सर्दियों में लगने वाली इटावा नुमाइश की शुरुआत सन 1888 ई० में हुई थी। इसकी शुरुआत एक छोटे से मेले के रूप में तत्कालीन जिलाधिकारी एच.जी. अलेक्जेंडर के द्वारा हुई।

कहा जाता है कि यह नुमाइश पहले शहर में स्थित पक्का तालाब पर लगती थी। पहले यह नुमाइश केवल एक सप्ताह तक ही लगती थी। हर वर्ष लगने वाली यह नुमाइश कुछ कारणों से सन 1892 ई० में बंद हो गयी थी। उसके बाद इसकी पुनः शुरुआत सन 1910 ई० में हुई। सन 1911 ई० में यह नुमाइश पक्का तालाब से हटकर वर्तमान स्थल पर लगने लगी। इस नुमाइश में पशु मेले का आयोजन भी होता है। यहाँ हस्तशिल्प प्रदर्शनी के साथ कई अन्य तरह की प्रदर्शनियां भी लगती हैं। साथ ही साथ सांस्कृतिक व रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है।



अगर आप कभी सर्दियों में इटावा आएं तो इस नुमाइश को जरूर देखने जाएं।