राष्ट्रीय समर स्मारक: जानें आजादी के बाद शहीद सैनिकों के लिए बना यह मेमोरियल क्यों है खास

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Photo of राष्ट्रीय समर स्मारक: जानें आजादी के बाद शहीद सैनिकों के लिए बना यह मेमोरियल क्यों है खास by Hitendra Gupta

राष्ट्रीय समर स्मारक (National War Memorial) दिल्ली में इंडिया गेट के पास सुरक्षा बलों को सम्मानित करने के लिए बनाया गया एक स्मारक है। इसे आजादी के बाद से देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिकों के सम्मान में बनाया गया है। करीब 44 एकड़ में बने इस नेशनल वॉर मेमोरियल में 1947-48 ( पाकिस्तान), 1961 (गोवा), 1962 ( भारत-चीन युद्ध), 1965, 1971, 1987 (पाकिस्तान), 1987-88 (श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के ऑपरेशन), 1999 ( कारगिल, भारत-पाकिस्तान) और अन्य युद्धों में शहीद हुए 25,942 सैनिकों के नाम पत्थर पर लिखे गए हैं।

Photo of National War Memorial, C - Hexagon, India Gate, New Delhi, Delhi, India by Hitendra Gupta

असल में प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में सन 1931 में इंडिया गेट का निर्माण किया गया था। उस समय करीब 83,000 शहीदों में से 13,516 शहीदों के नाम इंडिया गेट के चारों तरफ अंकित किए गए। इसके बाद 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए 1972 में इंडिया गेट की मेहराब के नीचे अमर जवान ज्योति के साथ उल्टी राइफल पर हेलमेट लगाया गया। लेकिन आजादी के बाद अन्य युद्धों में शहीद हुए सैनिकों के लिए कोई स्मारक नहीं था।

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इन सैनिकों की याद में राष्ट्रीय समर स्मारक की मांग सन 1961 से ही हो रही थी। मोदी सरकार ने 07 अक्तूबर, 2015 को इसे बनाने की मंजूरी दे दी। इस स्मारक के डिजाइन के लिए 2016-17 में एक वैश्विक प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमें वेबे डिजाइन लैब, (WeBe design Lab) चेन्नई के योगेश चंद्रहासन विजेता बने। उन्हें परियोजना सलाहकार नियुक्त किया गया और तैयार हो जाने पर प्रधानमंत्री मोदी ने 25 फरवरी, 2019 को इसे देश की ओर से सशस्त्र सेनाओं को समर्पित कर दिया। इसे बनाने की कुल लागत 176 करोड़ रुपए है।

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समर स्मारक के मुख्य संरचना को चार चक्रों में बनाया गया है। प्रत्येक चक्र सशस्त्र बलों के विभिन्न मूल्यों को दर्शाता है। इसे चक्रव्यूह की संरचना से प्रेरणा लेते हुए बनाया गया है।

1. अमर चक्र- यहां अमर ज्योति के साथ एक स्मारक स्तंभ है। यह ज्योति शहीद सैनिकों की आत्मा की अमरता का प्रतीक है।

2. वीरता चक्र- इसमें सशस्त्र सेनाओं द्वारा लड़ी गई छह वीरतापूर्ण लड़ाइयों को कांस्य भित्ति-चित्रों के माध्यम से दिखाया गया है।

3. त्याग चक्र- यहां की दीवारों में ग्रेनाइट की पट्टिकाएं लगी हैं और सर्वोच्च बलिदान करने वाले प्रत्येक सैनिक को एक ग्रेनाइट पट्टिका समर्पित है और उनके नाम स्वर्णाक्षरों में उत्कीर्ण किए गए हैं।

4. रक्षक चक्र- रक्षक चक्र में घने वृक्षों की पंक्ति किसी भी प्रकार के खतरे से देश के नागरिकों की सुरक्षा का आश्वासन देता है। यहां प्रत्येक वृक्ष राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता की दिन-रात रक्षा करने वाले बहुत से सैनिकों का प्रतिनिधित्व करता है।

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ध्यान रखें-

*यह शहीद सैनिकों की याद में बनाया गया स्मारक है इस लिए यहां गरिमापूर्ण और सम्मानजनक व्यवहार करें।

*यहां मोबाइल फोन को 'साइलेंट मोड' में रखें।

*यहां शोर न मचाएं और ऊंची आवाज में बात न करें।

*यहां धूम्रपान, शराब और मादक पदार्थों का सेवन निषिद्ध है।

*यहां बने चित्रों, प्रतिमाओं और प्रतिष्ठा दीवारों को न छूएं।

*कोई भी खाद्य सामग्री, थैले या बैग लेकर यहां न आएं।

*यहां कैमरा ट्राइपॉडस का इस्तेमाल न करें।

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यहां हर शाम रिट्रीट सेरेमनी भी होता है जिसमें आप शामिल हो सकते हैं। समर स्मारक परिसर खास समय को छोड़कर प्रतिदिन खुला रहता है और यहां प्रवेश नि: शुल्क है। सर्दी में आप यहां सुबह 09.00 बजे से शाम 07 बजे तक और गर्मी में शाम को 08.00 बजे तक प्रवेश कर सकते हैं।

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कैसे पहुंचे-

इंडिया गेट के पास होने के कारण यहां पहुंचना काफी आसान है। यहां आप केंद्रीय सचिवालय या उद्योग भवन मेट्रो स्टेशन से पैदल या ऑटो लेकर आ सकते हैं। दिल्ली के तकरीबन सभी इलाकों से आप बस से भी यहां पहुंच सकते हैं।

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कब पहुंचे-

दिल्ली में होने के कारण यहां गर्मी के साथ सर्दी भी जबरदस्त पड़ती है। इसलिए यहां फरवरी से मार्च और सितंबर से नवंबर के बीच आना घूमने के लिए अच्छा रहता है। इस समय आप ज्यादा इंज्वॉय कर सकते हैं।

फोटो सौजन्य राष्ट्रीय समर स्मारक

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नजदीकी स्थल-

समर स्मारक के पास कई दर्शनीय स्थल है। इसके साथ ही पास में ही है इंडिया गेट। यहां के साथ आप राष्ट्रपति भवन और संसद भवन बाहर से देख सकते हैं। राष्ट्रपति भवन और संसद भवन के लिए अनुमति की जरूरी है। पास ही में गुरुद्वारा श्री बंगला साहिब और प्राचीन हनुमान मंदिर है। यहां दर्शन के साथ ही आप प्राचीन बिरला मंदिर, झंडेवालां मंदिर और रामकृष्ण आश्रम भी जा सकते हैं। पास में कुछ ही दूरी पर जंतर-मंतर और अग्रसेन की बावली भी है।

-हितेन्द्र गुप्ता