इस बार खास तरीके से मनाएं जन्माष्टमी, भारत के इन शहरों में अद्भुत तरह से बनता है ये त्यौहार

Tripoto
Photo of इस बार खास तरीके से मनाएं जन्माष्टमी, भारत के इन शहरों में अद्भुत तरह से बनता है ये त्यौहार by We The Wanderfuls

भगवान कृष्ण के बाल स्वरुप के किस्से हम जब भी सुनते है चेहरे पर एक खास मुस्कान आ ही जाती है और बाल गोपाल कृष्ण की ऐसी अनेक लीलाएं हैं जिन्हें जब भी हम किसी टीवी शो में या किसी फिल्म वगैरह में देखते हैं तो मन अत्यंत प्रसन्न हो जाता है। इसीलिए हर वर्ष कृष्ण जन्मोत्सव हमारे देश के अनेक छोटे-बड़े शहरों में बड़ी धूम-धाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन अलग-अलग जगहों पर अपने-अपने सुन्दर तरीकों के साथ बाल-गोपाल कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है।

इसके अलावा आपको बता दें कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और इसीलिए हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्यौहार बड़ी धूम-धाम से पुरे देश में मनाया जाता है। इस बार जन्माष्ठमी 7 सितम्बर यानी की गुरुवार की आ रही है और इसीलिए कई लोग शुक्रवार की छुट्टी लेकर लॉन्ग वीकेंड में कहीं घूमने जाने का प्लान भी कर रहे हैं। तो अगर आप भी उनमे से हैं और घूमने के साथ ही इस बार जन्माष्टमी का त्यौहार एक खास शहर और एक खास तरीके से बनाना चाहते हैं तो आज का हमारा ये लेख आपके बहुत काम आने वाला है जिसमें हम आपको देश के 7 ऐसी जगहों के बारे में बताने वाले जहाँ जन्माष्टमी का उत्सव अनोखे अंदाज़ में बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। तो चलिए शुरू करते हैं...

वृन्दावन,उत्तरप्रदेश

उत्तरप्रदेश के वृन्दावन में मनाई जाने वाली जन्माष्टमी के किस्से देश ही क्या विदेशों में सुनाये जाते हैं। आखिर ऐसा क्यों न हो? भगवान कृष्ण ने अपने बचपन का अच्छा खासा समय इस अद्भुत नगरी में ही तो बिताया था। आपने बालगोपाल कृष्ण की बाल लीलाओं के किस्से जैसे कि माखन चुराना आदि जरूर सुने होंगे ऐसा बताया जाता है कि उनमें से अधिकतर लीलाएं भगवान ने वृन्दावन में ही की थी। इसीलिए आज भी वृन्दावन में जन्माष्टमी का त्यौहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। यहाँ जन्माष्टमी से 1-2 नहीं बल्कि 10 दिन पहले से ही जन्माष्टमी का उत्सव शुरू हो जाता है। इन 10 दिनों में वृन्दावन की पवित्र नगरी भजन, मृदंग और घंटियों की मनमोहक ध्वनियों के साथ कहीं अधिक जीवंत हो उठती है। इसके अलावा भी कई जगहों पर भगवान कृष्ण की लीलाओं का नाट्य रूपांतरण बड़ी ही सुंदरता से किया जाता है। इस समय आप अगर वृन्दावन जाकर आएंगे तो यकीन मानिये वृन्दावन से वापस जाने पर भी यहाँ बिताये हुए कुछ अद्भुत पल आपकी यादों में हमेशा के लिए आपके साथ ही रह जायेंगे।

बांके बिहारी मंदिर फोटो क्रेडिट: Vrindavan Today

Photo of Vrindavan, Agra Division by We The Wanderfuls

मथुरा, उत्तरप्रदेश

उत्तरप्रदेश में वृन्दावन की जन्माष्टमी के बारे में तो आपने जान ही लिया लेकिन भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा को कैसे भूल सकते हैं। जन्माष्टमी के उत्सव के दिनों में आपको मथुरा में चारों ओर भक्तों से भरी हुई सड़कें, फूलों की खुशबू से महकती हुई हुई ताज़ी हवा, रंग-बिरंगे फूलों से सजे छोटे-बड़े मंदिर और अनेकों जगहों पर चल रही बालगोपाल कृष्ण की लीलाओं की नाट्य प्रस्तुति देखने को मिलेंगी। इन नाट्य प्रस्तुतियों में 10-12 साल के बच्चों द्वारा बड़ी खूबसूरती से भगवान् कृष्ण की रास-लीला व अन्य लीलाओं को नाटक के द्वारा सभी के सामने पेश किया जाता है।

इसके अलावा आपको बता दें कि मथुरा में सभी लोग जन्माष्टमी के झूलनोत्सव में अपने घरों में झूलों पर कृष्ण के बाल स्वरुप लड्डू गोपाल जी को बैठाकर शहद, दही, दूध, माखन आदि से स्नान करवाते हैं और फिर नए वस्त्रों के साथ श्रृंगार करके झूला झूलते हैं। यह भी देखने में सच में बेहद मनमोहक लगता है। मथुरा की जन्माष्टमी के उत्सव को देखने आस-पास की जगहों से तो हज़ारों लोग आते ही हैं साथ ही देश और विदेश के अनेक शहरों से भी यहाँ लोग इस खूबसूरत उत्सव में शामिल होने आते हैं।

श्री कृष्ण जन्मभूमि फोटो क्रेडिट: OnManorama

Photo of Mathura, Agra Division by We The Wanderfuls

द्वारका, गुजरात

भगवान कृष्ण के बचपन से जुड़े शहरों की जन्माष्टमी के बारे में तो आपने जान ही लिया लेकिन भगवान कृष्ण की कर्म भूमि उनके अपने राज्य द्वारका के बारे में बात किये बिना ये लेख पूरा हो ही नहीं सकता। हमारे देश के बेहद प्राचीन व धार्मिक शहरों में से एक द्वारका नगरी में हिन्दू धर्म के मुख्य चार धामों में से एक द्वारकाधीश मंदिर भी स्थित है। यहाँ जन्माष्टमी का उत्सव कुछ दिनों तक नहीं बल्कि पुरे एक महीने तक धूम-धाम से मनाया जाता है। इस उत्सव के दौरान पूरा द्वारका शहर शंखो और घंटियों की आवाज़ों से और भी अधिक जीवंत हो उठता है और साथ ही यहाँ आपको कई लोग इस जन्मोत्सव के दौरान गरबा और रास करते हुए भी नज़ारे आएंगे। यहाँ वैसे तो भगवान कृष्ण के कई मंदिर हैं लेकिन मुख्य तौर पर द्वारकाधीश मंदिर में मनाये जाने वाले उत्सव की बात ही अलग होती है। यहाँ कृष्ण जन्मोत्सव में शामिल होकर आप द्वारका और आस-पास के स्थानों पर अनेक जगहों पर घूमने भी जा सकते हैं।

मुंबई, महाराष्ट्र

वैसे तो मुंबई हमारे देश की फाइनेंसियल कैपिटल कहलायी जाती है और इसके साथ ही मायानगरी मुंबई को हम बॉलीवुड, नाइटलाइफ़ आदि से जोड़कर देखते हैं लेकिन आपको बता दें कि मुंबई शहर अपने तौर पर खास तरह से जन्माष्टमी का त्यौहार मनाये जाने के लिए भी बेहद प्रसिद्ध है।

मुंबई में होने वाली दही-हांड़ी प्रतियोगिताओं के किस्से तो आपने सुने ही होंगे तो आपको बता दें कि ये प्रतियोगिताएं जन्माष्टमी के उत्सव के रूप में ही की जाती हैं। अनोखे तरीके से मनाये जाने वाले इस उत्सव में दही-हांड़ी प्रतियोगितायाओं के लिए बड़े-बड़े पंडाल लगाए जाते हैं। इसमें दही, माखन आदि से भरी मिटटी से बनी हांड़ी को काफी अधिक ऊंचाई पर मुंबई में जगह-जगह पर लटका दिया जाता है और प्रतियोगिता में शामिल कई टीमें मटकी तोड़ने के लिए विशाल मानव पिरामिड बनाकर इस मटकी यानि हांड़ी को तोड़ने का प्रयास करते हैं। इस प्रक्रिया को और रोचक बनाने के लिए आस पास के लोग मटकी तोड़ने वाले ग्रुप पर पानी की बौछार आदि भी करते हैं। फिर हर प्रतियोगिता स्थल पर जो भी टीम हांड़ी फोड़ने में कामयाब होती है उसे नगद पुरस्कार भी दिया जाता है। ऐसे अद्भुत दही-हांड़ी महोत्सव को देखने देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग हर साल मुंबई आते हैं।

जयपुर, राजस्थान

गुलाबी नगरी वैसे तो पर्यटन के लिहाज़ से और अपनी अनोखी सांस्कृतिक विरासतों के लिए पर्यटन की दुनिया में काफी लोकप्रिय है लेकिन फेस्टिवल सिटी के नाम से लोकप्रिय इस शहर में जन्माष्टमी जैसा त्यौहार अच्छे से ना बने ऐसा कैसे हो सकता है। जयपुर में सिटी पैलेस के बगल में स्थित गोविन्द देवजी मंदिर में विराजमान गोविन्द देवजी की मूर्ति के बारे में बताया जाता है कि यह मूर्ति भगवान कृष्ण के प्रपोत्र बज्रनाभ द्वारा बनायीं गयी थी जिसे जयपुर के राजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा वृन्दावन से यहाँ लाया गया था। गोविन्द देवजी मंदिर में जन्माष्टमी का उत्सव काफी दिनों पहले से ही शुरू हो जाता है। इस दौरान श्री राधा गोविन्द देव जी की अलग-अलग झांकियां सजाई जाती हैं जिनके दर्शन सच में बेहद मनमोहक होते हैं और साथ ही अनेक भजन मंडलियों द्वारा आयोजित भजन कीर्तनों से सारा वातावरण भक्तिमय और खुशनुमा हो जाता है।

इसके अलावा भी जयपुर में स्वामी नारायण मंदिर, इस्कॉन मंदिर, अक्षयपात्र (कृष्ण-बलराम) मंदिर, राधा दामोदर मंदिर, प्राचीन मदन गोपाल जी मंदिर, गोपीनाथ मंदिर और इसके अलावा अनेक छोटे बड़े मंदिरों में जन्माष्टमी पर्व को धूम-धाम और बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

फोटो क्रेडिट: Rajasthan Tourism Beat

Photo of इस बार खास तरीके से मनाएं जन्माष्टमी, भारत के इन शहरों में अद्भुत तरह से बनता है ये त्यौहार by We The Wanderfuls

गोकुल, उत्तरप्रदेश

भगवान कृष्ण के बचपन से जुड़े शहरों में वृन्दावन और मथुरा के अलावा गोकुल का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसी मान्यता है कि जन्म के तुरंत बाद भगवान कृष्ण को मथुरा से गोकुल में ही लाया गया था। यहाँ जन्माष्टमी का त्यौहार गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है और यहाँ कृष्ण जन्मोत्सव की एक खास बात यह भी है कि यहाँ जन्माष्टमी पुरे देश में मनाये जाने के एक दिन बाद मनाई जाती है। गोकुल में जन्मोत्सव से एक दिन पहले श्रीकृष्ण की छठी भी पूजी जाती है। कृष्ण जन्मोत्सव के दौरान पूरी गोकुल नगरी को बड़े सुन्दर तरीके से सजाया जाता है साथ ही उत्सव में आपको हर तरफ घंटियों, शंखो और भजन कीर्तनों की मधुर आवाजें सुनाई देती हैं।

उडुपी, कर्नाटक

ऐसी मान्यता है कि कर्नाटक की पवित्र नगरी उडुपी में स्थित बेहद प्राचीन श्री कृष्ण मठ का निर्माण द्वारका नगरी के समुद्र में समां जाने के बाद हुआ था और उडुपी शहर की जन्माष्टमी क्यों इतनी ख़ास है इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं की उडुपी को 'दक्षिण का मथुरा' भी कहा जाता है। कृष्ण जन्मोत्सव उडुपी में अर्घ्य प्रधान जिसमें बालगोपाल कृष्ण को दूध और पवित्र जल अर्पित किया जाता है से लेकर श्री कृष्ण लीलोथासव जिसमें भगवान कृष्ण के साथ एक भव्य सवारी निकली जाती है और साथ ही मोसारु कुडिके जो की दही-हांडी के समान ही अद्भुत होता है, के साथ बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है और इसके अलावा भी यहाँ अनेकों लोक-संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

तो इसी के साथ अगर आप जन्माष्टमी के समय कहीं भी घूमने की योजना बना रहे हैं तो इस जन्माष्टमी को खास तरह से बनाने के लिए आप इन शहरों की तरफ रुख कर सकते हैं और यदि आप इनमें से किसी भी शहर के आस-पास हैं तो भी यहाँ पहुंचकर कृष्ण जन्मोत्सव में जरूर शामिल होएं। इन उत्सवों से जुडी जितनी भी जानकारियां हमारे पास थीं हमने इस लेख के माध्यम से आपसे साझा करने की कोशिश की है। अगर आपको ये जानकारियां अच्छी लगी तो प्लीज इस आर्टिकल को लाइक जरूर करें और ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो भी कर सकते हैं।

साथ ही ऐसी बहुत सी अन्य जगहों के वीडियो देखने के लिए आप हमें यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर भी फॉलो कर सकते हैं। जिसके लिए आप हमारे यूट्यूब चैनल WE and IHANA पर या फिर हमारे इंस्टाग्राम अकाउंट @weandihana पर जा सकते हैं।

क्या आपने हाल में कोई की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।

बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।

Further Reads