दिल्ली दिलवालों का शहर है। यहां की आब-ओ-हवा में कुछ ऐसी बात है कि हर कोई इस महानगर की ओर खिंचा चला आता है।
अक्तूबर से लेकर फरवरी तक का समय दिल्ली में रहने और घूमने के लिए बिल्कुल मुफीद है।
हम तो दिल्ली में ही जन्मे, पले-बढ़े और बचपन से ही घूमने फिरने के शौकीन रहे।
दिल्ली में तालकटोरा गार्डन, नेहरू पार्क, लोधी गार्डन, सुंदर नर्सरी आदि अनेक पार्क और उद्यान हैं जो अपनी हरियाली, तालाब, फव्वारों और जॉगिंग ट्रैक के लिए मशहूर हैं।
रविवार अथवा अन्य किसी छुट्टी वाले दिन सुबह सुबह उठना और घूमने निकल जाना...अपना पुराना शौक है।
सोमवार से शुक्रवार कार्यालय जाते वक्त रोज़ देखता था कि राजपथ और उसके आसपास कुछ काम चल रहा है। राजपथ वह सड़क है जो कि राष्ट्रपति भवन को इंडिया गेट से जोड़ती है।
कुछ समय बाद पाया की संसद भवन का नया सदन (Central Vista Avenue) तैयार हो रहा है और राजपथ को नया रूप दिया जा रहा है।
संसद भवन तो अभी तैयार नहीं हुआ मगर राजपथ को अब कर्त्तव्य पथ का नाम दे दिया गया है और पहले के मुकाबले इसे अत्यधिक आकर्षक और शानदार बना दिया गया है।
मेरे ऑफिस का एक दोस्त है हेमंत। वो भी अपनी तरह घूमने फिरने का शौकीन है। बातों ही बातों में दोनों का अगले रविवार की सुबह घूमने का कार्यक्रम बन गया कर्त्तव्य पथ का।
रविवार की सुबह हम पहुंच गए कर्त्तव्य पथ और चारों तरफ हरियाली और रेड कार्पेट पर चलने का सा अद्भुत एहसास।
इसकी लंबाई लगभग २ km और चौड़ाई १२ मीटर है।
दोनों ओर जामुन के पेड़ और आयतानुकार छोटे छोटे तालाब।
वाहनों का आवागमन बंद होने से कर्त्तव्य पथ पर चलने का एहसास एक अलग ही श्रेणी का प्रतीत हो रहा था। कहीं कुछ बच्चे फुटबॉल खेल रहे थे तो कहीं कोई विदेशी सैलानी कोई डॉक्यूमेंट्री शूट कर रहा था।
चलते चलते हम लगभग थोड़ी ही दूर कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित महाराष्ट्र सदन जा पहुंचे। यहां अंदर प्रवेश के लिए कोई भी परिचय पत्र होना अनिवार्य है।
दिल्ली में लगभग हर राज्य के भवन अथवा सदन मिल जायेंगे। ये ऐसा ही है जैसे दूसरे देशों के दूतावास किसी भी देश की राजधानी में स्थित होते हैं।
महाराष्ट्र सदन के अंदर प्रवेश करते ही यह एक खूबसूरत राजमहल सा प्रतीत होता है। प्रवेश द्वार के नजदीक ही शिवाजी महाराज की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है।
हमें घूमते हुए लगभग एक घंटा हो चुका था, सोचा कि कुछ खा पी लिया जाए। यहां मिर्ची तड़का नाम से एक कैंटीन है जहां महाराष्ट्र एवं उत्तर भारत के जायकेदार व्यंजन उपलब्ध हैं। हमने पोहा चाय का नाश्ता किया और अपनी दिल्ली की सुबह की एक यादगार यात्रा को यहीं विराम दिया।