#राजकोट_शहर_की_एक_शाम
#गुजरात_टूरिज्म
दोस्तों मैं गुजरात के राजकोट शहर के पास एक होमियोपैथिक कालेज मैं टीचर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूँ। मुझे अक्सर पंजाब से राजकोट और वहां से पंजाब आना जाना पड़ता हैं। राजकोट शहर गुजरात का अहमदाबाद, सूरत और वड़ोदरा के बाद चौथा सबसे बड़ा शहर हैं। राजकोट शहर की आबादी 25 लाख से जयादा हैं। राजकोट को सौराष्ट्र का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है कयोंकि आप अपनी सौराष्ट्र यात्रा का बेस राजकोट शहर को भी बना सकते हो। पिछले दिनों मैं जब राजकोट से पंजाब वापिस आ रहा था तो राजकोट को घूमने का मौका मिला। हमारा कालेज राजकोट से 18 किलोमीटर दूर है, 3.30 बजे कालेज समय खत्म होने के बाद कालेज बस में सटूडेंटस के साथ बैठकर मैं 4.20 तक राजकोट शहर के सरकारी हसपताल के पास उतर गया। वहां से मुझे वाटसन मयूजियिम देखने के लिए जाना था, लेकिन पिछली बार की तरह अभी भी यह मयूजियिम कोरोना की वजह से बंद हैं जिससे मन थोड़ा निराश भी हुआ कयोंकि मैं तीन बार इस वाटसन मयूजियिम को देखने के लिए पहुंचा पर हर बार बंद ही मिला। खैर मयूजियिम के बाहर रोड़ पर चलते हुए मुझे एक आईसक्रीम , सोडा, निंबू पानी वाली दुकान दिखाई दी। वहां आईस गोला भी लिखा हुआ था, गर्मी भी बहुत थी तो मैंने एक आईस गोला कैडबरी फलेवर का आडर कर दिया। आईस के छोटे छोटे टुकड़े कर के उसमें काफी सारा मावा भरकर , काजू बादाम डालकर, कैडबरी फलेवर डाल कर , शायद और भी काफी कुछ मिला कर मुझे आईस गोला खाने के लिए दे दिया। सचमुच आईस गोला काफी सवादिष्ट था, कयोंकि मैंने कभी इस तरह का आईस गोला खाया नहीं था। राजकोट का आईस गोला काफी मशहूर हैं। इसके बाद मैं थोड़ा पैदल चलकर बगल में ही एलफैरड़ सकूल पहुंच गया, जिसे अब महात्मा गांधी मयूजियिम में तबदील कर दिया गया है। 25 रुपये की टिकट लेकर मैं मयूजियिम के अंदर प्रवेश कर गया। महात्मा गांधी मयूजियिम में कुल 30 से जयादा गैलरी बनी हुई है जहां आपको महात्मा गांधी के जीवन के बारे में बताया जाता हैं। एक घंटे तक मयूजियिम को देखकर मैं दुबारा बाजार में आ गया। अभी बारिश भी शुरू हो गई थी, बारिश में भीगता भीगता मैं एक बर्तन वाले की दुकान में चला गया जहां मैंने सटील की एक छोटी सी केतली ली जो मुझे बहुत पसंद आई कयोंकि इसमें दो लोगों के लिए चाय रख सकते है। जब मैंने राजकोट में एक रात अपने सटूडेंटस के रुम में उनके साथ रुका था तब उनके पास इसी तरह की छोटी सी केतली थी, तो मैंने सोचा मैं भी अपने घर ऐसी ही केतली लेकर जायूगा। केतली खरीदने के बाद मैं पास की गली में महात्मा गांधी का राजकोट का घर जिसे काबा गांधी नो डेलो कहा जाता है देखने के लिए चला गया। गुजराती में गली को शेरी बोला जाता है। महात्मा गांधी का घर शायद आठ नंबर शेरी में हैं। काबा गांधी महात्मा गांधी के पिता जी का नाम है उनहीं के नाम पर घर का नाम रखा गया है। घर के अलग अलग कमरों में महात्मा गांधी से संबंधित सामान रखा हुआ है साथ में उनके जीवन के बारे में जानकारी दी हुई हैं। सात बजने वाले थे , मेरी रात को साढ़े आठ बजे बस थी। अब मुझे राजकोट के बस स्टैंड जाना था, रास्ते में एक होटल में काठीआवाड़ी खाने का आनंद लेकर मैं राजकोट बस स्टैंड पहुंच गया। राजकोट शहर का बस स्टैंड बिल्कुल एयरपोर्ट की तरह दिखाई देता है। बहुत साफ सुथरा बना हुआ है। बसें एक तरफ से अंदर आती हैं दूसरी तरफ से बाहर निकलती हैं। मुसाफिरों के खान पान, बाथरूम, बैठने और मोबाइल फोन चार्ज करने तक की सब सुविधा हैं। मैंने एक घंटा बस स्टैंड पर बिताया, फिर मेरी बस आ गई जिस पर चढ़कर मैं पालनपुर की ओर बढ़ गया। इस तरह मैंने एक शानदार शाम को राजकोट शहर में बिताने के बाद राजकोट को अलविदा कहा।
राजकोट
अगस्त 2021
![Photo of Rajkot by Dr. Yadwinder Singh](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1609956/SpotDocument/1650331870_1650331870556.jpg.webp)
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