
यूं तो उत्तराखंड मे एक से एक खूबसूरत हिल स्टेशन है! जैसे की नैनीताल, मसूरी, अल्मोड़ा, औली ,चोपता इत्यादी
लेकिन धार्मिक दृष्टि से भी उत्तराखंड बहुत महत्वपूर्ण है !
चार धाम भी यही पर है केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमनोत्रि इत्यादी
उत्तराखंड को यूही देवभूमि नही कहा जाता ।
यहा के कड़ कड़ मे शंकर विधमान है !
आज मैं आपको एक और ऐसी ही दिव्य और अलौकिक जगह के बारे मे बताने जा रहा हु
यकीन मानिये इतनी अच्छी, इतनी सुंदर, इतनी शांत, इतनी दिव्य जगह मैंने पहले नही देखी ।
मैं अपने एक परिचित की शादी मे सम्मिलित होने के लिए नजीबाबाद ( उत्तर प्रदेश) गया हुआ था । मैं कही जाऊँ अगर मौका मिलता है तो आस पास की जगह घूमना नही छोड़ता तो बस उस शादी के अगले 2 दिन की मेरी छुट्टी भी थी
तो ऐसे स्वर्णिम मौके मैं नही छोड़ता!
इस प्रसिद्ध मंदिर के बारे मे मुझे पहले ही पता था।
भोलेनाथ का बुलावा आया तो अब तो जाना ही था
मैंने और मेरे मित्र ने बाइक से अपनी यात्रा शुरू की
नजीबाबाद से तड़केश्वर महादेव टेंपल की दूरी लगभग 100 किलोमीटर थी रास्ता बेहद ही शानदार थी! पहले हम लोग लैंसडाउन नामक एक हिल स्टेशन गए। वहा एक दिन रुके लैंसडाउन एक छोटा सा, प्यारा सा , नन्हा सा हिल स्टेशन है उत्तराखंड मे
अगली सुबह हम लोग निकल पड़े तड़केश्वर महादेव मंदिर की यात्रा पर मंदिर लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर था
पहाड़ों मे बाईक चलाने का अपना ही मज़ा है
जैसा की नाम से पता चलता है तड़केश्वर मतलब की यहा पर ताड़ के लंबे लंबे पेड़ थे पूरा मंदिर परिसर ताड़ के वृक्षों से घिरा हुआ था !
ऐसा लगा जैसे की प्रकर्ति ने इस जगह को अपने दोनो हाथो से ढक रखा हो ! इतनी पावन, इतनी पुण्य जगह मैंने बहुत कम देखी है शायद इसलिए की यहा पर अभी कम लोग आते है। इसीलिए ये जगह अभी भी इतनी मनोरम है
यहा एक पवित्र सरोवर भी है ! भक्त जन यहा स्नान करके महादेव के दर्शन करते है । ये जगह बहुत ही शांत , सुंदर, मनोहरि, हैं अगर आप कभी लैंसडाउन जा रहे है तो यहा जाना न भूले
यकीन मानिये ये स्वर्ग सरीखी जगह है !
कैसे पहुँचे --------
सड़क मार्ग -------- दिल्ली से वाया बिजनौर -- नजीबाबाद
--- कोटद्वार ----- तड़केश्वर महादेव मंदिर ( दिल्ली से दूरी
लगभग 250 से 300 किलोमीटर )
रेल्वे मार्ग ------ दिल्ली से कोटद्वार सीधी ट्रेन ले कोटद्वार
से टैक्सी के माध्यम से आगे की यात्रा करे
( नोट --------समुद्र तल से उचाई 1800 मीटर लगभग )





