बाबा तुन्ग्नाथ । सोलो ट्रेवलर्स

Tripoto
15th Mar 2022
Day 2
Photo of बाबा तुन्ग्नाथ । सोलो ट्रेवलर्स by parmeshwar verma
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Photo of बाबा तुन्ग्नाथ । सोलो ट्रेवलर्स by parmeshwar verma
Day 3

हेल्लो  दोस्तो  मेने  ये  ट्रिप कोटा राजस्थान   से सुरु की ती।
कोटा से देहरादून जाने के लिये आपको ट्रेन ओर बस से जा  सकते  हो। अगर आप हवाई यात्रा से जाते हो तो आपको दिल्ली से देहरादून की  फ्लाइट  लेनी  पड़ेगी। मेने ये सफर ट्रेन  से स्टार्ट किया। मे स्टेशन पर 5 बजे पहुच गया ता, मेने जल्दी खाने पिने के सामान लिये ओर निकल गया प्लेटफॉर्म नम्बर 4 पर 5:55पर मेरी नंदा देवी सुपर पास्ट  ट्रेन  ती। फिर क्या ता ट्रेन आयी ओर मे बेत गया अपनी सीट मे।

DAY 2
मे दिन बर से थक गया ता  मे बस  बेटा ओर आंख लग गई। सुबह 5:40 पर मे देहरादून था। मेने टेम्पो लिया ओर निकल गया बस स्टैंड के  लिये वहा मेने नास्त किया  ओर पानी की बोतल लेके टिकट काउंटर पर चला  गया। जल्दी मे टिकट लेके बेट  गया बस मे,जल्दी इसलिये ती क्युकी हिमालय श्र्ख्ंला सुरु  होंने वाली  ती ।
मे बहुत बेचैन था देखने के लिये ,1 हाऊर मे ऋषिकेश पहुच गया, वहा  से था असली ऐडवेंचर पहाडो का क्युकि मे कबी गया नी था पहाडो मे,जेसे ही पहाड सुरु हुए मेरी धड़कन ओर बढ्ने लग गई ।
पता ही नी चला कब मे श्रीनगर पहुच गया पहाड देखते देखते,
मेरे लिये ये सब नया ता वहा बस 20 मिनट रुकी जब तक मेने चाय पी एक सर्दी मे ,ओर फिर रवाना दो बजे मे रुद्रप्रयाग पहुच गया ।
वहा मेने ज्यादा टाईम वेस्ट नी किया, वहा से आपको चोपता के लिये आसानी से टैक्सी ओर बस मिल जाती हैं, मुजे गुप्तकशी पुलिया  पहुचते अन्धेरा होने लग गया ता किन्तु मुजे आज हर हाल मे चोपता पहुचना ता क्युकी सुबह जल्दी ट्रैक करना ता, ऊखीमठ से 10 km  आगे निकलते ही स्नोफाल गिर रहा ता ,मुजे ये सफर बहुत अच्छा लग रहा  ता, मै  9 बजे चोपता पहुच गया ।मेने खाना खाया ओर होटल सर्च करने लग गया 500 मे नाइट स्टे क लिये मुजे होटल मिल गया ओर मे जेसे का जेसा ही सो गया क्युकी सर्दी बहुत जोरदार ती।

Photo of बाबा तुन्ग्नाथ । सोलो ट्रेवलर्स by parmeshwar verma

DAY 3

DAY 3
सबसे ज्यदा ऐडवेंचर मेरे लिये ये दिन वाला ता क्युकी  स्नोव्व बहुत गिर रही ती ओर 4 km  ट्रैक करना ता ,मेने गर्म पकडे पहने ओर 1 लकडी लेके निकल गया 6 बजे, 1 km  तक तो मुजे कोई दिक्कत नी आयी किन्तु अब जो होने वाला ता वो बहुत खतरनाक ता क्युकी स्नोव काफी कठोर हो गई  ती जम के ,

DAY 3
सबसे ज्यदा ऐडवेंचर मेरे लिये ये दिन वाला ता क्युकी  स्नोव्व बहुत गिर रही ती ओर 4 km  ट्रैक करना ता ,मेने गर्म पकडे पहने ओर 1 लकडी लेके निकल गया 6 बजे, 1 km  तक तो मुजे कोई दिक्कत नी आयी किन्तु अब जो होने वाला ता वो बहुत खतरनाक ता क्युकी स्नोव काफी कठोर हो गई  ती जम के , मेने एक एक कदम्ब सम्भाल कर रखा ता कही फिसल गया  तो मे सिदा खाई मे जाता , कुच दोस्त मिल जिनसे बाते करते करते मेने ट्रैक जारी  रखा, एक ढाबे पर हमने चाय पी गप्पे सप्पे मारते मारते हम आगें  बद्ते रहे, बस हम पहुच गये  बाबा तुन्ग्नाथ, मेरी लाइफ का ये एसा मूवमेंट ता जिसको मे कबी नी बुल सकता बस ये मानलो जन्नत  ती मेरे सामने बाबा के दर्शन करके तोड़ा मे बस बेट गया सुकून से।
अब वहा से 1 km  ओर उपर चलना ता चंद्रशिला के लिये ,दिरे दिरे कदम्ब समालते हुए मेने ट्रैक करना जारी रखा, चंद्रशिला पहुचते पहुचते 12 बज गये  थे हिमालय के टॉप पर जाके ऐसा लग रहा ता मानो मे बर्फ के टॉप पर हू जिदर देखू बस बर्फ ही बर्फ

DAY 3
सबसे ज्यदा ऐडवेंचर मेरे लिये ये दिन वाला ता क्युकी  स्नोव्व बहुत गिर रही ती ओर 4 km  ट्रैक करना ता ,मेने गर्म पकडे पहने ओर 1 लकडी लेके निकल गया 6 बजे, 1 km  तक तो मुजे कोई दिक्कत नी आयी किन्तु अब जो होने वाला ता वो बहुत खतरनाक ता क्युकी स्नोव काफी कठोर हो गई  ती जम के , मेने एक एक कदम्ब सम्भाल कर रखा ता कही फिसल गया  तो मे सिदा खाई मे जाता , कुच दोस्त मिल जिनसे बाते करते करते मेने ट्रैक जारी  रखा, एक ढाबे पर हमने चाय पी गप्पे सप्पे मारते मारते हम आगें  बद्ते रहे, बस हम पहुच गये  बाबा तुन्ग्नाथ, मेरी लाइफ का ये एसा मूवमेंट ता जिसको मे कबी नी बुल सकता बस ये मानलो जन्नत  ती मेरे सामने बाबा के दर्शन करके तोड़ा मे बस बेट गया सुकून से।
अब वहा से 1 km  ओर उपर चलना ता चंद्रशिला के लिये ,दिरे दिरे कदम्ब समालते हुए मेने ट्रैक करना जारी रखा, चंद्रशिला पहुचते पहुचते 12 बज गये  थे हिमालय के टॉप पर जाके ऐसा लग रहा ता मानो मे बर्फ के टॉप पर हू जिदर देखू बस बर्फ ही बर्फ । मेने कुच वीडियो ओर पिक ली ओर निचे आना आरंभ  कर दिया चाय की सुस्ती लेते हुए मे 4 बजे तक चोपता पहुच गया। भूख बहुत लग रही ती तो आते ही मेने खाना खाया ,थक बहुत गया  ता मे तो अब चलने का मन  नी था मेरा , मेने वही होटल लिया ओर नाइट स्टे के लिये रुक गया। इतना शान्त माहोल मेने पहली बार देखा ।

DAY  4

DAY 3
सबसे ज्यदा ऐडवेंचर मेरे लिये ये दिन वाला ता क्युकी  स्नोव्व बहुत गिर रही ती ओर 4 km  ट्रैक करना ता ,मेने गर्म पकडे पहने ओर 1 लकडी लेके निकल गया 6 बजे, 1 km  तक तो मुजे कोई दिक्कत नी आयी किन्तु अब जो होने वाला ता वो बहुत खतरनाक ता क्युकी स्नोव काफी कठोर हो गई  ती जम के , मेने एक एक कदम्ब सम्भाल कर रखा ता कही फिसल गया  तो मे सिदा खाई मे जाता , कुच दोस्त मिल जिनसे बाते करते करते मेने ट्रैक जारी  रखा, एक ढाबे पर हमने चाय पी गप्पे सप्पे मारते मारते हम आगें  बद्ते रहे, बस हम पहुच गये  बाबा तुन्ग्नाथ, मेरी लाइफ का ये एसा मूवमेंट ता जिसको मे कबी नी बुल सकता बस ये मानलो जन्नत  ती मेरे सामने बाबा के दर्शन करके तोड़ा मे बस बेट गया सुकून से।
अब वहा से 1 km  ओर उपर चलना ता चंद्रशिला के लिये ,दिरे दिरे कदम्ब समालते हुए मेने ट्रैक करना जारी रखा, चंद्रशिला पहुचते पहुचते 12 बज गये  थे हिमालय के टॉप पर जाके ऐसा लग रहा ता मानो मे बर्फ के टॉप पर हू जिदर देखू बस बर्फ ही बर्फ । मेने कुच वीडियो ओर पिक ली ओर निचे आना आरंभ  कर दिया चाय की सुस्ती लेते हुए मे 4 बजे तक चोपता पहुच गया। भूख बहुत लग रही ती तो आते ही मेने खाना खाया ,थक बहुत गया  ता मे तो अब चलने का मन  नी था मेरा , मेने वही होटल लिया ओर नाइट स्टे के लिये रुक गया। इतना शान्त माहोल मेने पहली बार देखा ।

DAY  4
शाम  को को रिशिकेष से  ट्रेन ती मेरी तो मुजे उसी हिसाब से निकलना पडा वहा से , खाना  खाके तोढा ऋषिकेश  घुमा, ओर फिर मे निकल गया स्टेशन  के लिये

DAY  5

सुबह  6 बजे मे कोटा पहुच गया ।
अगर आपके पास टाईम ओर है तो आप कर्तिक स्वामी, धारी देवी,  देवप्रयाग, ऋषिकेश  घूम सकते हो ।।
केसा लगा कमेंट  मे अपना सुझाव  दे।
धन्यवाद् 

DAY 3
सबसे ज्यदा ऐडवेंचर मेरे लिये ये दिन वाला ता क्युकी  स्नोव्व बहुत गिर रही ती ओर 4 km  ट्रैक करना ता ,मेने गर्म पकडे पहने ओर 1 लकडी लेके निकल गया 6 बजे, 1 km  तक तो मुजे कोई दिक्कत नी आयी किन्तु अब जो होने वाला ता वो बहुत खतरनाक ता क्युकी स्नोव काफी कठोर हो गई  ती जम के , मेने एक एक कदम्ब सम्भाल कर रखा ता कही फिसल गया  तो मे सिदा खाई मे जाता , कुच दोस्त मिल जिनसे बाते करते करते मेने ट्रैक जारी  रखा, एक ढाबे पर हमने चाय पी गप्पे सप्पे मारते मारते हम आगें  बद्ते रहे, बस हम पहुच गये  बाबा तुन्ग्नाथ, मेरी लाइफ का ये एसा मूवमेंट ता जिसको मे कबी नी बुल सकता बस ये मानलो जन्नत  ती मेरे सामने बाबा के दर्शन करके तोड़ा मे बस बेट गया सुकून से।
अब वहा से 1 km  ओर उपर चलना ता चंद्रशिला के लिये ,दिरे दिरे कदम्ब समालते हुए मेने ट्रैक करना जारी रखा, चंद्रशिला पहुचते पहुचते 12 बज गये  थे हिमालय के टॉप पर जाके ऐसा लग रहा ता मानो मे बर्फ के टॉप पर हू जिदर देखू बस बर्फ ही बर्फ । मेने कुच वीडियो ओर पिक ली ओर निचे आना आरंभ  कर दिया चाय की सुस्ती लेते हुए मे 4 बजे तक चोपता पहुच गया। भूख बहुत लग रही ती तो आते ही मेने खाना खाया ,थक बहुत गया  ता मे तो अब चलने का मन  नी था मेरा , मेने वही होटल लिया ओर नाइट स्टे के लिये रुक गया। इतना शान्त माहोल मेने पहली बार देखा ।

DAY  4
शाम  को को रिशिकेष से  ट्रेन ती मेरी तो मुजे उसी हिसाब से निकलना पडा वहा से , खाना  खाके तोढा ऋषिकेश  घुमा, ओर फिर मे निकल गया स्टेशन  के लिये

DAY  5

सुबह  6 बजे मे कोटा पहुच गया ।
अगर आपके पास टाईम ओर है तो आप कर्तिक स्वामी, धारी देवी,  देवप्रयाग, ऋषिकेश  घूम सकते हो ।।
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धन्यवाद् 

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सबसे ज्यदा ऐडवेंचर मेरे लिये ये दिन वाला ता क्युकी  स्नोव्व बहुत गिर रही ती ओर 4 km  ट्रैक करना ता ,मेने गर्म पकडे पहने ओर 1 लकडी लेके निकल गया 6 बजे, 1 km  तक तो मुजे कोई दिक्कत नी आयी किन्तु अब जो होने वाला ता वो बहुत खतरनाक ता क्युकी स्नोव काफी कठोर हो गई  ती जम के , मेने एक एक कदम्ब सम्भाल कर रखा ता कही फिसल गया  तो मे सिदा खाई मे जाता , कुच दोस्त मिल जिनसे बाते करते करते मेने ट्रैक जारी  रखा, एक ढाबे पर हमने चाय पी गप्पे सप्पे मारते मारते हम आगें  बद्ते रहे, बस हम पहुच गये  बाबा तुन्ग्नाथ, मेरी लाइफ का ये एसा मूवमेंट ता जिसको मे कबी नी बुल सकता बस ये मानलो जन्नत  ती मेरे सामने बाबा के दर्शन करके तोड़ा मे बस बेट गया सुकून से।
अब वहा से 1 km  ओर उपर चलना ता चंद्रशिला के लिये ,दिरे दिरे कदम्ब समालते हुए मेने ट्रैक करना जारी रखा, चंद्रशिला पहुचते पहुचते 12 बज गये  थे हिमालय के टॉप पर जाके ऐसा लग रहा ता मानो मे बर्फ के टॉप पर हू जिदर देखू बस बर्फ ही बर्फ । मेने कुच वीडियो ओर पिक ली ओर निचे आना आरंभ  कर दिया चाय की सुस्ती लेते हुए मे 4 बजे तक चोपता पहुच गया। भूख बहुत लग रही ती तो आते ही मेने खाना खाया ,थक बहुत गया  ता मे तो अब चलने का मन  नी था मेरा , मेने वही होटल लिया ओर नाइट स्टे के लिये रुक गया। इतना शान्त माहोल मेने पहली बार देखा ।

DAY  4
शाम  को को रिशिकेष से  ट्रेन ती मेरी तो मुजे उसी हिसाब से निकलना पडा वहा से , खाना  खाके तोढा ऋषिकेश  घुमा, ओर फिर मे निकल गया स्टेशन  के लिये

DAY  5

सुबह  6 बजे मे कोटा पहुच गया ।
अगर आपके पास टाईम ओर है तो आप कर्तिक स्वामी, धारी देवी,  देवप्रयाग, ऋषिकेश  घूम सकते हो ।।
केसा लगा कमेंट  मे अपना सुझाव  दे।
धन्यवाद् 

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अब वहा से 1 km  ओर उपर चलना ता चंद्रशिला के लिये ,दिरे दिरे कदम्ब समालते हुए मेने ट्रैक करना जारी रखा, चंद्रशिला पहुचते पहुचते 12 बज गये  थे हिमालय के टॉप पर जाके ऐसा लग रहा ता मानो मे बर्फ के टॉप पर हू जिदर देखू बस बर्फ ही बर्फ । मेने कुच वीडियो ओर पिक ली ओर निचे आना आरंभ  कर दिया चाय की सुस्ती लेते हुए मे 4 बजे तक चोपता पहुच गया। भूख बहुत लग रही ती तो आते ही मेने खाना खाया ,थक बहुत गया  ता मे तो अब चलने का मन  नी था मेरा , मेने वही होटल लिया ओर नाइट स्टे के लिये रुक गया। इतना शान्त माहोल मेने पहली बार देखा ।

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शाम  को को रिशिकेष से  ट्रेन ती मेरी तो मुजे उसी हिसाब से निकलना पडा वहा से , खाना  खाके तोढा ऋषिकेश  घुमा, ओर फिर मे निकल गया स्टेशन  के लिये

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अगर आपके पास टाईम ओर है तो आप कर्तिक स्वामी, धारी देवी,  देवप्रयाग, ऋषिकेश  घूम सकते हो ।।
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अब वहा से 1 km  ओर उपर चलना ता चंद्रशिला के लिये ,दिरे दिरे कदम्ब समालते हुए मेने ट्रैक करना जारी रखा, चंद्रशिला पहुचते पहुचते 12 बज गये  थे हिमालय के टॉप पर जाके ऐसा लग रहा ता मानो मे बर्फ के टॉप पर हू जिदर देखू बस बर्फ ही बर्फ । मेने कुच वीडियो ओर पिक ली ओर निचे आना आरंभ  कर दिया चाय की सुस्ती लेते हुए मे 4 बजे तक चोपता पहुच गया। भूख बहुत लग रही ती तो आते ही मेने खाना खाया ,थक बहुत गया  ता मे तो अब चलने का मन  नी था मेरा , मेने वही होटल लिया ओर नाइट स्टे के लिये रुक गया। इतना शान्त माहोल मेने पहली बार देखा ।

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शाम  को को रिशिकेष से  ट्रेन ती मेरी तो मुजे उसी हिसाब से निकलना पडा वहा से , खाना  खाके तोढा ऋषिकेश  घुमा, ओर फिर मे निकल गया स्टेशन  के लिये

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सुबह  6 बजे मे कोटा पहुच गया ।
अगर आपके पास टाईम ओर है तो आप कर्तिक स्वामी, धारी देवी,  देवप्रयाग, ऋषिकेश  घूम सकते हो ।।
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सबसे ज्यदा ऐडवेंचर मेरे लिये ये दिन वाला ता क्युकी  स्नोव्व बहुत गिर रही ती ओर 4 km  ट्रैक करना ता ,मेने गर्म पकडे पहने ओर 1 लकडी लेके निकल गया 6 बजे, 1 km  तक तो मुजे कोई दिक्कत नी आयी किन्तु अब जो होने वाला ता वो बहुत खतरनाक ता क्युकी स्नोव काफी कठोर हो गई  ती जम के , मेने एक एक कदम्ब सम्भाल कर रखा ता कही फिसल गया  तो मे सिदा खाई मे जाता , कुच दोस्त मिल जिनसे बाते करते करते मेने ट्रैक जारी  रखा, एक ढाबे पर हमने चाय पी गप्पे सप्पे मारते मारते हम आगें  बद्ते रहे, बस हम पहुच गये  बाबा तुन्ग्नाथ, मेरी लाइफ का ये एसा मूवमेंट ता जिसको मे कबी नी बुल सकता बस ये मानलो जन्नत  ती मेरे सामने बाबा के दर्शन करके तोड़ा मे बस बेट गया सुकून से।
अब वहा से 1 km  ओर उपर चलना ता चंद्रशिला के लिये ,दिरे दिरे कदम्ब समालते हुए मेने ट्रैक करना जारी रखा, चंद्रशिला पहुचते पहुचते 12 बज गये  थे हिमालय के टॉप पर जाके ऐसा लग रहा ता मानो मे बर्फ के टॉप पर हू जिदर देखू बस बर्फ ही बर्फ । मेने कुच वीडियो ओर पिक ली ओर निचे आना आरंभ  कर दिया चाय की सुस्ती लेते हुए मे 4 बजे तक चोपता पहुच गया। भूख बहुत लग रही ती तो आते ही मेने खाना खाया ,थक बहुत गया  ता मे तो अब चलने का मन  नी था मेरा , मेने वही होटल लिया ओर नाइट स्टे के लिये रुक गया। इतना शान्त माहोल मेने पहली बार देखा ।

DAY  4
शाम  को को रिशिकेष से  ट्रेन ती मेरी तो मुजे उसी हिसाब से निकलना पडा वहा से , खाना  खाके तोढा ऋषिकेश  घुमा, ओर फिर मे निकल गया स्टेशन  के लिये

DAY  5

सुबह  6 बजे मे कोटा पहुच गया ।
अगर आपके पास टाईम ओर है तो आप कर्तिक स्वामी, धारी देवी,  देवप्रयाग, ऋषिकेश  घूम सकते हो ।।
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सबसे ज्यदा ऐडवेंचर मेरे लिये ये दिन वाला ता क्युकी  स्नोव्व बहुत गिर रही ती ओर 4 km  ट्रैक करना ता ,मेने गर्म पकडे पहने ओर 1 लकडी लेके निकल गया 6 बजे, 1 km  तक तो मुजे कोई दिक्कत नी आयी किन्तु अब जो होने वाला ता वो बहुत खतरनाक ता क्युकी स्नोव काफी कठोर हो गई  ती जम के , मेने एक एक कदम्ब सम्भाल कर रखा ता कही फिसल गया  तो मे सिदा खाई मे जाता , कुच दोस्त मिल जिनसे बाते करते करते मेने ट्रैक जारी  रखा, एक ढाबे पर हमने चाय पी गप्पे सप्पे मारते मारते हम आगें  बद्ते रहे, बस हम पहुच गये  बाबा तुन्ग्नाथ, मेरी लाइफ का ये एसा मूवमेंट ता जिसको मे कबी नी बुल सकता बस ये मानलो जन्नत  ती मेरे सामने बाबा के दर्शन करके तोड़ा मे बस बेट गया सुकून से।
अब वहा से 1 km  ओर उपर चलना ता चंद्रशिला के लिये ,दिरे दिरे कदम्ब समालते हुए मेने ट्रैक करना जारी रखा, चंद्रशिला पहुचते पहुचते 12 बज गये  थे हिमालय के टॉप पर जाके ऐसा लग रहा ता मानो मे बर्फ के टॉप पर हू जिदर देखू बस बर्फ ही बर्फ । मेने कुच वीडियो ओर पिक ली ओर निचे आना आरंभ  कर दिया चाय की सुस्ती लेते हुए मे 4 बजे तक चोपता पहुच गया। भूख बहुत लग रही ती तो आते ही मेने खाना खाया ,थक बहुत गया  ता मे तो अब चलने का मन  नी था मेरा , मेने वही होटल लिया ओर नाइट स्टे के लिये रुक गया। इतना शान्त माहोल मेने पहली बार देखा ।

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शाम  को को रिशिकेष से  ट्रेन ती मेरी तो मुजे उसी हिसाब से निकलना पडा वहा से , खाना  खाके तोढा ऋषिकेश  घुमा, ओर फिर मे निकल गया स्टेशन  के लिये

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सुबह  6 बजे मे कोटा पहुच गया ।
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सबसे ज्यदा ऐडवेंचर मेरे लिये ये दिन वाला ता क्युकी  स्नोव्व बहुत गिर रही ती ओर 4 km  ट्रैक करना ता ,मेने गर्म पकडे पहने ओर 1 लकडी लेके निकल गया 6 बजे, 1 km  तक तो मुजे कोई दिक्कत नी आयी किन्तु अब जो होने वाला ता वो बहुत खतरनाक ता क्युकी स्नोव काफी कठोर हो गई  ती जम के , मेने एक एक कदम्ब सम्भाल कर रखा ता कही फिसल गया  तो मे सिदा खाई मे जाता , कुच दोस्त मिल जिनसे बाते करते करते मेने ट्रैक जारी  रखा, एक ढाबे पर हमने चाय पी गप्पे सप्पे मारते मारते हम आगें  बद्ते रहे, बस हम पहुच गये  बाबा तुन्ग्नाथ, मेरी लाइफ का ये एसा मूवमेंट ता जिसको मे कबी नी बुल सकता बस ये मानलो जन्नत  ती मेरे सामने बाबा के दर्शन करके तोड़ा मे बस बेट गया सुकून से।
अब वहा से 1 km  ओर उपर चलना ता चंद्रशिला के लिये ,दिरे दिरे कदम्ब समालते हुए मेने ट्रैक करना जारी रखा, चंद्रशिला पहुचते पहुचते 12 बज गये  थे हिमालय के टॉप पर जाके ऐसा लग रहा ता मानो मे बर्फ के टॉप पर हू जिदर देखू बस बर्फ ही बर्फ । मेने कुच वीडियो ओर पिक ली ओर निचे आना आरंभ  कर दिया चाय की सुस्ती लेते हुए मे 4 बजे तक चोपता पहुच गया। भूख बहुत लग रही ती तो आते ही मेने खाना खाया ,थक बहुत गया  ता मे तो अब चलने का मन  नी था मेरा , मेने वही होटल लिया ओर नाइट स्टे के लिये रुक गया। इतना शान्त माहोल मेने पहली बार देखा ।

DAY  4
शाम  को को रिशिकेष से  ट्रेन ती मेरी तो मुजे उसी हिसाब से निकलना पडा वहा से , खाना  खाके तोढा ऋषिकेश  घुमा, ओर फिर मे निकल गया स्टेशन  के लिये

DAY  5

सुबह  6 बजे मे कोटा पहुच गया ।
अगर आपके पास टाईम ओर है तो आप कर्तिक स्वामी, धारी देवी,  देवप्रयाग, ऋषिकेश  घूम सकते हो ।।
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धन्यवाद् 

DAY 3
सबसे ज्यदा ऐडवेंचर मेरे लिये ये दिन वाला ता क्युकी  स्नोव्व बहुत गिर रही ती ओर 4 km  ट्रैक करना ता ,मेने गर्म पकडे पहने ओर 1 लकडी लेके निकल गया 6 बजे, 1 km  तक तो मुजे कोई दिक्कत नी आयी किन्तु अब जो होने वाला ता वो बहुत खतरनाक ता क्युकी स्नोव काफी कठोर हो गई  ती जम के , मेने एक एक कदम्ब सम्भाल कर रखा ता कही फिसल गया  तो मे सिदा खाई मे जाता , कुच दोस्त मिल जिनसे बाते करते करते मेने ट्रैक जारी  रखा, एक ढाबे पर हमने चाय पी गप्पे सप्पे मारते मारते हम आगें  बद्ते रहे, बस हम पहुच गये  बाबा तुन्ग्नाथ, मेरी लाइफ का ये एसा मूवमेंट ता जिसको मे कबी नी बुल सकता बस ये मानलो जन्नत  ती मेरे सामने बाबा के दर्शन करके तोड़ा मे बस बेट गया सुकून से।
अब वहा से 1 km  ओर उपर चलना ता चंद्रशिला के लिये ,दिरे दिरे कदम्ब समालते हुए मेने ट्रैक करना जारी रखा, चंद्रशिला पहुचते पहुचते 12 बज गये  थे हिमालय के टॉप पर जाके ऐसा लग रहा ता मानो मे बर्फ के टॉप पर हू जिदर देखू बस बर्फ ही बर्फ । मेने कुच वीडियो ओर पिक ली ओर निचे आना आरंभ  कर दिया चाय की सुस्ती लेते हुए मे 4 बजे तक चोपता पहुच गया। भूख बहुत लग रही ती तो आते ही मेने खाना खाया ,थक बहुत गया  ता मे तो अब चलने का मन  नी था मेरा , मेने वही होटल लिया ओर नाइट स्टे के लिये रुक गया। इतना शान्त माहोल मेने पहली बार देखा ।

DAY  4
शाम  को को रिशिकेष से  ट्रेन ती मेरी तो मुजे उसी हिसाब से निकलना पडा वहा से , खाना  खाके तोढा ऋषिकेश  घुमा, ओर फिर मे निकल गया स्टेशन  के लिये

DAY  5

सुबह  6 बजे मे कोटा पहुच गया ।
अगर आपके पास टाईम ओर है तो आप कर्तिक स्वामी, धारी देवी,  देवप्रयाग, ऋषिकेश  घूम सकते हो ।।
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DAY 3
सबसे ज्यदा ऐडवेंचर मेरे लिये ये दिन वाला ता क्युकी  स्नोव्व बहुत गिर रही ती ओर 4 km  ट्रैक करना ता ,मेने गर्म पकडे पहने ओर 1 लकडी लेके निकल गया 6 बजे, 1 km  तक तो मुजे कोई दिक्कत नी आयी किन्तु अब जो होने वाला ता वो बहुत खतरनाक ता क्युकी स्नोव काफी कठोर हो गई  ती जम के , मेने एक एक कदम्ब सम्भाल कर रखा ता कही फिसल गया  तो मे सिदा खाई मे जाता , कुच दोस्त मिल जिनसे बाते करते करते मेने ट्रैक जारी  रखा, एक ढाबे पर हमने चाय पी गप्पे सप्पे मारते मारते हम आगें  बद्ते रहे, बस हम पहुच गये  बाबा तुन्ग्नाथ, मेरी लाइफ का ये एसा मूवमेंट ता जिसको मे कबी नी बुल सकता बस ये मानलो जन्नत  ती मेरे सामने बाबा के दर्शन करके तोड़ा मे बस बेट गया सुकून से।
अब वहा से 1 km  ओर उपर चलना ता चंद्रशिला के लिये ,दिरे दिरे कदम्ब समालते हुए मेने ट्रैक करना जारी रखा, चंद्रशिला पहुचते पहुचते 12 बज गये  थे हिमालय के टॉप पर जाके ऐसा लग रहा ता मानो मे बर्फ के टॉप पर हू जिदर देखू बस बर्फ ही बर्फ । मेने कुच वीडियो ओर पिक ली ओर निचे आना आरंभ  कर दिया चाय की सुस्ती लेते हुए मे 4 बजे तक चोपता पहुच गया। भूख बहुत लग रही ती तो आते ही मेने खाना खाया ,थक बहुत गया  ता मे तो अब चलने का मन  नी था मेरा , मेने वही होटल लिया ओर नाइट स्टे के लिये रुक गया। इतना शान्त माहोल मेने पहली बार देखा ।

DAY  4
शाम  को को रिशिकेष से  ट्रेन ती मेरी तो मुजे उसी हिसाब से निकलना पडा वहा से , खाना  खाके तोढा ऋषिकेश  घुमा, ओर फिर मे निकल गया स्टेशन  के लिये

DAY  5

सुबह  6 बजे मे कोटा पहुच गया ।
अगर आपके पास टाईम ओर है तो आप कर्तिक स्वामी, धारी देवी,  देवप्रयाग, ऋषिकेश  घूम सकते हो ।।
केसा लगा कमेंट  मे अपना सुझाव  दे।
धन्यवाद् 

DAY 3
सबसे ज्यदा ऐडवेंचर मेरे लिये ये दिन वाला ता क्युकी  स्नोव्व बहुत गिर रही ती ओर 4 km  ट्रैक करना ता ,मेने गर्म पकडे पहने ओर 1 लकडी लेके निकल गया 6 बजे, 1 km  तक तो मुजे कोई दिक्कत नी आयी किन्तु अब जो होने वाला ता वो बहुत खतरनाक ता क्युकी स्नोव काफी कठोर हो गई  ती जम के , मेने एक एक कदम्ब सम्भाल कर रखा ता कही फिसल गया  तो मे सिदा खाई मे जाता , कुच दोस्त मिल जिनसे बाते करते करते मेने ट्रैक जारी  रखा, एक ढाबे पर हमने चाय पी गप्पे सप्पे मारते मारते हम आगें  बद्ते रहे, बस हम पहुच गये  बाबा तुन्ग्नाथ, मेरी लाइफ का ये एसा मूवमेंट ता जिसको मे कबी नी बुल सकता बस ये मानलो जन्नत  ती मेरे सामने बाबा के दर्शन करके तोड़ा मे बस बेट गया सुकून से।
अब वहा से 1 km  ओर उपर चलना ता चंद्रशिला के लिये ,दिरे दिरे कदम्ब समालते हुए मेने ट्रैक करना जारी रखा, चंद्रशिला पहुचते पहुचते 12 बज गये  थे हिमालय के टॉप पर जाके ऐसा लग रहा ता मानो मे बर्फ के टॉप पर हू जिदर देखू बस बर्फ ही बर्फ । मेने कुच वीडियो ओर पिक ली ओर निचे आना आरंभ  कर दिया चाय की सुस्ती लेते हुए मे 4 बजे तक चोपता पहुच गया। भूख बहुत लग रही ती तो आते ही मेने खाना खाया ,थक बहुत गया  ता मे तो अब चलने का मन  नी था मेरा , मेने वही होटल लिया ओर नाइट स्टे के लिये रुक गया। इतना शान्त माहोल मेने पहली बार देखा ।

DAY  4
शाम  को को रिशिकेष से  ट्रेन ती मेरी तो मुजे उसी हिसाब से निकलना पडा वहा से , खाना  खाके तोढा ऋषिकेश  घुमा, ओर फिर मे निकल गया स्टेशन  के लिये

DAY  5

सुबह  6 बजे मे कोटा पहुच गया ।
अगर आपके पास टाईम ओर है तो आप कर्तिक स्वामी, धारी देवी,  देवप्रयाग, ऋषिकेश  घूम सकते हो ।।
केसा लगा कमेंट  मे अपना सुझाव  दे।
धन्यवाद् 

DAY 3
सबसे ज्यदा ऐडवेंचर मेरे लिये ये दिन वाला ता क्युकी  स्नोव्व बहुत गिर रही ती ओर 4 km  ट्रैक करना ता ,मेने गर्म पकडे पहने ओर 1 लकडी लेके निकल गया 6 बजे, 1 km  तक तो मुजे कोई दिक्कत नी आयी किन्तु अब जो होने वाला ता वो बहुत खतरनाक ता क्युकी स्नोव काफी कठोर हो गई  ती जम के , मेने एक एक कदम्ब सम्भाल कर रखा ता कही फिसल गया  तो मे सिदा खाई मे जाता , कुच दोस्त मिल जिनसे बाते करते करते मेने ट्रैक जारी  रखा, एक ढाबे पर हमने चाय पी गप्पे सप्पे मारते मारते हम आगें  बद्ते रहे, बस हम पहुच गये  बाबा तुन्ग्नाथ, मेरी लाइफ का ये एसा मूवमेंट ता जिसको मे कबी नी बुल सकता बस ये मानलो जन्नत  ती मेरे सामने बाबा के दर्शन करके तोड़ा मे बस बेट गया सुकून से।
अब वहा से 1 km  ओर उपर चलना ता चंद्रशिला के लिये ,दिरे दिरे कदम्ब समालते हुए मेने ट्रैक करना जारी रखा, चंद्रशिला पहुचते पहुचते 12 बज गये  थे हिमालय के टॉप पर जाके ऐसा लग रहा ता मानो मे बर्फ के टॉप पर हू जिदर देखू बस बर्फ ही बर्फ । मेने कुच वीडियो ओर पिक ली ओर निचे आना आरंभ  कर दिया चाय की सुस्ती लेते हुए मे 4 बजे तक चोपता पहुच गया। भूख बहुत लग रही ती तो आते ही मेने खाना खाया ,थक बहुत गया  ता मे तो अब चलने का मन  नी था मेरा , मेने वही होटल लिया ओर नाइट स्टे के लिये रुक गया। इतना शान्त माहोल मेने पहली बार देखा ।

DAY  4
शाम  को को रिशिकेष से  ट्रेन ती मेरी तो मुजे उसी हिसाब से निकलना पडा वहा से , खाना  खाके तोढा ऋषिकेश  घुमा, ओर फिर मे निकल गया स्टेशन  के लिये

DAY  5

सुबह  6 बजे मे कोटा पहुच गया ।
अगर आपके पास टाईम ओर है तो आप कर्तिक स्वामी, धारी देवी,  देवप्रयाग, ऋषिकेश  घूम सकते हो ।।
केसा लगा कमेंट  मे अपना सुझाव  दे।
धन्यवाद् 

DAY 3
सबसे ज्यदा ऐडवेंचर मेरे लिये ये दिन वाला ता क्युकी  स्नोव्व बहुत गिर रही ती ओर 4 km  ट्रैक करना ता ,मेने गर्म पकडे पहने ओर 1 लकडी लेके निकल गया 6 बजे, 1 km  तक तो मुजे कोई दिक्कत नी आयी किन्तु अब जो होने वाला ता वो बहुत खतरनाक ता क्युकी स्नोव काफी कठोर हो गई  ती जम के , मेने एक एक कदम्ब सम्भाल कर रखा ता कही फिसल गया  तो मे सिदा खाई मे जाता , कुच दोस्त मिल जिनसे बाते करते करते मेने ट्रैक जारी  रखा, एक ढाबे पर हमने चाय पी गप्पे सप्पे मारते मारते हम आगें  बद्ते रहे, बस हम पहुच गये  बाबा तुन्ग्नाथ, मेरी लाइफ का ये एसा मूवमेंट ता जिसको मे कबी नी बुल सकता बस ये मानलो जन्नत  ती मेरे सामने बाबा के दर्शन करके तोड़ा मे बस बेट गया सुकून से।
अब वहा से 1 km  ओर उपर चलना ता चंद्रशिला के लिये ,दिरे दिरे कदम्ब समालते हुए मेने ट्रैक करना जारी रखा, चंद्रशिला पहुचते पहुचते 12 बज गये  थे हिमालय के टॉप पर जाके ऐसा लग रहा ता मानो मे बर्फ के टॉप पर हू जिदर देखू बस बर्फ ही बर्फ । मेने कुच वीडियो ओर पिक ली ओर निचे आना आरंभ  कर दिया चाय की सुस्ती लेते हुए मे 4 बजे तक चोपता पहुच गया। भूख बहुत लग रही ती तो आते ही मेने खाना खाया ,थक बहुत गया  ता मे तो अब चलने का मन  नी था मेरा , मेने वही होटल लिया ओर नाइट स्टे के लिये रुक गया। इतना शान्त माहोल मेने पहली बार देखा ।

DAY  4
शाम  को को रिशिकेष से  ट्रेन ती मेरी तो मुजे उसी हिसाब से निकलना पडा वहा से , खाना  खाके तोढा ऋषिकेश  घुमा, ओर फिर मे निकल गया स्टेशन  के लिये

DAY  5

सुबह  6 बजे मे कोटा पहुच गया ।
अगर आपके पास टाईम ओर है तो आप कर्तिक स्वामी, धारी देवी,  देवप्रयाग, ऋषिकेश  घूम सकते हो ।।
केसा लगा कमेंट  मे अपना सुझाव  दे।
धन्यवाद् 

DAY 3
सबसे ज्यदा ऐडवेंचर मेरे लिये ये दिन वाला ता क्युकी  स्नोव्व बहुत गिर रही ती ओर 4 km  ट्रैक करना ता ,मेने गर्म पकडे पहने ओर 1 लकडी लेके निकल गया 6 बजे, 1 km  तक तो मुजे कोई दिक्कत नी आयी किन्तु अब जो होने वाला ता वो बहुत खतरनाक ता क्युकी स्नोव काफी कठोर हो गई  ती जम के , मेने एक एक कदम्ब सम्भाल कर रखा ता कही फिसल गया  तो मे सिदा खाई मे जाता , कुच दोस्त मिल जिनसे बाते करते करते मेने ट्रैक जारी  रखा, एक ढाबे पर हमने चाय पी गप्पे सप्पे मारते मारते हम आगें  बद्ते रहे, बस हम पहुच गये  बाबा तुन्ग्नाथ, मेरी लाइफ का ये एसा मूवमेंट ता जिसको मे कबी नी बुल सकता बस ये मानलो जन्नत  ती मेरे सामने बाबा के दर्शन करके तोड़ा मे बस बेट गया सुकून से।
अब वहा से 1 km  ओर उपर चलना ता चंद्रशिला के लिये ,दिरे दिरे कदम्ब समालते हुए मेने ट्रैक करना जारी रखा, चंद्रशिला पहुचते पहुचते 12 बज गये  थे हिमालय के टॉप पर जाके ऐसा लग रहा ता मानो मे बर्फ के टॉप पर हू जिदर देखू बस बर्फ ही बर्फ । मेने कुच वीडियो ओर पिक ली ओर निचे आना आरंभ  कर दिया चाय की सुस्ती लेते हुए मे 4 बजे तक चोपता पहुच गया। भूख बहुत लग रही ती तो आते ही मेने खाना खाया ,थक बहुत गया  ता मे तो अब चलने का मन  नी था मेरा , मेने वही होटल लिया ओर नाइट स्टे के लिये रुक गया। इतना शान्त माहोल मेने पहली बार देखा ।

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शाम  को को रिशिकेष से  ट्रेन ती मेरी तो मुजे उसी हिसाब से निकलना पडा वहा से , खाना  खाके तोढा ऋषिकेश  घुमा, ओर फिर मे निकल गया स्टेशन  के लिये

DAY  5

सुबह  6 बजे मे कोटा पहुच गया ।
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धन्यवाद् 

DAY 3
सबसे ज्यदा ऐडवेंचर मेरे लिये ये दिन वाला ता क्युकी  स्नोव्व बहुत गिर रही ती ओर 4 km  ट्रैक करना ता ,मेने गर्म पकडे पहने ओर 1 लकडी लेके निकल गया 6 बजे, 1 km  तक तो मुजे कोई दिक्कत नी आयी किन्तु अब जो होने वाला ता वो बहुत खतरनाक ता क्युकी स्नोव काफी कठोर हो गई  ती जम के , मेने एक एक कदम्ब सम्भाल कर रखा ता कही फिसल गया  तो मे सिदा खाई मे जाता , कुच दोस्त मिल जिनसे बाते करते करते मेने ट्रैक जारी  रखा, एक ढाबे पर हमने चाय पी गप्पे सप्पे मारते मारते हम आगें  बद्ते रहे, बस हम पहुच गये  बाबा तुन्ग्नाथ, मेरी लाइफ का ये एसा मूवमेंट ता जिसको मे कबी नी बुल सकता बस ये मानलो जन्नत  ती मेरे सामने बाबा के दर्शन करके तोड़ा मे बस बेट गया सुकून से।
अब वहा से 1 km  ओर उपर चलना ता चंद्रशिला के लिये ,दिरे दिरे कदम्ब समालते हुए मेने ट्रैक करना जारी रखा, चंद्रशिला पहुचते पहुचते 12 बज गये  थे हिमालय के टॉप पर जाके ऐसा लग रहा ता मानो मे बर्फ के टॉप पर हू जिदर देखू बस बर्फ ही बर्फ । मेने कुच वीडियो ओर पिक ली ओर निचे आना आरंभ  कर दिया चाय की सुस्ती लेते हुए मे 4 बजे तक चोपता पहुच गया। भूख बहुत लग रही ती तो आते ही मेने खाना खाया ,थक बहुत गया  ता मे तो अब चलने का मन  नी था मेरा , मेने वही होटल लिया ओर नाइट स्टे के लिये रुक गया। इतना शान्त माहोल मेने पहली बार देखा ।

DAY  4
शाम  को को रिशिकेष से  ट्रेन ती मेरी तो मुजे उसी हिसाब से निकलना पडा वहा से , खाना  खाके तोढा ऋषिकेश  घुमा, ओर फिर मे निकल गया स्टेशन  के लिये

DAY  5

सुबह  6 बजे मे कोटा पहुच गया ।
अगर आपके पास टाईम ओर है तो आप कर्तिक स्वामी, धारी देवी,  देवप्रयाग, ऋषिकेश  घूम सकते हो ।।
केसा लगा कमेंट  मे अपना सुझाव  दे।
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