सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ
अपनी 13 साल की उम्र में राहुल सांकृत्यायन रचित गद्य संकलन अथातो घुमक्कड़ जिग्यासा नामक विषय पर लिखित कहानी के अंत में शायद ख्वाजा मीर दर्द का यह शायर मेरी जिन्दगी का फलसफा बन गया है। उस समय मेरी उम्र महज 13 साल थी। 37 बसंत पार भी अब तक घुमक्कड़ी जिज्ञासा शांत नहीं मौका मिला नहीं, कि कदम प्रकृति की गोद में जाने को लालायित हो उठते हैं। अपनी इस नई कहानी की कड़ी में आप सभी को खजुराहो लेकर चलता हूं। वैसे तो खजुराहो पर सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इसे खूब पढ़ा और समझा जा चुका है। लेकिन इस यात्रा में मैं आपको सात दोस्तों की दिलचस्प पिकनिक टूर पर ध्यान केंद्रित कराऊंगा। ताकि आप झटपट दोस्तों या अपने हमराही के साथ अगला टूर तय कर सकें।
पहला दिन
खजुराहो मेरे निज निवास से महज दो सौ किलोमीटर के करीब है। इसलिए अपने दोस्त की निजी कार से हम सात दोस्तों ने जाना तय किया। पूर्व निर्धारित शेड्यूल के मुताबिक सुबह दस बजे कार खजुराहो के लिए निकल पड़ी। मन को मोह लेने वाले प्राकृतिक नजारे, कार में बज रहे फिल्मी गानों और दोस्तों की आपस में ठिठोली सफर को और शानदार बना रही थी। करीब दोपहर दो बजे हम सभी होटल पहुंच गए। कमरे में ड्रेस चेंज के बाद रिजॉर्ट में मौजूद पूल में सभी ने छलांग मार दी। करीब तीन घंटे की मस्ती के बाद मित्र अनुराग का बर्थ डे कमरे में ही सेलिब्रेट किया गया। लब्बोलुआब देर रात तक मस्ती के बाद सभी सो गए।
दूसरा दिन
सुबह सात बजे दैनिक क्रियाओं के बाद प्राचीन मंदिरों की सैर की। अनोखी कलाकृतियों को देखा। हलांकि यह मेरा दूसरा टूर था।ब्रेकफास्ट के बाद होटल चेक आउट के बाद पन्ना टाइगर रिजर्व में भ्रमण किया। जहां विशालकाय और दुर्लभ जानवर व पक्षियों को देखने का मौका मिला। पन्ना शहर में जुगुल किशोर मंदिर के दर्शन किया।
खजुराहो सिर्फ़ मंदिरों के लिए पहचाना जाना ठीक नहीं हैं। यहां प्रकृति खूब मेहरबां हैं। बारिश के दिनों में दर्जनों झरनें आप के रोमांच को कई गुना बढ़ा देंगे। लेकिन यह बात यात्रा से पूर्व पता कर ले कि रास्ता कैसा है। महिलाओं को ऐसे फाल या जगह पर ले जाना उचित है या नहीं।
खजुराहो का इतिहास
खजुराहो का प्रसिद्ध मंदिर मूल रूप से मध्य प्रदेश में हिंदू और जैन मंदिरों का एक संग्रह है। ये सभी मंदिर बहुत पुराने और प्राचीन हैं जिन्हें चंदेल वंश के राजाओं द्वारा 950 और 1050 के बीच कहीं बनवाया गया था।
खजुराहो जाकर यह जरूर देखें
1-लक्षमण मंदिर खजुराहो के मंदिरों में दूसरे नंबर पर आता है। इस मंदिर का निर्माण 930-950 ईसवी के मध्य में किया गया था। यह भव्य और आकर्षक मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है।
2-देवी जगदंबिका मंदिर या जगदंबिका मंदिर, खजुराहो, मध्य प्रदेश में लगभग 25 मंदिरों के समूह में से एक है। खजुराहो एक विश्व धरोहर स्थल है। देवी जगदंबिका मंदिर, उत्तर में एक समूह में, जो कई कामुक नक्काशी के साथ खजुराहो में सबसे अधिक सजाए गए मंदिरों में से एक है।
3-कालिंजर मध्य भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र में एक किला-शहर है। कालिंजर उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा जिले में है जो, मंदिर-शहर और खजुराहो के विश्व विरासत स्थल के पास स्थित है। किला रणनीतिक रूप से विंध्य रेंज के अंत में एक अलग-अलग चट्टानी पहाड़ी पर स्थित है। 1,203 फीट (367 मीटर) की ऊंचाई पर और बुंदेलखंड के मैदानी इलाकों को यहाँ से देखा जा सकता है।
4-अगर आप खजुराहो जाते हैं तो पन्ना टाइगर पार्क जरुर घुमने जाए। खजुराहो के भव्य मंदिरों को देखने के बाद पन्ना में प्रकति का एक अद्भुद नजारा आपको देखने को मिलेगा। अगर आप यहां गुमने जाते हैं तो आपको एक अलग अनुभव मिलेगा। पन्ना टाइगर पार्क में आपको घूमते हुए टाइगर मिल जायेंगे। पन्ना टाइगर पार्क के लिए आप सफारी राइड ऑनलाइन बुक भी कर सकते हैं।
5-रनेह जलप्रपात छतरपुर जिले में स्थित केन नदी पर एक प्राकृतिक जल प्रपात है खजुराहो से 20 किमी की दूरी पर एक अद्भुद रनेह जलप्रपात है जिसको रनेह फॉल्स के नाम से जाना जाता है। यह फाल्स चट्टानों के बीच स्थित है। यहां का खूबसूरत नजारा पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। जो लोग प्राकर्तिक जगह को पसंद करते हैं ये जगह उनके लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। हरियाली से घिरा ये जलप्रपात कुदरत के अद्भुद नजारों को दिखाता है। यह जगह बारिश के मौसम में काफी मनमोहक होती है।
5-वृहस्पति कुंड कालिंजर दुर्ग से कुछ दूर पर स्थित है। लेकिन यहां की दुर्लभ पहाड़ी रास्ते जोखिम भरे हैं। महिलाओं को यहां ले जाना ठीक नहीं हैं ऐसे में दोस्तों के साथ ही इस प्रकृति के महाकुंभ की डुबकी लगाएं।
खजुराहो कब जाएं
अगर आप खजुराहो घुमने जाने का मन बना रहे हैं तो वैसे तो आप यहां किसी भी मौसम में जा सकते हैं, शहर में मानसून का समय खजुराहो जाने के लिए एक सुखद मौसम होता है। इस मौसम में कुछ दिनों तक मध्यम बारिश होती है। लेकिन अगर आप यहां घुमने का पूरा मजा लेना चाहते हैं तो आपके लिए सर्दियों का मौसम सबसे अच्छा रहेगा। अक्टूबर से फरवरी के महीने दुनिया भर के लोगों की भीड़ के साथ खजुराहो घूमने का सबसे अच्छा समय है। हर साल फरवरी में आयोजित खजुराहो नृत्य महोत्सव आपकी खजुराहो यात्रा की योजना बनाने का सबसे अच्छा समय है। इसका मतलब यह है कि आप अक्टूबर से लेकर फरवरी या मार्च तक खजुराहो जा सकते हैं।
कैसे पहुंचे
ट्रेन - खजुराहो का प्रसिद्ध मंदिर मध्यप्रदेश के छतरपुर में है। खजुराहो का अपना रेलवे स्टेशन है, हालाँकि खजुराहो रेलवे स्टेशन भारत के कई शहरों से जुड़ा नहीं है। खजुराहो-हजरत निजामुद्दीन एक्सप्रेस नामक खजुराहो के लिए नई दिल्ली से एक नियमित ट्रेन है, जो खजुराहो पहुंचने के लिए लगभग 10 से 11 घंटे का समय लेती है।
हवाई जहाज - दिल्ली से खजुराहो कैसे पहुंचे यह एक बहुत ही सामान्य प्रश्न है। हालाँकि, यात्रियों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि खजुराहो हवाई अड्डा, जिसे सिविल एरोड्रम खजुराहो भी कहा जाता है, शहर के केंद्र से केवल छह किमी दूर है। दिल्ली से खजुराहो के लिए कम उड़ानें हैं क्योंकि यह छोटा घरेलू हवाई अड्डा भारत के कई शहरों से जुड़ा नहीं है, इसमें दिल्ली और वाराणसी से नियमित उड़ानें हैं। हवाई अड्डे के बाहर खजुराहो के लिए टैक्सी और ऑटो आसानी से उपलब्ध हैं। इसके अलावा आप मुंबई, भोपाल और वाराणसी से भी यहां पहुंच सकते हैं।
सड़क - खजुराहो में मध्य प्रदेश के अन्य शहरों के साथ अच्छा सड़क संपर्क है। मध्य प्रदेश के आसपास और सतना (116 किमी), महोबा (70 किमी), झांसी (230 किमी), ग्वालियर (280 किमी), भोपाल (375 किमी) और इंदौर (565 किमी) जैसे शहरों से एमपी पर्यटन की कई सीधी बसें उपलब्ध हैं। एनएच 75 खजुराहो को इन सभी प्रमुख स्थलों से जोड़ता है। अगर आप रोड से खजुराहो जाना चाहते हैं तो, यह बिल्कुल भी समस्या वाला नहीं है क्योंकि खजुराहो तक पहुंचना काफी आसान है।