मेरी सिरमौर यात्रा
सिरमौर जिला घूमने से पहले मैं सिरमौर के बारे में कुछ लिखना चाहता हूँ ताकि आपको सिरमौर के बारे में कुछ पता चल सके।
सिरमौर जिला गुरु द्वारा पाँवटा साहिब और रेणुका झील को छोड़ कर बाकी तकरीबन पर्यटकों की नजरों से अछूता ही हैं। सिरमौर जिला हिमाचल प्रदेश का सबसे दक्षिण में जिला हैं। सिरमौर जिले में बहुत सारी आफ बीट डेस्टिनेशन हैं, यहां जाने के लिए चंडीगढ़, अंबाला, शिमला, सोलन और देहरादून से अच्छी सुविधा हैं।
हरिपुरधार, नोहराधार, बाला सुंदरी मंदिर त्रिलोकपुर, राजगढ़, गुरु द्वारा बढू़ साहिब, चूडधार जैसी बहुत सारी खूबसूरत जगह है सिरमौर जिले में।
सिरमौर का अर्थ होता हैं सबसे आगे, सिरमौर जिले का नाम सिरमौर की प्राचीन रियासत के नाम पर रखा गया।
सिरमौर जिले का मुख्यालय नाहन हैं। नाहन शिवालिक की पहाड़ियों पर बसा हुआ एक खूबसूरत शहर हैं। नाहन का अर्थ हैं. ना और हन जिसका अर्थ होता हैं अपराजेय
#सिरमौर
सिरमौर की पुरानी रियासत के अवशेष सिरमौरी ताल में मिलते हैं। कहते है एक समय राजा मदन सिंह राज करते थे, उन्होंने एक लड़की को अपना आधा राज्य देने का वादा किया था, अगर वो लड़की रस्सी के ऊपर चल कर गिरी गंगा नदी को पार कर जाए। जब वो लड़की रससी पर नदी को पार करके वापिस आ रही थी तो राजा के मन मे पाप आ गया और राजा ने रससी कटवा दी, उस लड़की की नदी में गिरने से मौत हो गई और गिरते गिरते उसने राजा की नगरी को भी इसी नदी में डूबने का शराप दे दिया। कुछ दिनों बाद नदी में बाढ़ आई और सारा सिरमौर शहर डूब गया। यह एक कहानी सिरमौर के पतन की।
राजगढ़- पीच वैली
जून 2018 की गर्मी की छुट्टियों में हमनें सिरमौर जिले की यात्रा करने का मन बनाया। हम बाघापुराना अपने घर से पटियाला पहुंचे जहाँ मेरे मामा जी रहते हैं।
एक रात पटियाला में रूक कर अगले दिन हमने राजगढ़ जाने का प्रोग्राम बनाया, इस टूर में दो फैमिली थी, एक हमारी, एक मामा जी की, कुल 10 लोग थे, दो गाड़ियों में। सुबह पटियाला से चल कर राजपुरा, बनूड़, जीरकपुर
पंचकूला, परवाणू, सोलन, यशवंत नगर होते हुए शाम तक हम राजगढ़ पहुंचे। रास्ते में हम गिरी गंगा नदी के एक पुल पर रूके थे और वहां चाय के साथ पकौड़े खाए थे। राजगढ़ पहुंच कर हमनें रूम लिया।
राजगढ़ सिरमौर जिले की एक तहसील हैं। राजगढ़ की ऊंचाई 2170 मीटर हैं। राजगढ़ को हिमाचल प्रदेश की पीच वैली भी कहते हैं। यहाँ आडू़ (पीच) फल बहुत होता है। राजगढ़ का मौसम सारा साल खुशगवार रहता हैं।
राजगढ़ के आसपास की खूबसूरती मन मोह लेती हैं। वैसे राजगढ़ में भी देखने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन कुदरती खूबसूरती दिल को छू लेती हैं। राजगढ़ जिला सिरमौर के अंदर आता हैं लेकिन जाने के लिए सोलन से पास पडता हैं। राजगढ़ में खूबसूरत बाजार हैं, यही से एक रोड़ नोहराधार जाता हैं, एक सोलन, एक बडू़ साहिब की ओर जाता हैं। शाम को राजगढ़ के खूबसूरत नजारों का हमनें आनंद लिया। राजगढ़ में किसी समय पर एक किला हुआ करता था, जो आजकल मौजूद नहीं हैं, उस जगह पर आजकल एक सकूल बना हुआ है। गोरखाओं ने 1814 में किले को ध्वस्त कर दिया था। राजगढ़ में एक शाम हमनें अपनी फैमिली के साथ पूरा आनंद लिया।
गुरु द्वारा बढू़ साहिब
राजगढ़ से आज हमारा पहला पडा़व गुरू द्वारा बढू़ साहिब था जो राजगढ़ से 26 किमी था। हम सुबह जल्दी ही निकल कर गुरू द्वारा बढू़ साहिब की ओर बढ गए। सुबह का नाश्ता गुरू द्वारा के लंगर में ही किया।
इस क्षेत्र को तपोभूमि भी कहते हैं, यह गुरू द्वारा बहुत सुंदर पहाड़ों के बीच हैं। यहां का वातावरण बहुत शांत हैं।
इसीलिए इस को वैली आफ डिवाईन पीस ( Valley of Divine Peace ) कहा जाता हैं। संत अतर सिंह जी ने यहां शिक्षा के बहुत बडे़ ईनसटीचियूट को बनाया जो हिमालय के सुंदर पहाड़ों में सिख धर्म की मर्यादा के अनुसार शिक्षा प्रदान करते हैं। गुरू द्वारा में एक आश्रम
एक हासपिटल, एक लाब्रेरी, अनाथ आश्रम और बजुर्गों के रहने के लिए अकाल होम बना हुआ है। हमनें गुरू द्वारा में दर्शन किए, यहां आकर मन को बहुत सकून मिला।
दोस्तों गुरु द्वारा बढू़ साहिब के दर्शनों के बाद हमनें रेनुका जी जाना था, जो गुरुद्वारा बढू़ साहिब से 82 किमी था, पहाड़ी रास्ते में तीन घंटे का सफर था। दोस्तों कई बार रास्ता मंजिल से भी जयादा खूबसूरत हो जाता हैं। ऐसा पहाड़ों में मेरे साथ बहुत बार हुआ हैं। अनजाने रास्ते बहुत खूबसूरत बन जाते है।
जब हम गुरूद्वारा बढू़ साहिब से निकले तो नाहन जाने वाले रोड़ पर गाड़ी आगे बढऩे लगी, तीन घंटे का रास्ता था, यह तो हो नहीं सकता था कि हम इतनी खूबसूरती को निहारे बिना ही आगे निकल जाए। जून की गर्मीयो की छुट्टियों में भी यह पहाड़ी रोड़ बिलकुल शांत था, जो बहुत अच्छा लग रहा था, कयोंकि इनदिनों में मनालि, शिमला, मंसूरी, नैनीताल वाले रोड़ जाम में फसे होते हैं।
रास्ते में एक जगह मैंने गाड़ी रोक दी, रोड़ से हटकर एक छोटी सी पहाड़ी थी, हम सभी 10 लोग उस पहाड़ी पर चढऩे लगे, पहाड़ी पर चढ़ कर हमनें वहां से दिखाई देने वाले नजारो का आनंद लिया, कुछ देर आराम किया, कुछ फोटोज लिए, फिर अपने सफर को जारी कर दिया।
आगे जाकर रास्ते में बहुत सारे खूबसूरत झरने आए, हमनें कई झरनों पे गाडी़ रोक कर झरनों का आंनद लिया, एक झरने की नीचे तो मैं नहा भी लिया।
इस तरह फैमिली के साथ आनंद लेते हम रेनुका जी पहुंच गए।
रेनुका जी नाहन से 45 किमी दूर है और गुरू द्वारा बढू़ साहिब से 82 किमी दूर है। यह जगह विष्णु के अवतार परशुराम जी से समबन्धित हैं। नवम्बर में यहां बहुत बडा़ मेला लगता है।
#रेनुका झील
रेनुका झील हिमाचल प्रदेश की सबसे बडी़ झील हैं। किसी सोई हुए सत्री जैसी आकृति वाली यह पवित्र झील बहुत खूबसूरत है। 2.5 किमी में फैली यह झील घने वृक्षों और पहाडि़यों के बीच है। हमने यहां बोटिंग भी की।
#रेनुका मंदिर और परशुराम मंदिर
रेनुका झील के पास रेनुका जी का और परशुराम जी का भव्य मंदिर हैं। पास में ही गायत्री मंदिर भी है, हमनें सभी मंदिरो के दर्शन किये। रेनुका जी मैं फैमिली के साथ अच्छा समय बिताया।
गुरू द्वारा पाँवटा साहिब
दोस्तों रेनुका जी से चल कर शाम को हम पाँवटा साहिब पहुंच गए, सराय में कमरा लेकर आज रात हमें यही पर रूकना था। रात को गुरू का लंगर छक कर हमने गुरू घर मे माथा टेका, आराम किया।
#पाँवटा साहिब
सिख धर्म में पाँवटा साहिब का बहुत महत्व हैं, दसवें गुरू गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन के 4 साल यहां गुजारे हैं। गुरू जी यहां नाहन रियासत के राजा मेदनी प्रकाश के बुलावे पर आनंदपुर साहिब से यहां आए थे। पूरे विश्व में पाँवटा साहिब ही एक ऐसा शहर हैं जिसको गुरू जी ने खुद बसाया और खुद ही नाम रखा पाँवटा
पाँवटा का मतलब होता है, पाँव टिकाना
यमुना नदी भी साथ ही बहती हैं गुरू द्वारा के, यही पर गुरू जी के बडे़ पुत्र साहिबजादा अजीत सिंह का जनम भी यही हुआ था। गुरू गोबिंद सिंह जी संत सिपाही थे, कलम और तलवार दोनों के धनी थे, गुरू जी यहां कवि सम्मेलन करवाया करते थे। उनके पास 52 कवि थे। पाँवटा साहिब के दर्शन करने के बाद हम अपने घर वापस चले गए| आप भी सिरमौर जिले को घूम सकते हो अगर आपको भीड़भाड़ से दूर किसी शांत जगह पर घूमना हो तो |
धन्यवाद|