
सलाम नमस्ते केम छू दोस्तों 🙏
आज मैं आपको एक ऐसे डिस्टिंक्शन पे ले चलता हूं जहां जा के मुझे मज़ा तो बहुत आया पर जब मुझे यहां की खासियत के बारे में पता चला तो मैं मंध मुग्ध हो गया।
एक बार की बात हैं जब मैं रिवर राफ्टिंग के लिए ऋषिकेश आया था तो पानी का लेवल बढ़ने से हमें अपना प्लान कैंसल करना पड़ा था।उस वक्त ही हमने अपना बैग पैक किया और ऋषकेश से सीधे देहरादून निकल गए। अरे सरकार मेरे ऐसा करने को आप गलत मत समझिएगा "मुसाफ़िर हूं साहब आवारा नहीं"।



देहरादून पहुंचते ही हमने होटल लिया और पूरी रात गूगल बाबा से देहरादून के बारे में जानकारी लेते रहे फिर हमें सहस्त्रधारा के बारे में पता चला इसके बारे में पढ़ते ही हमने सोचा सबसे पहले हम यहां ही जायेंगे।चलिए पहले आपको यहां के भौगौलिक जानकारी देते हैं फिर अपनी यात्रा के बारे में बताएंगे।

सहस्त्रधारा देहरादून से आगे पहाड़ों में घने जंगलों के बीच स्थित है। देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी व उत्तरी भारत के पश्चिमोत्तर उत्तरांचल राज्य में स्थित देहरादून से सहस्त्रधारा 11-12 किलोमीटर दूर है। यह एक पिकनिक स्पॉट है लेकिन यहाँ का मुख्य आकर्षण वे ग़ुफाएँ हैं जिनमें लगातार पानी टपकता रहता है। यह पानी गंधक युक्त होता है, जिसके उपयोग से चमड़ी के दर्द ठीक हो सकते हैं। पहाड़ी से गिरते हुए जल को प्राकृतिक तरीक़े से ही संचित किया गया है। थोड़ी दूर पहाड़ी पर आगे चलने पर पहाड़ी के अन्दर प्राकृतिक रूप से तराशी हुई कई छोटी छोटी ग़ुफा है जो बाहर से तो स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती किंतु इन ग़ुफा में जब प्रवेश करते है तो उनकी छत अविरत रिमज़िम हलकी बारिश की बौछारों की तरह टपकती रहती है। यहाँ स्थित धाराओं के अनेक समूहों को सहस्त्रधारा के नाम से जाना जाता है। गर्मियों में तपिश से बचने के लिए हर साल सैंकडों की संख्या में लोग यहाँ आते हैं। यह स्थान प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के प्रिय स्थानों में भी रहा है।

सहस्त्रधारा देहरादून के मुख्य पर्यटन स्थलों में से है। यहाँ बलदी नदी और गुफ़ाएँ मनोहारी दृश्यों के लिए विख्यात हैं। यहाँ औषधीय गुणों वाला झरना भी बहता है। मान्यता है कि यहाँ स्नान करने से विभिन्न प्रकार के चर्म रोग दूर हो जाते हैं। यहाँ कई माता पिता अपने पोलियो ग्रस्त बच्चों को गंधक के पानी में नहलाते हुए नज़र आते हैं। वर्तमान में यहाँ सबसे आकर्षण का केन्द्र यहाँ का रोप वे है। जिसे मणिदीप के नाम से जाना जाता है। मुख्य सहस्त्रधारा से लगभग तीन हज़ार मीटर की ऊँचाई पर स्थित मणिदीप को जाने के लिए रोप वे का निर्माण किया गया है। इस मणिदीप पर बड़ों व बच्चों के लिए मनोरंजन के कई साधन मौजूद हैं।


ये तो हुआ भौगौलिक किसा अब आते हैं अपने सफर पर सुबह सुबह हमने सबसे पहले कैब बुक किया और कैब वाले भाई को बोला सबसे पहले हमको कहीं नस्ता कराओ फिर चलेंगे सहस्त्रधारा।फिर हमने ब्रेकफास्ट किया और निकल लिए सहस्त्रधारा की तरफ आप वैसे कितने भी अच्छे रोड पर सफर कर लो लेकिन जो मज़ा हिल स्टेशन वाले रोड पर आता है वो और कहीं नहीं आ सकता ।

हम जल्दी पहुंचने के लिए बहुत ही बेकरार थे, क्योंकि हम में से किसी ने नहाया नहीं था सबने सोचा वहीं जा के नहाएंगे एक तो मैं उस वक्त अलवर सिटी में रहता था जहा हम लोग नहाने और धोने दोनों के लिए पानी खरीदना पढ़ता था और मैं ठहरा यूपी का बंदा जिस से पानी बचना दूर दूर तक नहीं आता।
जब मुझे पता चला हम वहा नहाएंगे तो मैं बहुत खुश हुआ, सोच लिया था 3-4 घंटे से पहले मैं उठने वाला नहीं हूं। बहुत जल्द ही हम वहा पहुंच गए जैसा गूगल बाबा ने फोटो में दिखाया था वो हूबहू वैसा ही था चारो तरफ पहाड़ बीच में नदी और छोटे छोटे झरने हमने ना आओ देखा ना ताव कपड़े उतारे और उतर गए पानी में वॉइस तो हमने वहा बहुत कुछ किया वहा करने को काफी कुछ हैं पर सबसे ज्यादा हमने पानी में समय बिताया ।



बहुत अच्छी जगह हैं मेरे हिसाब से आप लोगो को वहा एक बार जरूर जाना चाहिए और नहीं जाना हो पा रहा है तो कोई बात नहीं हम हैं ना हम आपको फोटो के माध्यम से वहा का दीदार कराते हैं।

































