मैं ईश्क कहूँ, तू बनारस समझे…” मैं गंगा सी निर्मल, बहती निरंतर तू पत्थर वो अस्सी घाट का, मैं शीतल

Tripoto
22nd Sep 2020
Day 2

एक बार कार्तिक को जयपुर से रांची के रोड ट्रिप के दौरान मौका लगा बनारस जाने का। मगर समय की कमी थी तो रात को अस्सी घाट के निकट एक  होटल में विश्राम कर अगले दिन रांची के लिए निकलना था । परंतु सुबह उठ कर बनारस का प्रसिद्ध अस्सी घाट जहां हजारों लोग आते हैं, के सैर पर चला गया। उसने फ़ोटो तो बहुत सारी ली पर इस फोटो में उसने एक बात देखी। इस फोटो में कुछ आम लोग दिख रहे हैं जो बस सीधा सादा जीवन व्यतीत करते हैं । ये वही लोग हैं जो सुबह सुबह सैर पर निकलते है। घर लौटते समय पूजा के फूल ले कर आते है। ये लोग फलों और सब्जियों के छिलके को कूड़ेदान में नहीं फेकने देते है और डांट कर बोलते हैं कि यहां क्यों फेका यहां यह तो गाय को देनी थी । काम पर जाते हुए गाय को रोटी भी दे कर जाते हैं। हर त्योहार और सार्वजनिक अवसर पर धन और कार सेवा करते हैं । लड़ाई होने पर बीच बचाव करते हैं। ट्रैफिक जाम होने पर ट्रैफिक संभालने लगते हैं । मगर अब ये प्रजाति कम होती जा रही है और आधुनिकता की दौड़ के पीछे ये शायद विलुप्त भी हो सकती है।
आधुनिकता मुबारक हो।।।।।।।।

क्या आपको पता है कि अस्सी घाट में ही संत श्री तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना की थी ?

Photo of Assi Ghat(अस्सी घाट), VARANASI by Avinash Kumar
Photo of Assi Ghat(अस्सी घाट), VARANASI by Avinash Kumar

सनातन धर्म के अनुसार माँ दुर्गा जब शुम्भ निशुम्भ नाम के दो दानवों का वध कर रही थी तो उनकी तलवार के वार से इस जगह पर एक जल श्रोत फूट पड़ा था जिससे अस्सी नदी निकली है और ये अस्सी घाट में ही माँ गंगा में मिल जाती है।

Photo of मैं ईश्क कहूँ, तू बनारस समझे…”
मैं गंगा सी निर्मल, बहती निरंतर
तू पत्थर वो अस्सी घाट का,
मैं शीतल by Avinash Kumar

एक बात जो कार्तिक को पता नहीं थी वह ये की वाराणसी का नाम दो नदियों 'वरूण' व 'अस्सी' के संगम से बना है

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मैं गंगा सी निर्मल, बहती निरंतर
तू पत्थर वो अस्सी घाट का,
मैं शीतल by Avinash Kumar

यद्यपि बनारस शहर शोरगुल और भीड़ भाड़ वाला शहर है पर अस्सी घाट में आपको एक अलौकिक शांति मिलेगी

ईश्वर की आराधना एवं आध्यात्म में लीन सनातन धर्मावलंबी

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मैं गंगा सी निर्मल, बहती निरंतर
तू पत्थर वो अस्सी घाट का,
मैं शीतल by Avinash Kumar

घाट का दृश्य

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मैं गंगा सी निर्मल, बहती निरंतर
तू पत्थर वो अस्सी घाट का,
मैं शीतल by Avinash Kumar

अस्सी घाट में नाव खेते नाविक

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मैं गंगा सी निर्मल, बहती निरंतर
तू पत्थर वो अस्सी घाट का,
मैं शीतल by Avinash Kumar

अब कार्तिक भी इस आध्यात्मिक का साक्षी बन चुका था। लगभग दो घंटे अस्सी घाट में व्यतीत कर वह भी इस पौराणिक घाट की भक्ति में लीन हो चुका था।
अस्सी घाट का भरपूर आनंद ले चुका था कार्तिक और उसे अब रांची के लिए प्रस्थान करना था।
रास्ते में प्रयागराज भी पड़ता था इसलिए उसे अपनी यात्रा को जारी रखना था जिससे समय रहते वो संगम स्नान भी कर सके।
अतः बनारस को प्रणाम कर वह अपनी यात्रा के अगले पड़ाव के लिए निकल पड़ा।

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