#पंजाब_टूरिज्म
#अब्दुल_हमीद_समारक
आज इस पोस्ट में बात करेंगे पंजाब के सरहदी जिले तरनतारन के कस्बे खेमकरन के पास भारत माता के सपूत अब्दुल हमीद के बने हुए समारक की ।
दोस्तों खेमकरन यात्रा में मुझे अबदुल हमीद समारक जाने का भी मौका मिला, जो खेमकरन-भिखीविंड हाईवे पर चीमा गांव में बना हुआ है। जब आप खेमकरन से अमृतसर जाते हो तो खेमकरन से 5 किमी दूर हाईवे पर आपको एक विशाल टैंक दिखाई देगा जो इस यादगार के बाहर रखा हुआ हैं। यह अमेरिका का बना हुआ पाकिस्तान को दिया हुआ, पैंटन टैंक हैं । पाकिस्तान ने 97 पैंटन टैकों से खेमकरन सेक्टर में 1965 ईसवी की लड़ाई में हमला कर दिया था। भारतीय सेना ने 72 टैकों को धवस्त कर दिया था। अब बात करते हैं वीर बहादुर अबदुल हमीद की, जब खेमकरन सेक्टर में पाकिस्तानी टैंकों की आवाजें गूजने लगी, तब अबदुल हमीद ने अपनी खुली हुई जीप के ऊपर छोटी तोप की तरह दिखने वाली गन लगा कर छह पाकिस्तानी टैकों को निशाना बना कर उड़ा दिया। अबदुल हमीद का निशाना बहुत सटीक था, एक एक करके जब पाकिस्तान के छह पैंटन टैकों आग में जल गए तब भारतीय सैना का हौसला बहुत बढ़ गया। सातवें टैंक को उड़ाते समय वीर अब्दुल हमीद की गाड़ी भी जलते हुए टैंक को लगी हुई आग की लपटों के बीच आ गई और भारत का यह बहादुर वीर जवान शहीद हो गया। अबदुल हमीद की समाध भी इसी समारक में बनी हुई हैं, पाकिस्तानी सैना के हौसले को पसत करने वाले इस बहादुर वीर की शहादत को शत शत नमन। पाकिस्तानी सैनिक अपने टैकों को छोड़कर कर भाग गई थी।
जब भी आप अमृतसर घूमने आए तो साथ में एक दिन घूमने के लिए खेमकरन के लिए भी रख लेना, ऐसे वीर जवान की इतनी बहादुरी की कहानियां सुन कर मन नमन करने लग जाता हैं। यह क्षेत्र पाकिस्तान के बार्डर से लगा हुआ है और टूरिज्म से दूर हैं। ऐसे क्षेत्र में भी देखने के लिए ईतिहासिक टूरिस्ट स्पॉट हैं जिन्हें उजागर करने की जरूरत है।
कैसे पहुंचे-खेमकरन अमृतसर से 63 किमी दूर है , बस और रेलमार्ग दोनों से अमृतसर से जुड़ा हुआ है। आप अमृतसर से एक दिन के टूर में खेमकरन घूम कर वापिस अमृतसर जा सकते हो।
जय हिंद