A peaceful trip to Lansdowne and Tarkeshwar Temple near Lansdowne

Tripoto
15th Nov 2019
Photo of A peaceful trip to Lansdowne and Tarkeshwar Temple near Lansdowne by saurabh sahai
Day 1

सबसे पास बस स्टॉप- कोटद्वार

सबसे पास रेलवे स्टेशन - कोटद्वार

Famous railway station- नजीबाबाद

कोटद्वार से लैंसडाउन की दूरी- 70 किलोमीटर

कोटद्वार से लैंसडाउन जाने का साधन- उत्तराखंड परिवहन की बसें या प्राइवेट टैक्सी या प्राइवेट वाहन

अगर आप शहर की भागदौड़ से ऊब गए हैं तो आप के लिए एक शांतिप्रिय और मनोरम जगह है - लैंसडाउन

लैंसडाउन प्रकृति की गोद में बसा हुआ एक छोटा सा हिल स्टेशन है। यह एक आर्मी कैंटोनमेंट एरिया है। यह बहुत छोटी सी आबादी वाली जगह है। एक छोटा सा बाजार और कुछ गिने चुने होटल्स ही हैं यहाँ। गांधी चौक यहाँ का मुख्य बाजार है ज़्यादातर होटल्स और खाने पीने की जगह भी इस के आसपास ही हैं। टैक्सी वाले गांधी चौक पर ही छोड़ते हैं और यहाँ से ही सब जगह जाने को टैक्सी मिलती हैं।

हम सुबह 5 बजे अपने घर से लैंसडाउन के लिए निकले, हमारे घर से लैंसडाउन करीब 220 कि.मी. है। 9 बजे तक हम कोटद्वार पहुँच गए थे । कोटद्वार पहुँचते ही हमें पहाडों के दर्शन होने शुरू हो गए थे। कोटद्वार एक छोटा सा शहर है। यहाँ कई बाज़ार और खाने पीने के अच्छे होटल्स हैं। हमने एक ऐसे ही होटल पर नाश्ता किया और लैंसडाउन के लिए निकल गए। लैंसडाउन के तरफ बढ़ते हुए बीच में ही हनुमान जी का एक मंदिर (सिद्धबली मंदिर) पड़ता है जिसकी बहुत मान्यता है। इस के बाद करीब 4 या 5 किलोमीटर के बाद एक देवी का मंदिर पड़ता है जिसका नाम है दुगड्डा क्योंकि ये मंदिर एक गुफा में बना है जो सड़क से थोड़ा नीचे जाकर है।

लैंसडाउन का रास्ता बहुत ही मनोहारी है एक तरफ ऊँचे पहाड़ और दूसरी तरफ गहरी खाई। रास्ते में कई जगह ऐसी हैं जहाँ रुक कर आपको फ़ोटो खिंचवाने का मन ज़रूर करेगा।

तकरीबन 2 घंटे की यात्रा के बाद हम लैंसडाउन थे। आर्मी एरिया होने की वजह से आर्मी चेकपोस्ट पर एंट्री दर्ज की गई और थोड़ी रूटीन पूछताछ की गई।इसके बाद हम थोड़ी दूर पर स्थित गांधी चौक पर पहुँच गए।

गांधी चौक पर और इस के आसपास और नीचे बाज़ार में कई होटल्स हैं जिनके रेट्स तकरीबन ₹1000 से ₹3500 तक होते है परंतु हॉलीडेज में रेट्स बदल जाते हैं

गांधी चौक लैंसडाउन

Photo of लैंसडाउन, Uttarakhand, India by saurabh sahai

हमने भी एक होटल में रूम लिया और थोड़ी देर आराम कर के हम भुल्ला ताल के लिए निकल लिए।

भुल्ला ताल एक पिकनिक स्पॉट हैं जहाँ नौकायन,झूले, वुडेन हट्स और एक होटल भी है। गांधी चौक से भुल्ला ताल करीब 2 किलोमीटर है । आप चाहें तो टहलते टहलते भी निकल सकते हैं या किसी प्राइवेट वाहन या टैक्सी से भी जा सकते हैं।

नोट- भुल्ला ताल बुधवार को बंद रहता है

भुल्ला ताल पहुँच कर हमने नाव का आनंद लिया। भुल्ला ताल प्रकृति की गोद में बसा हुआ एक शांत स्थान है जहाँ आप शहर की भागदौड़ से दूर आराम से अपने परिवार के साथ समय बिता सकते हैं।

भुल्ला ताल photos by- S.Sahai

Photo of A peaceful trip to Lansdowne and Tarkeshwar Temple near Lansdowne by saurabh sahai
Photo of A peaceful trip to Lansdowne and Tarkeshwar Temple near Lansdowne by saurabh sahai

Bhulla taal. Photos by-s.sahai

Photo of A peaceful trip to Lansdowne and Tarkeshwar Temple near Lansdowne by saurabh sahai
Photo of A peaceful trip to Lansdowne and Tarkeshwar Temple near Lansdowne by saurabh sahai

भुल्ला ताल में काफी समय बिताने के बाद हम होटल लौट आए। लौट कर हमने लोकल मार्किट में खरीदारी करी और एक रेस्टोरेंट में खाना खाया।

रात को गांधी चौक लगभग सुनसान सा था। मौसम में ठंडक थी । हम खाना खा कर टहलने के लिए निकले। ऐसा लग रहा था मानो पूरा लैंसडाउन शांत हो गया हो ना कहीं शोर ना शराबा।दूर दूर तक छितरे घरों से निकलती रोशनियाँ ऐसे लग रही थी मानो सैकड़ों जुगनू एक साथ घूम रहे हों।

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Day 2

अगली सुबह हम जल्दी से तैयार होकर होटल से गांधी चौक आये और वहां रेस्टॉरेंट में हल्का सा नास्ता किया। यहां के रेस्टोरेंट सुबह जल्दी ही खुल जाते हैं। इस के बाद हम लोग तारकेश्वर मंदिर के लिए निकल पड़े। मंदिर तक जाने के लिए आप अपने वाहन से जा सकते हैं या फिर गांधी चौक से कोई टैक्सी किराये पर ले सकते हैं। ज्यादा भीड़भाड़ न होने की वजह से यहां टैक्सियां आराम से मिल जाती हैं। हम लोग अपनी कार से सुबह 9 बजे करीब मंदिर के लिए निकले।

सुबह सुबह का मौसम बहुत अच्छा लग रहा था हल्की हल्की ठंड थी और सुरज की रोशनी एक बहुत अच्छा एहसास दे रही थी। ताड़केश्वर मंदिर के रास्ते में बहुत सारे पहाड़ी गांव पड़ते हैं और रास्ता बहुत ही सुंदर है। हर तरफ शांति ही शांति, कोई शोर शराबा नहीं। तकरीबन डेढ़ घंटे की यात्रा के बाद हम ताड़केश्वर मंदिर पहुँच गए।

मंदिर पर आकर रास्ता बंद हो जाता है। यहां पार्किंग की अच्छी खासी जगह है और प्रसाद और खाने पीने की कुछ दुकाने हैं। इस के बाद हम लोग पैदल मंदिर के लिए निकल पड़े। मंदिर थोड़ा नीचे तलहटी में बना है। मंदिर तक का रास्ता अत्यंत मनमोहक है एक तरफ ऊंचे पहाड़ दूसरी तरफ नीचे बहती नदी। चारों तरफ ऊंचे ऊंचे वृक्ष।

( बंदरो से सावधान रहने की जरूरत है कभी कभी प्रसाद छीन कर भाग जाते हैं लेकिन नुकसान नही पहुँचाते)

करीब 15 मिनट बाद हम मंदिर के सामने थे। जूते स्टैंड पर रख कर हमने अंदर जाकर  मंदिर के दर्शन किये। यहां कई और भगवानों की मूर्तियां और मंदिर भी हैं।मंदिर के चारों तरफ बहुत बड़ा खाली मैदान है जहां आप आराम से बैठकर सुकून के कुछ पल बीता सकते हैं। इस के बाद मंदिर से वापस आते समय रास्ते  में एक पवित्र कुंड पड़ता है जिस के पानी से रोजाना भगवान ताड़केश्वर को स्नान कराया  जाता है। कहते हैं कि इस कुंड में स्नान करने से चर्म रोग दूर होते हैं।एक अन्य मान्यता के अनुसार इस कुंड में सिक्का डालने से मनोकामना अवश्य पूरी होती है। इस कुंड के दर्शन करने के बाद हम वापस अपनी कार के पास आ गए और वापस लैंसडाउन के लिए निकल पड़े।

वापस आकर दोपहर में खाना खाकर और थोड़ी देर आराम कर हम लैंसडाउन के पास के अन्य दर्शनीय स्थान देखने के लिए निकल पड़े। यह सब जगह गांधी चौक से 2 से 3 किलोमीटर की दूरी पर है।

सबसे पहले हम टिप एन्ड टॉप नाम की जगह पर गए। यह एक शांतिप्रिय जगह है जहां से आप खूबसूरत वादियों का नजारा ले सकते हैं ।यहां एक रेस्तरां भी है जो एक बहुत ही अच्छी लोकेशन पर बना है जहां से आप इन वादियों का और अच्छे से लुत्फ ले सकते हैं।

Tip N Top photo by S.Sahai

Photo of A peaceful trip to Lansdowne and Tarkeshwar Temple near Lansdowne by saurabh sahai

ताड़केश्वर मंदिर Photo by S.Sahai

Photo of A peaceful trip to Lansdowne and Tarkeshwar Temple near Lansdowne by saurabh sahai

वापसी में हम सैंट मैरी चर्च घूमते हुए आये जो रास्ते में ही पड़ता है। इस के अलावा रास्ते में ही महादेव का एक छोटा सा मंदिर पड़ता है जो थोड़ी चढ़ाई पर है।इस मंदिर से भी पीछे वादियों का नजारा बहुत ही सुंदर दिखता है।

इसके बाद हम वापस गांधी चौक होते हुए गढ़वाली म्यूज़ियम गए जो कैंटोनमेंट एरिया में पड़ता है। यहां गढ़वाली रेजिमेंट का पूरे इतिहास का वर्णन दिखाया गया है।
यहां आप गढ़वाली रेजिमेंट की परेड का भी मजा ले सकते हैं परंतु समयानुसार।

अगर आपके पास समय हो तो आप भीम पैगोडा भी देखने जा सकते हैं यह एक बहुत बड़े आकार का पत्थर है जो छोटे से एक पत्थर पर टिका हुआ है। हमारे पास इतना समय नही था तो हम वहां नही गए और वापस होटल आ गए फिर समान लेकर वापस अपने घर की तरफ चल दिये।

जाने का मन तो नही हो रहा था क्योंकि जितना सुकून इन दो दिनों में मिला उतना सुकन की कल्पना अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी में शहर में मिलना नामुमकिन है।

............Safarnama by Saurabh Sahai