हॉर्नबिल एक चिड़िया का नाम है।हॉर्नबिल (Hornbill) उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय अफ्रीका, एशिया और मेलनेशिया (Melanesia) में पाए जाने वाला एक पक्षी है। इसे भारत में धनेश के नाम से भी जाना जाता है।
हॉर्नबिल फेस्टिवल नागालैंड में हर साल 1 दिसंबर से 10 दिसंबर तक मनाया जाता है। इस महोत्सव की शुरुआत 1 दिसंबर 2000 को हुई थी। इस समय ये पक्षी नागालैंड में बहुत अधिक मात्रा में दिखाई देते हैं।
हार्नबिल त्यौहार का यह नाम उसे हार्नबिल चिड़िया के नाम पर मिला है। इस चिड़िया को नागा जनजाति में पवित्र माना जाता है व नागाओं की पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र भी मिलता है।
नागालैंड में 16 से ज्यादा जनजाति हैं। सारी की सारी जनजातियों की बोली और रहन सहन अलग अलग है। आपस में बात करने के लिए इन्होने जो भाषा बनाई है। उसको नागामि बोला जाता है जो आसामी से मिलती जुलती है।
इस त्यौहार की शुरूआत वर्ष 2000 में नागालैंड सरकार ने कराई थी जिसका उद्देश्य नागा जनजातियों को आपस में एक दूसरे से परिचित कराना व देश दुनिया को नागा समाज की संस्कृति से रूबरू कराना था।
नागालैंड की प्रमुख जनजातियां में अंगामी, आओ, चाखेसांग, चांग, और कुकी जैसी कई अन्य जनजातियां शुमार हैं। नगा जनजाति में काफी विविधता है। नागालैंड में रहने वाली जनजातियों की अपनी अलग-अलग कला और संस्कृति है।
एक लम्बे समय से नागालैंड अशांति व हिंसा का शिकार रहा है तथा यह त्यौहार यहां के भटके हुये युवाओं को सही राह पर लाने व आपसी शांति बनाये रखने में काफी कारगर रहा है।
नागालैंड की 60 प्रतिशत से भी ज्यादा आबादी कृषि कार्यों पर आश्रित है। इसीलिये यह त्यौहार भी कृषि, उत्पादों, हस्तकला, भोजन, ग्रीन संगीत, नृत्य आदि के इर्द गिर्द घूमता नजर आता है।
इस त्यौहार में नागाओं के पारम्परिक खेलों, उनकी युद्ध कलाओं, नृत्य, गीत संगीत आदि का मंचन देखने को मिलता है।
इस महोत्सव का आयोजन कोहिमा के पास किसामा गाँव में होता है। नागालैंड में पाये जाने वाले 16 ट्राईब्स के रहन सहन और खान पान को एक है जगह पर देखने के लिए ये फेस्टिवल परफेक्ट है।
यहाँ पर आप अलग अलग ट्राईब्स द्वारा बनाई गयी राइस बियर का आनंद भी ले सकते हैं। ये महोत्सव नार्थ ईस्ट का सबसे बड़ा महोत्सव है।