#गुरुद्वारा_बिभौर_साहिब
#नंगल_जिला_रोपड़
#पंजाब_टूरिज्म
नमस्कार दोस्तों 🙏🙏
आज हम दर्शन करेंगे पंजाब के जिला रोपड़ में हिमाचल प्रदेश के साथ लगते और सतलुज नदी के किनारे पर ,पहाड़ों के पैरों में बसे खूबसूरत शहर नंगल के ईतिहासिक गुरुद्वारा बिभौर साहिब के। यह ईतिहासिक गुरुघर कलगीधर पातशाह गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ संबंधित हैं।
#गुरुद्वारा_बिभौर_साहिब_का_ईतिहास
दोस्तों गुरु गोबिंद सिंह जी के समय में बिभौर एक पहाड़ी रियासत हुआ करता था और राजा रतन राय यहां राज करता था। इस बिभौर रियासत में उस समय 52 गांव थे। उस समय बिभौर, जैजों और संतोखगढ़ बड़ी मंडियां हुआ करती थी जहां से पहाड़ों को वस्तुओं की सपलाई हुआ करती थी। यह राजा गुरु गोबिंद सिंह जी का श्रद्धालु था,लेकिन कभी गुरु जी से मिलने नहीं गया था, लेकिन रोज गुरु जी की याद में सिमरन करता था और राजा रतन राय चाहता था कि गुरु जी खुद आकर उसे दर्शन दें। एक दिन ऐसे ही राजा रतन राय पास के जंगल में भक्ति कर रहा था और मन में साहिबे कमाल गुरु जी को याद कर रहा था। अंतरजामी गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ने राजा की पुकार सुनी और आनंदपुर साहिब से चलकर अपने सिखों के साथ उसी जंगल में पहुंच कर राजा के पास पहुंच पर उसे दर्शन दिए और उसे आखें खोलने के लिए बोला, जब राजा रतन राय ने आखें खोली तो सामने गुर जी को देखकर निहाल हो गया। गुरु गोबिंद सिंह का तो नाम ही तारनहार हैं, राजा की आखों से खुशी के आसूं निकल आए। राजा ने गुरु जी को अपने किले में चलने के लिए आमंत्रित किया। कृपालु गुरु जी राजा रतन राय के पास काफी महीने रहे। जहां राजा का किला था , वहीं आज गुरुद्वारा बिभौर साहिब बना हुआ हैं। राजा रतन राय की पत्नी भी गुरु जी श्रद्धालु थी कयोंकि वह सिरमौर के राजा की पुत्री थी उसने गुरु जी के दर्शन सिरमौर में नाहन में किए थे। सिरमौर रियासत गुरु जी का बहुत सतिकार करती थी कयोंकि गुरु गोबिंद सिंह जी के दादा जी छठें पातशाह गुरु हरिगोबिन्द जी ने बंदीछोड़ बनकर गवालियर के किले से 52 राजपूत राजाओं को आजाद करवाया था, उसमें एक राजा सिरमौर का राजा भी था। गुरु जी ने बिभौर साहिब में रहते हुए ही "चौपई साहिब " की रचना की। चौपई साहिब को सिख सुबह नितनेम और शाम को रहिरास साहिब में पढ़ते हैं। श्रद्धालु बिभौर साहिब में आकर चौपई साहिब का पाठ करते हैं, जिसमें गुरु जी परमात्मा के गुनगान करते हैं। गुरूद्वारा एक ऊंची जगह पर बना हुआ है, साथ ही सतलुज नदी हैं जो बहुत खूबसूरत दृश्य पेश करती हैं, दूर नैना देवी की पहाड़ी दिखाई देती हैं। बिभौर साहिब में रहने और खाने के लिए लंगर की उचित सुविधा हैं। कभी आनंदपुर साहिब
आए तो नैना देवी, भाखड़ा डैम होते हुए नंगल से होते हुए यहां दर्शन जरूर कीजिए।
कैसे पहुंचे- बिभौर साहिब पहुंचने के लिए आप को पहले नंगल आना होगा, जो रोपड़- ऊना हाईवे पर एक शहर हैं जो चंडीगढ़ से 110 किमी, आनंदपुर साहिब से 24 किमी, रोपड़ से 60 किमी दूर हैं। नंगल शहर सतलुज नदी पर बने हुए नंगल डैम और नंगल वैटलैंड के लिए मशहूर हैं।
इस यात्रा में आप आनंदपुर साहिब, नैना देवी और भाखड़ा डैम सरकट को जोड़ सकते हो।