कल्पना कीजिये एक ऐसे शहर कि जहाँ हमने सभी काले डामर की सड़कें उखाड़ कर दूर-दूर तक सफ़ेद मखमली रेत बिछा दी हो, इस शहर से सारी ऊँची-ऊँची इमारतें हटाकर सुन्दर तम्बू बिछा दिए हैं। तम्बू भी ऐसे ख़ास, जिनमें आरामदेह गद्दे बिछे हैं और एयर कंडीशनिंग लगा है। हम नज़रें घुमाकर जहाँ भी देखते हैं, अलग-अलग देशों से आए हुए हमारे जैसे ही साथी हँसते-मुस्कुराते तम्बुओं के इस शहर में घूमते दिखते हैं। कोई साथी पैराशूट बांधे पैरासैलिंग में लगा है, तो कोई कमर में रस्सी डाले रॉक क्लाइम्बिंग में जुटा है। हमारे जैसे संगीत प्रेमी इस शहर के जाने माने कलाकारों के साथ बैठे लोकगीतों का आनंद ले रहे हैं।
तम्बुओं से पटा ये शहर रेगिस्तान में हर साल सिर्फ 100 दिनों के लिए बसाया जाता है। चलिए अब कल्पना से बाहर आइए क्योंकि ये सब कोई सपना नहीं बल्कि गुजरात के कच्छ या रण उत्सव की एक झलक है!
क्या है रण उत्सव?
100 दिनों तक चलने वाली इस मस्ती, इस उत्सव को को ही रण उत्सव कहते हैं, जिसे गुजरात सरकार हर साल कच्छ जिले के धोरदो गाँव में रन रेगिस्तान की सफ़ेद रेत पर आयोजित करवाती है।
रण उत्सव को समझने के लिए हम पहले कच्छ जिले और रण रेगिस्तान को समझते हैं। कच्छ सिर्फ गुजरात का ही नहीं, बल्कि पूरे भारत का सबसे बड़ा जिला है। क्षेत्रफल के अलावा सांस्कृतिक रूप से भी कच्छ काफी बड़ा है।
गुजरात के इस कच्छ जिले ने भारत को कई बहुमूल्य रत्न भी दिए, जैसे जाने-आने व्यापारी अज़ीम प्रेमजी और मशहूर गायक सलीम मर्चेंट।
किसी समय अरब सागर की लहरें कच्छ जिले तक आती थी। फिर समुद्र पीछे हट गया और आगे रह गया सफ़ेद रेतीला रेगिस्तान, जहाँ की रेत में आज भी समुद्र का नमक घुला है। पूर्णिमा की रात रौशनी में जगमगाती सफ़ेद रेत पर चलते हुए लगता है जैसे चाँद पर कदम रख रहे हों।
रण उत्सव की तारीख
रण उत्सव 28 अक्टूबर 2019 से 23 फरवरी 2020 तक मनाया जाएगा, जिसके लिए तम्बुओं की बुकिंग अक्टूबर से ही शुरू हो गयी है।
फेस्टिवल के दौरान आप कच्छ के रण रेगिस्तान में लगाए सैकड़ों आलिशान तम्बुओं में रहते हैं। कीमत ₹5500 प्रति रात से शुरू है। जो एक्टिविटी अच्छी लगती है, उसके पैसे दीजिये और मज़े लीजिये।
कच्छ आएँ तो क्या देखें?
कच्छी हस्तकला : कच्छी जनजाति को बंधेज के काम के लिए जाना जाता है। कपड़े पर ब्लॉक प्रिंटिंग करना भी इनकी खासियत है। इसके अलावा ये मिट्टी, धातु और लकड़ी के हस्तशिल्पकारी के सामान भी बड़े अच्छे बनाते हैं।
कच्छ वन्यजीव अभयारण्य : यहाँ नमकीन पानी के दलदलों में कई दुर्लभ पक्षी विचरते हैं और सूने सफ़ेद रेगिस्तान में भारत के लुप्तप्राय जंगली जानवर जैसे घुडखर, काला हिरन, नीलगाय, चिंकारा, भेड़िया, रेगिस्तानी लोमड़ी, सियार जंगली बिल्ली और लकड़बग्घे भी देखने को मिल सकते हैं।
भुज के महल : रण उत्सव आने के लिए आपको भुज आना होता है। यहाँ आपको राजस्थान के बलुए पत्थर से बने बड़े-बड़े महल दिखेंगे, जैसे प्राग महल और आईना महल, जिनकी खासियत है इनकी इतावली गोथिक शैली की वास्तुकला।
मांडवी के समुद्रतट : अगर सफ़ेद रेतीले रेगिस्तान से मन भर जाए तो सिर्फ 140 कि.मी. दूर मांडवी का समुद्रतट है, जहाँ आप अरब सागर की लहरें देखते हैं।
धोलावीरा का इतिहास : भारत की सबसे पहली सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष गुजरात के धोलवीरा में भी देखे जा सकते हैं। धोरदो से 280 किमी. दूर धोलावीरा में आपको सिंध नदी के किनारे बसी सिंधु घाटी सभ्यता को करीब से देखने का मौका मिलता है।
कैसे करें रण उत्सव यात्रा की प्लानिंग
रण उत्सव में शामिल होने के लिए आप पहले अपना टेंट बुक करवा लीजिये। बुकिंग आप यहाँ और यहाँ क्लिक करके कर सकते हैं। इन ट्रैवल कंपनियों का उल्लेख गुजरात सरकार ने अपनी टूरिज्म वेबसाइट पर भी किया है।
फिर अगला कदम होगा यहाँ तक पहुँचने का। धोरदो में लगने वाले रण उत्सव 2019-20 में शामिल होने के लिए पहले आप भुज पहुँचते हैं। भुज में रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा दोनों हैं। यहाँ से धोरदो आने के लिए आपको बस, टैक्सी सब मिल जाता है।
तो पहले दोस्तों को बुला लो, फिर टेंट बुक करवा लो, और फिर रेल या फ्लाइट की टिकट कटवा कर आ जाओ रन उत्सव में। आपका रन उत्सव ज़बरदस्त हो, यही कामना करते हैं |