अरूणाचल प्रदेश के सबसे प्राचीन शहरों में से एक, ज़िरो एक छोटा सा हिल स्टेशन है जो धान के खेतों से घिरा रहता है और चीड़ के सुन्दर पेड़ों के बीच स्थित है। पूरे क्षेत्र में फैले घने जंगल ही आदिवासी लोगों के घर हैं। यह छोटा सा सुन्दर शहर समुद्र तल से 1500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह स्थान पौधों और जन्तुओं के मामले धनी है तथा इसकी विविधता ही इसे प्रकृति प्रमियों के लिये आदर्श स्थान बनाती है।
यहाँ के अपाटनी आदिवासी लोग प्रकृति की भगवान के रूप में पूजा करते हैं और खेती के अलावा हस्तशिल्प तथा हैन्डलूम उत्पादों को बनाकर अपना जीवनयापन करते हैं। अन्य आदिवासी लोगों से अलग अपा टनी लोग खानाबदोश नहीं होते हैं। वे जाइरो क्षेत्र के स्थाई निवासी हैं।
ज़िरो तथा इसके आस-पास के पर्यटक स्थल
ज़िरो के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में हरी-भरी शाँन्त टैली घाटी, ज़िरो पुटु, तरीन मछली केन्द्र, कर्दो में स्थित ऊँचा शिवलिंग शामिल हैं। अपाटनी द्वारा मनाये जाने वाले कई पर्व हैं जिनमें मार्च में मनाया जाने वाला म्योको त्यौहार, जनवरी में मनाया जाने वाला मुरुंग त्यौहार और जुलाई का द्री त्यौहार प्रमुख हैं।
ज़िरो का मौसम
ज़िरो की जलवायु मौसम के अनुसार बदलती रहती है। पर्यटक साल भर ज़िरो आते हैं। जलवायु स्थान के भूभाग तथा उसकी स्थिति पर निर्भर करता है। अक्टूबर तथा नवम्बर के महीने मौसम के बदलाव के महीने होते हैं। हलाँकि सर्दियों को छोड़कर सालभर आर्द्रता अधिक पाई जाती है।
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कैसे पहुँचें
ज़िरो पहुँचने के लिए आपको पहले अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर पहुँचना होगा। यहाँ से आप टैक्सी या शेयर्ड टैक्सी ले कर क़रीब 5 घंटे में पहुँच सकते हैं।