
अब ट्रैकिंग करना हुआ सस्ता, 5 दिन का खर्चा 6000/।
एक दौर था जब पहाड़ों पर घूमने के लिए अच्छा खासा प्लानिंग के साथ अच्छा खासा पैसा भी लगता था भाई! लेकिन जैसे-जैसे कंपटीशन और सोशल मीडिया का जमाना आया मार्केटिंग प्लेटफार्म के तौर पर, वैसे- वैसे कई लोगों को ऊपर उठने का मौका मिला अपने अपने व्यवसाय में, कस्टमर तक आसान पहुंच के कारण अब ट्रैकिंग जो एक जमाने में 5 दिन का खर्चा 30 से 40,000/ का आता था। वहीं अब 5 to 6 दिन की ट्रैकिंग का खर्चा ₹6000/ यानी हजार रुपे से भी कम में प्रतिदिन का हो रहा है।बात करते हैं कश्मीर से लेकर उत्तराखंड हिमाचल तक हर जगह छोटी-बड़ी ट्रैकिंग ऑर्गेनाइजेशन खुलने से कंपटीशन भी बढ़ गया है जिसका फायदा घूमने वाले और एडवेंचर के पसंद लोगों को हो रहा है जहां उनके मनमाने दामों पर ट्रैकिंग पैकेज मिल जा रहे हैं।
कहीं ट्रैकिंग कंपनियां इस समय विंटर में बर्फबारी का आनंद लेने और सर्दियों का एहसास लेने जैसे वादों के साथ 5 से 6 दिन का ट्रैकिंग का पैकेज मात्र 5000/से ₹6000/ में दे रही है जो एकदम आकर्षक और आपकी जेब के लिए भी एकदम परफेक्ट है।
इस हिसाब से देखा जाए तो 6 दिन का आप का आना जाना रहना खाना पीना सब कुछ मात्र 5 से 6000/ में यह तो आपके किसी शहर में एक होटल के प्रति दिन के खर्चे से भी कम है बेहद कम!
क्या-क्या मिलती है सुविधाएं?
इस खर्चे में आपको पिक अप लोकेशन से ट्रैकिंग के बेस कैंप तक और वापसी में आपके स्टेशन तक छोड़ने का खर्चा शामिल होता है जिसमें 2 दिन आपका होटल या गेस्ट हाउस और बाकी के 4 दिन ऊपर पहाड़ों में घूमने। वहीं टेंट पर नाइट स्टे रहना खाना आना-जाना सब कुछ सम्मिलित होता है।
साथ में बेसिक मेडिकल फैसिलिटी भी।
होता कैसे हैं?
ट्रैकिंग पैकेज की शुरुआत आपके उत्तराखंड में देहरादून या ऋषिकेश से 350 किलोमीटर की सीमित दूरी पर स्थित किसी भी ट्रैकिंग के बेस कैंप से आना जाना ,2 दिन ट्रैकिंग बेस कैंप पर स्थित होटल या होमस्टे पर रहना खाना। 3 दिन ऊपर ट्रैकिंग के दौरान रात्रि टेंट में रुकना रहना खाना और गाइड की सुविधा उपलब्ध रहती है।
खाने में क्या मिलता है?
लगभग सभी ट्रैकिंग कंपनियां खाने में घर का जैसा सादा भोजन परोसती है। जिसमें रोटी सब्जी, चावल मिक्स वेज। स्वीट डिश में यहां तक गुलाब जामुन और जलेबी परोसी जा रही है।
और सुबह शाम 2 से 3 वक्त का चाय और गर्म पानी तो है ही सम्मिलित! और कुछ एक दिन फल चॉकलेट और टॉफियां या फिर रिफ्रेशमेंट भी मिल जाता है।
यह बजट कब तक का है?
अक्सर सर्दियों में की जाने वाली 3से 4 दिन की ट्रैकिंग का यह बजट है। जिसमें 2 दिन आपके ट्रैवल टाइम भी सम्मिलित रहते हैं।
सर्दियों या विंटर ट्रैकिंग में कैसा रहता है मौसम?
अधिकतर सर्दियों में की जाने वाली ट्रैकिंग उत्तराखंड में ही होती है। इस दौरान मौसम दिसंबर अंत से लेकर के मार्च प्रथम सप्ताह तक खूब बर्फबारी होती है।
कहां जाएं?
इस बजट में आपको मुख्य रूप से केदारकांठा और ब्रह्मताल के ट्रक पर जाना चाहिए। जोकि उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जनपद के अंतर्गत आते हैं। जिन की दूरी ऋषिकेश देहरादून से अनुमानित 300 से 350 किलोमीटर के आसपास है। रोड के द्वारा तय की जाने वाली इस दूरी को हम अगर समय पर बात करें तो 9 से 12 घंटे का समय लगता है।
क्या यह सुरक्षित है?
सुरक्षा की दृष्टि से यह संतोषजनक ट्रैवल पैकेज रहता है। यहां सभी प्रशिक्षित ट्रेन गाइड आपको ट्रैकिंग कराते हैं जहां आपको सभी उचित जरूरी सलाह और सुझाव दिए जाते हैं।
सुझाव दी जाती है कि आप सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थाओं के द्वारा ही ट्रैकिंग पर जाएं जो कि उत्तराखंड टूरिज्म या फिर भारत सरकार के टूरिज्म बोर्ड पर सर्टिफाइड होते हैं।
तो चलिए फिर अब देर किस बात की?....
करो पैकिंग और निकलो पहाड़ों पर खुद को ढूंढो नेचर को निहारो और साफ-सुथरी हवा में बताओ कुछ समय।
जल्दी क्या है भाई शॉपिंग भी तो करनी है कपड़े वगैरा लेने हैं जूते सर्दियों वाले। ....
अब तो बजट ऊपर चला जाएगा।...
अलग से शॉपिंग करने की जरूरत नहीं है। इसका भी इंतजाम है ट्रेकिंग के लिए आपको सर्दी वाले कपड़े और जूते भी किराए पर मिल रहे हैं। उचित दामों पर जिन का किराया प्रतिदिन ₹100 से लेकर ₹800 तक होता है।
तो दोस्तों सभी जरूरी बातें तो बता दी हैं। आपको पोस्ट कैसा लगा कमेंट करें। लाइक करें। शेयर करें और किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए आप डायरेक्ट मुझे मैसेज कर सकते हैं।
आपका पहाड़ी गाइड.
ट्रैकिंग के बाद आप भी गुनगुनाओगे.... मेरा दिल कहीं दूर... पहाड़ों में खो गया।...





