रजवाड़ों की धरती राजस्थान को घूमने का एक अलग ही आनंद है | राजस्थान का एक ऐसा ही खूबसूरत शहर है जोधपुर | इस शहर को राजस्थान का नीला शहर भी कहा जाता है कयोंकि यहाँ कुछ घरों के ऊपर नीले रंग का पेंट किया हुआ है| जोधपुर राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है| हम अपनी फैमिली के साथ बठिंडा से नाईट बस लेकर सुबह जल्दी ही जोधपुर पहुँच गए थे| जोधपुर पहुँच कर होटल बुक करके तैयार होकर ब्रेकफास्ट करके हम जोधपुर की सैर पर निकले | जोधपुर राजस्थान का काफी प्रसिद्ध और ईतिहासिक शहर है | जोधपुर शहर को राव जोधा ने बसाया| हमने जोधपुर घूमने के लिए एक आटो बुक कर लिया था जिसमें बैठ कर हमने सारा जोधपुर घूम लिया| जोधपुर में देखने के लिए काफी कुछ है|
1. मेहरानगढ़ किला - जोधपुर में देखने के लिए मेहरानगढ़ किला सबसे महत्वपूर्ण जगह है| मेहर का अर्थ होता है - सूर्य और गढ़ का अर्थ - किला | जोधपुर शहर को सूर्य नगरी भी कहा जाता है| यह किला शहर से 400 फीट ऊंची पहाड़ी के ऊपर बना हुआ है| आटो में बैठ कर हम कुछ ही देर बाद किले के प्रवेश द्वार पर पहुँच गए| किले की टिकट लेकर हम किले के अंदर प्रवेश कर गए| किले के अंदर लगी लिफ्ट से हम सबसे ऊपर वाली मंजिल पर पहुँच गए| यही से हमने जोधपुर शहर का वह हिस्सा देखा जहाँ किले के ऊपर से आपको नीले रंग के घर दिखाई देते हैं | इस वजह से ही जोधपुर को नीला शहर भी कहा जाता है| मेहरानगढ़ किले की नींव राव जोधा ने 1459 ईसवीं में रखी थी लेकिन इस किले के काफी हिस्से को महाराज जसवंत सिंह ने बनवाया| मेहरानगढ़ किले के अंदर मोती महल, शीश महल, फूल महल, दौलत खाना आदि ईतिहासिक ईमारतें देखने लायक है| किले के अंदर एक अजायबघर भी बना हुआ है जिसमें राजाओं से संबंधित सामान रखा गया है| शीश महल में दीवारों और छत के ऊपर शीशे से खूबसूरत कलाकारी की हुई है|हमने बड़े आराम से पूरे मेहरानगढ़ किले को देखा| किले में एक जगह पर हमने खूबसूरत पालकियों को देखा जिस पर बैठ कर महाराजे सवारी किया करते थे| इसके अलावा किले में मारवाड़ के चित्र भी रखे गए हैं| इन चित्रों में आपको राजस्थान की कला देखने के लिए मिलेगी| किले की ऊपरी मंजिल पर बाहर तोपों को रखा गया है| यहीं से जोधपुर शहर का खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है| मेहरानगढ़ किले को देखकर हम जसवंत थड़ा को देखने के लिए चल पड़े|
जसवंत थड़ा- यह खूबसूरत समारक मेहरानगढ़ किले से कुछ ही दूरी पर बना हुआ है| इसको महाराजा जसवंत सिंह की याद में उनके पुत्र महाराजा सरदार सिंह ने 1899 ईसवीं में सफेद संगमरमर से एक मकबरे के रूप में बनाया था| जोधपुर के शाही परिवार के बहुत सारे सदस्यों की छतरियां भी यही पर बनी हुई है| जसवंत थड़ा की ईमारत बहुत दिलकश है| यहाँ से मेहरानगढ़ किले का दृश्य भी बहुत खूबसूरत लगता है| फिर हमने जसवंत थड़ा को देखा | कुछ समय जसवंत थड़ा में बिताने के बाद हम अगली मंजिल की ओर चल पड़े|
उम्मेद भवन पैलेस जोधपुर
यह खूबसूरत पैलेस भी जोधपुर की शान है| इसका नाम तत्कालीन महाराजा गज सिंह के दादा जी महाराज उम्मेद सिंह के नाम पर रखा गया है| इस खूबसूरत महल में 347 कमरे हैं| यह महल दुनिया का छठा सबसे बड़ा प्राईवेट रेजिडेंट है| इस महल को तीन हिस्सों में बांटा गया है| एक हिस्से में शाही परिवार रहता है | एक हिस्सा ताज होटल के पास है और एक हिस्सा संग्रहालय के रूप में आप देख सकते हो| इस महल की ईमारत बहुत दिलकश है| हम भी अपनी फैमिली के साथ इसे देखने के लिए पहुंचे थे| आप इस खूबसूरत महल के संग्रहालय को देख सकते हो| हमने टिकट लेकर इस शानदार उम्मेद भवन को देखा | यहाँ आपको जोधपुर के शाही परिवार से संबंधित काफी आलीशान वस्तुओं को देखने का मौका मिलेगा| यहाँ पर विकटोरीया रानी द्वारा जोधपुर के महाराज को दिया गया झंडा भी रखा हुआ है| उम्मेद भवन की कलाकारी बहुत लाजवाब है | इस महल में रखा हुआ सामान बहुत आलीशान है| इस महल का निर्माण 1928 ईसवीं में शुरू हुआ और 1943 ईसवीं में यह महल पूरा बन कर तैयार हो गया| इस महल में शाही परिवार से संबंधित तसवीरें, तोफे आदि संभाल कर रखे गए हैं|
इस तरह हमने जोधपुर की यात्रा को पूरा किया| जोधपुर में रहने के लिए आपको हर बजट के अनुसार होटल मिल जाऐगे| जोधपुर रेलवे स्टेशन रेल मार्ग द्वारा भारत के अलग अलग शहरों के साथ जुड़ा हुआ है| आप जैपुर जैसलमेर बीकानेर उदयपुर आदि शहरों से बस पकड़ कर भी जोधपुर पहुँच सकते हो|