Day 1
पांच साल हो गए है ,इस शहर से रूबरू हुए ,लेकिन अक्सर सोचती थी ,इस शहर के बारे में लिखू ,लेकिन क्या लिखू , यह शहर तो खुद में ही विशेष है "अमार सोनार कलकत्ता" | इस शहर में अक्सर मैंने लोगो के हुज़ूम को देखा है उनमे कभी हिम्मत ना हारने वाला जज़्बा ,वह पुरानी इम्मारते जो की प्राचीनता को दर्शाता और सभ्यता को , यही ख़ास बात है जो की इस भाग दौड़ भरी दूनिया में भी जोड़े हुए है | वह पूजो के मौसम में पुरे शहर का पुजो पूजो गन्धो होना।क्रिसमस की दिनों में पार्क स्ट्रीट की दुल्हन की तरह सजना ,काली घाट की खूबसूरती और वह येलो टैक्सी का सफर।पिछले 5 सालो से इस सफ़र के बिच मैंने भी एक सफर तय किया है ,डरी सेहमी लड़की से मेरे आत्मविश्वसी होने तक|
नीतिका