
पढ़ लिख कर कुछ करने की चाह लेकर जो लोग अपने गाँव से मीलों दूर निकल गए, खास उनके लिए आज की ट्रिप।
शायद मेरी तरह किसी औरों की भी यादें ताज़ा हो जाएँ, और कुछ पल के लिए वो सब भी अपने बचपन मे खो जाएँ।


सुबह सुबह की ताज़ी हवा और ये लहराते खेत देखे शायद आपको ज़माना हो गया होगा, कुछ लोगों की ज़िन्दगी तो इतनी व्यस्त है कि उनके पास पीछे पलट के देखने की भी फुर्सत नहीं।

ये खिलखिलाता बचपन, ये एक बार फिर हमें बच्चा बनने पर मजबूर कर देगा। गाँव में ऐसे बच्चों को खेलते देखा तो याद आया की हम भी इन्हीं में से एक थे।


ये देखिये सुबह की मीठी ठंड और इस बच्चे का ऐसे घुस के सोना, और आँख खुलते ही मोहल्ले का डॉन बन जाना.. क्या आपने ऐसा डॉन देखा था कभी?




गन्ने के खेत, ट्यूबबेल का पानी, घूंघट से झांकती और पल्लू में से गन्ना खाती भाभी... ऐसे ही कुछ नज़ारे हुआ करते थे हमारे भी बचपन में।
मेरी समझ से साल का एक दिन निकाल के हर इंसान को वहाँ ज़रूर जाना चाहिए जहाँ उसका बचपन बीता है।