आमेर के सामने वाली दीवार #PerfectDay

Tripoto
23rd Sep 2020
Photo of आमेर के सामने वाली दीवार #PerfectDay by Manoj Meena
Day 1

ये ट्रिप किसी और जगह जाने की नहीं थी, ये ट्रिप थी मेरे अपने शहर को खोजने की। आप लोगों ने जयपुर का नाम तो सुना ही होगा और जयपुर का नाम आते ही जेहन में आमेर महल की तस्वीर उभर आती है लेकिन ये ट्रिप वहां की नहीं बल्कि आमेर महल के सामने की तरफ, सड़क के उस पार  पहाड़ी पर बनी दीवार पर जाने की है जो आमेर महल की सुरक्षा के लिए बनाई गई थी। बड़ी वीरान सी  है ये पहाड़ी, केवल कुछ बुर्ज हैं इस पर और कुछ नहीं, मगर सुना है कि वहां से नजारा बड़ा अच्छा आता है।

Photo of आमेर के सामने वाली दीवार #PerfectDay by Manoj Meena

तो इस जगह को देखने की तमन्ना हुई, मैने सभी मित्रो के सामने वहां जाने का प्रस्ताव रखा और खुली बाहों से स्वागत हुआ इस विचार का। तीन मोटरसाइकिलो पर हम छः लोग निकले और गुलाबीनगरी की गलियों को चीरते हुए, सर्पनुमा सड़कों से होते हुए जा पहुँचे आमेर महल के सामने।

Photo of आमेर के सामने वाली दीवार #PerfectDay by Manoj Meena

अब किसी को रास्ता पता नहीं है कि शुरुआत कहाँ से करें तो जरूरी सामान जिसमे सबसे जरूरी धूम्रपान डंडिका और पानी खरीदने के साथ ही स्थानीय दुकानदार से रास्ते के बारे में पता किया और हम चल पड़े अपनी मंज़िल की ओर। ये सीढिया असामान्य रूप से ऊंची थी, बीस सीढिया ही चढ़ी होंगी के सालों से किये धूम्रपान ने अपना असर दिखाना शुरु किया और सबकी सांस फूलने लगी तो आगे वाले चबूतरे पे आराम करने का निश्चय किया और आगे बढ़े। जैसे ही वहां आराम करने के लिए पीछे मुड़कर सीढ़ियों पर बैठे तो सबकी नजरें जैसे ठहर सी गयी ,सामने आमेर महल था और मावठे में उसकी परछाई। आमेर महल तो कई बार देखा था पर इस नज़र से नहीं, महल की खूबसूरती चार गुना बढ़ गयी थी यहां से।

Photo of आमेर के सामने वाली दीवार #PerfectDay by Manoj Meena

ये दृश्य देखकर सबमे नई ऊर्जा का संचार हुआ और सोचा कि अब ऊपर पहुचकर ही रुकेंगे। लेकिन सबके सब 20 सीढिया और चढ़ने के बाद फिर पस्त तो इस बार मैंने सबको रोका और सुट्टा लगाया ,10 मिनट विश्राम करने के बाद फिर से सब चल पड़े पहाड़ चढ़ने।

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इसी क्रम में लगभग 5 बार रुकने के बाद मैंने खुद को ऐसी जगह पाया जहां सीढिया खत्म हो गयी थी अब मैं सांस ले रहा था यहाँ हवा का वेग इतना था कि 2 मिनट में ही सारे पसीने सुख गए पीछे मुड़कर देखा तो मैं हतप्रभ था , नज़ारा ऐसा था कि सूर्य लगभग अस्त होने के कगार पर था और उसकी किरणे आमेर महल की खूबसूरती में चार चांद लगा रही थी। आसमान में लालिमा छायी थी महल का पीला रंग मावठे के नीले पानी मे अलग ही दमक रहा था।

Photo of आमेर के सामने वाली दीवार #PerfectDay by Manoj Meena

कुछ देर तक सब तेज चलती हवा के साथ इस नज़ारे को देखते रहे फिर थोड़ी दूर एक बुर्ज दिखाई दिया तो सब उसी ओर चल पड़े वहाँ हवा भी ज्यादा तेज थी सब पैर लटका कर वहीं बैठ गए और महल को देखने लगे।

Photo of आमेर के सामने वाली दीवार #PerfectDay by Manoj Meena

अब अंधेरा होने लगा था और आमेर के घरों में जलते बल्ब तारों समान टिमटिमाते प्रतीत हो रहे थे ,ठंड बढ़ने लगी थी तो अलाव जला लिया और इस नज़ारे के साथ सब आग सेकने लगे।

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अचानक से ही महल पर लाइट एंड साउंड शो सुरु हो गया और महल रंगबिरंगी लाइटों में दुल्हन की तरह सजा सा लगने लगा हम सब बस महल को देख रहे थे कोई भी एक पल के लिए भी नज़रे हटाना नहीं चाहता था।

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खैर हमने वहीं 2 घण्टे और बिताये दोस्तों की हंसी मजाक में पता ही नहीं चला कब रात के 11 बज गए थे तो वापस घर जाने का निश्चय करके नीचे उतरने लगे।   नीचे आते समय सबके मन मे यही चल रहा था कि यहाँ वापस आएंगे, चढ़ाई तो प्राणघातक है लेकिन जो मनभावन नजारा देखने को मिलता है वो संजीवनी सा असर करता है।

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