेल जाने की बजाय जमीन से करीब 150 मीटर की ऊंचाई पर बने भंडारदरा डैम को देखकर थकान मिटाने का आइडिया ज्यादा समझदारी भरा है। पहले दिन इतना सब कुछ एक्सप्लोर करने के बाद मजा तो बेशक बहुत आएगा। लेकिन फिर भूख भी उतनी ही ज्यादा लगेगी। आपको बता दें कि आपकी पेट पूजा के लिए भी भंडारदरा में पूरी व्यवस्था है। यहां का स्वादिष्ट स्थानीय खाना खाकर ना सिर्फ आपकी आत्मा तृप्त हो जाएगी बल्कि अगले दिन के लिए जरूरी ऊर्जा के सप्लाई का भी बंदोबस्त हो जाएगा।

Day 2

Umbrella Waterfall, Bhandardara

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सुबह सूरज के उठने से पहले अगर आप उठ गए, तो फिर आपके हिस्से ऐसा कोहरा आएगा कि आपको अपने नजदीक की चीजें तक देखने में दिक्कत आने लग जाएगी। लेकिन, सच कहूं तो यही वो वक्त होता है जब आपका दिलोदिमाग आपके अतीत से खाली हो जाएगा और भंडारदरा की वाइब से भर जाएगा। खैर, सुबह की चहलकदमी के बाद आपको पहले पेट पूजा करनी है और फिर निकल जाना है दूसरे दिन के पहले डेस्टिनेशन यानी अम्ब्रेला वाटरफॉल की तरफ। अपने हॉटेल से कुछ ही दूरी तय करने के बाद हम पहुंच जाएंगे अम्ब्रेला वाटरफॉल। भंडारदरा डैम से छोड़े गए पानी से निर्मित इस झरने को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ता है। जब कोई नदी ऊपर से नीचे गिरते वक्त झरने में तब्दील होती है, तब उसकी खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। और ठीक ऐसा ही कुछ अंब्रेला फॉल्स के मामले में भी होता है। भंडारदरा डैम जब प्रवर नदी के पानी से एकदम भर जाता है, तब डैम से छोड़ा गया पानी थोड़ी दूर जाकर ही चट्टानों से टकराते हुए कुछ ऐसे गिरता है कि मानों बारिश से बचने के लिए किसी ने अपनी सफेद छतरी खोल दी हो। छतरी के आकार वाले इस अनूठे वाटरफॉल आनंद भोगना हो तो इस मॉनसून भंडारदरा जरूर आइएगा।

Randha Waterfall, Bhandardara

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अंब्रेला फॉल्स देखने के बाद जैसे ही आपको यह भ्रम हो कि इससे खूबसूरत दूसरा कोई और झरना क्या ही देखने मिलेगा... तो इससे बाहर निकलने के लिए आप अपने सफर को राँधा फॉल्स की तरफ मोड़ सकते हैं। भंडारदरा डैम से निकलकर करीब 10 किमी लंबा सफर तय करने के बाद प्रवर नदी का पानी जब बहते-बहते अचानक ही करीब 170 फीट नीचे गिरता है, तब जाकर राँधा फॉल्स का जन्म होता है। और इस वक्त इस जगह का नजारा कुछ ऐसा होता है कि लोग पहले निहाल कर देने वाले नजारों को मन भरकर नजरों से निहारते हैं और फिर भी मन भर जाने के बाद कैमरे में कैद कर अपने साथ घर भी ले जाते हैं। भंडारदरा इलाके के सबसे पसंदीदा इन दोनों झरनों को देखने में ही दोपहर हो जाएगी। इसके बाद आपको अपने अगले पड़ाव की ओर निकल जाना है। और आपका अगला पड़ाव होगा करीब 1200 साल पुराना प्राचीन शिव मंदिर अमृतेश्वर।

Amruteshwer Temple, Bhandardara

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राँधा वाटरफॉल से अमृतेश्वर मंदिर तक करीब 25 किमी लंबा सफर है। लेकिन यही 25 किमी का सफर इस ट्रिप के सबसे खूबसूरत समय में तब्दील हो जाएगा। क्योंकि इस दौरान आपकी गाड़ी जिस सड़क पर सरपट दौड़ रही होगी, उसके एक तरफ भंडारदरा डैम में लगातार बह रही अथाह जलराशि होगी। और दूसरी तरफ होंगे सदियों से अपनी जगह ठहरकर आसमान से गुफ्तगू करते पहाड़। इतना ही नहीं तो पूरा रास्ता आप इन पहाड़ों से गिरते अनगिनत झरनों को देखते-देखते कब काट देंगे, आपको भनक तक नहीं लगेगी।

Necklase Waterfall, Bhandardara

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अमृतेश्वर मंदिर पहुंचने से पहले रास्ते में आपकी मुलाकात नेकलेस वाटरफॉल और न्हाणी वाटरफॉल से होगी। ये दोनों वाटरफॉल इतने ज्यादा दिलकश हैं कि आप इनके साथ समय बिताए बिना आगे बढ़ ही नहीं सकते। एक ही दिन में इतनी ज्यादा प्राकृतिक खूबसूरती देखने के बाद इसे बनाने वाले भगवान जी के प्रति कृतज्ञता के भाव के साथ उनके दर्शन करने का अपना अलग मजा है। करीब 9वीं सदी में अस्तित्व में आए इस प्राचीन शिव मंदिर के प्रांगण का माहौल ही कुछ ऐसा है कि यहां आकर आप आत्मिक स्तर पर खुद को भोलेनाथ के बेहद करीब महसूस करने लग जाते हैं।

Arthur Lake, Bhandardara

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अब इसी स्थान पर भगवान शिव की पूजा करने के बाद हम अपनी पेट पूजा भी कर लेंगे। और दोपहर खत्म होने से पहले अमृतेश्वर मंदिर से आर्थर झील की ओर प्रस्थान कर देंगे। ताकि शाम होने से पहले अगस्त ऋषि की तपस्थली तक पहुंच जाएं। जी हां, धार्मिक मान्यता के अनुसार इसी इलाके में अगस्त ऋषि ने रावण का वध करने के लिए भगवान राम को तीर दिया था। वैसे इस झील तक जल्द से जल्द पहुंचने का मकसद यह है कि यहां जाकर हम वॉटर स्पोर्ट्स का लुत्फ उठा सकते हैं। प्रवरा नदी के पानी से बना आर्थर झील भंडारदरा डैम के जलाशय के रूप में काम करता है। यहां आकर आप नौकायन, कायाकिंग, स्विमिंग और फिशिंग जैसी एडवेंचरस एक्टिविटी एन्जॉय कर सकते हैं।

Arthur Lake, Bhandardara

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देर शाम तक इस झील के एक छोर से दूसरे छोर और फिर चारों ओर बस नजर घुमाते रहने में भी इतना ज्यादा सुख और सुकून है कि आप बाकी कुछ ना भी करें, तो भी समय बहुत शानदार तरीके से कट जाएगा। झील के किनारे या फिर झील में नौकायन करते हुए धीरे-धीरे दिन के आखिरी पहर को गुजरते हुए देखना भी एकदम अद्भुत और अविस्मरणीय एहसास होता है। अब जब रात हो जाए और आपका मन भर जाए, तब आप भारी मन के साथ आर्थर झील से अपने हॉटेल पर लौट इस दो दिन के सफर को समेट सकते हैं। हालांकि यहां से चले जाने के बाद भी भंडारदरा आपके अंदर से कभी नहीं जाएगा।

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