अगस्त के समय में भारत के अधिकांश हिस्सों में बारिश होती हैं। बारिश के समय में अगर आप समुद्री इलाके जैसे अंडमान ,लक्षद्वीप , गोवा आदि जगहें अच्छी तो लगती हैं लेकिन बारिश के दौरान कई यहाँ अधिकांश बीच बंद रहते हैं। इस सीजन में स्नोर्कलिंग ,जेटबॉट ,बनाना राइड ,स्कूबा डाइविंग आदि एडवेंचर एकदम बंद रहते हैं। समुद्री इलाकों में यह दिक्कत हैं तो कई ऊँचे बर्फीले ट्रेक भी रिस्की हो जाते हैं तो कई लोग बारिश में पहाड़ों पर जाना अवॉयड ही करते हैं। अब भाई , अभी आने वाला हैं सेकंड सैटरडे ,रविवार ,15 अगस्त ,जन्माष्टमी और अब कुछ एक्स्ट्रा छुट्टियों का जुगाड़ हो जाए तो लगातार कुछ 5 से 7 दिनों का घुम्मकड़ी प्लान ईज़िली बन सकता हैं। पर इन छुट्टियों में जाए कहाँ ? चलो देखते हैं -
मथुरा-वृन्दावन (उ.प्र.):
कृष्ण जन्माष्टमी मतलब भगवान कृष्ण का जन्मदिवस हो और आप पहुंच जाओ कृष्ण जन्मभूमि की गलियों में ,तो बात ही क्या होगी।मथुरा और वृन्दावन काफी पास-पास में स्थित हैं। वृन्दावन में भगवान कृष्ण का बचपन बीता और मथुरा उनकी जन्मभूमि हैं तो वाजिब सी बात हैं कि इन दो जगहों पर होली और जन्माष्टमी पुरे देश में सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाई जाती हैं। जन्माष्टमी पर दोनों जगहों के सभी मंदिर ,घाट ,गलियां आदि चमक जाते हैं। यमुना के किनारे ,वृन्दावन में 10 दिवसीय 'रासलीला' का आयोजन होता हैं जिसमे प्रोफेशनल आर्टिस्ट महाभारत और कृष्ण भगवान् के बचपन से जुडी घटनाये को मंच पर उतारते हैं।मथुरा में जन्म स्थल में 56 भोग चढ़ाया जाता हैं और विशाल संख्या की भीड़ में जन्माष्टमी मनाई जाती हैं ,'झूलोत्सव ' मनाया हैं ,कई मंदिरों में महीनो तक यह त्यौहार मनाया जाता हैं। मथुरा और वृन्दावन में घूमने के लिए कई जगहे हैं। दर्शन के लिए अनेकों मंदिर ,घाट ,गलियां ,यहाँ का स्ट्रीट फ़ूड ,हर तरह से आपके 4 से 5 दिन की यात्रा यादगार हो जाए।
यहाँ घूमने का सबसे अच्छा तरीका हैं कि अपनी गाडी को रखो पार्किंग में पैदल या रिक्शा में गली-गली घूमों। हर गली के मंदिर में जाओ ,जानो और फेमस स्ट्रीट फ़ूड को खाना ना भूलों। मथुरा से आगरा भी करीब 55 किमी ही पड़ता हैं।
दर्शनीय स्थल : कृष्ण जन्मभूमि ,इस्कॉन मंदिर ,प्रेम मंदिर ,द्वारकाधीश मंदिर ,निधिवन ,रंगजी मंदिर ,कंस किला ,शाहजी मंदिर। यहाँ की गलियों में घूमना अपने आपमें एक अद्भुद आनंद हैं। अगर कुछ दिन का समय और हो तो आगरा भी घुमा जा सकता है।
अमृतसर (पंजाब )और चंडीगढ़ :
अगर आप लोगों को देश के इतिहास ,वीरों और शहीदों की कहानिया ,स्वतंत्रता से जुडी इमारते और म्यूजियम के साथ-साथ एक अलग ही भक्तिमय माहौल में कुछ दिन बिताने हैं तो अमृतसर और चंडीगढ़ बेस्ट ऑप्शन हैं।यही नहीं बच्चों के मनोरंजन के लिए भी इधर बहुत कुछ मिलेगा। सबसे पहले चंडीगढ़ के रॉक गार्डन ,सुखना झील और शॉपिंग मॉल को घूमने में आप एक दिन बिताओं। अगले दिन आप निकलों अमृतसर की ओर ,जो कि 225 किमी की दूरी पर हैं। रास्ते में जालंधर में 'पुष्पा गुजराल साइंस सिटी ' में जाना ना भूलना। भले ही इसे घूमने में 3 से 4 घंटे घूमने लगेंगे ,लेकिन यहाँ का अनुभव आपके और आपके परिवार के लिए लाइफटाइम होगा। और हाँ , यहाँ के प्रसिद्द पंजाबी रेटोरेन्ट ' हवेली ' का मजा अगर छोड़ दिया तो पछताओगे।
एक दिन चंडीगढ़ घूमकर और अगले दिन रास्तों में घूमते हुए शाम तक अमृतसर पहुंच जाओगे। अमृतसर पहुंच कर स्वर्ण मंदिर ,पार्टीशन म्यूजियम ,वॉर मेमोरियल , अटारी बॉर्डर पर सेरेमनी ,दुर्गियाना मंदिर , स्वर्ण मंदिर के आसपास के लाल रंग की इमारतों वाले बाज़ार ,जलियावाला बाग़ ,लोकल फ़ूड ये सभी आपके और आपके परिवार की छुट्टियाँ यादगार बना देंगे। अमृतसर को ही सही से घूमने में कम से कम दो दिन चाहिए।
नोट : यहाँ अलग अलग तरीके के कुल्छे खाओ ,मिठाई में फिरनी खाओ। एक दिन स्वर्ण मंदिर में लंगर में प्रसाद ग्रहण करो। 'हवेली' थोड़ा महंगा जरूर हैं लेकिन पैसा वसूल जगह है। अमृतसर में कुछ यात्री बसें भी मैंने देखी थी ,जो सुबह से शाम तक पूरा अमृतसर दर्शन करवाती हैं।
मणिमहेश यात्रा (हिमाचल):
हिन्दू धर्म में कैलाश मानसरोवर की यात्रा सबसे मुख्य हैं ,जो कि तिब्बत के अतिदुर्गम और कम ऑक्सीजन वाले इलाकों में से गुजरकर पैदल करनी होती हैं। इस यात्रा का पूरा अनुभव तो आप मेरी किताब 'चलो चले कैलाश' में पढ़ ही सकते हैं। लेकिन अब ,क्या आपको पता हैं कि भारत में भी चार 'कैलाश' यात्राएं आयोजित होती हैं ? आदि कैलाश यात्रा ,श्रीखंड कैलाश,किन्नौर कैलाश और मणिमहेश कैलाश यह चार कैलाश भारत में ही हैं,चारो की ही यात्रा काफी दुर्गम हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा करने के बाद उस यात्री को 'कैलाशी' और पांचो कैलाश की यात्रा करने वाले भक्त को 'पंचकैलाशी' कहते हैं।
मणिमहेश यात्रा का आयोजन जन्माष्टमी से राधा अष्टमी तक रहता हैं।मतलब अभी यात्रा शुरू होने वाली हैं। हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले में आयोजित होने वाली इस यात्रा में यात्री मणिमहेश झील तक 13 किमी लम्बे बर्फीले रास्ते को पैदल पार करके पहुंचते हैं।पैदल यात्रा में दो से तीन दिन लग जाते हैं। झील करीब 4100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं इसीलिए इस यात्रा को करने के लिए आपका फिजिकली फिट होना अनिवार्य हैं।यात्रा के लिए ऑनलाइन रेजिस्ट्रेशन और हेलीकाप्टर बुकिंग चालू हो चुकी हैं।
कैसे पहुंचे : नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट हैं। पठानकोट से भरमौर के लिए बस /टैक्सी मिल जाती हैं।भरमौर से हड़सर नामक जगह पर बस या टैक्सी से पहुंचना होगा। वहां से 13 किमी पैदल ट्रेक करके या हेलीकाप्टर से आप मणिमहेश झील तक पहुंच सकते हैं। यात्रा करने के बाद आप चाहे तो 'धर्मशाला' और 'डलहौजी' भी घूम कर आ सकते हैं।
कुम्भलगढ़ (राजस्थान ):
बारिश का मौसम हो और आपने उस समय राजस्थान ना घुमा ,तो फिर क्या राजस्थान घुमा। जो लोग कहते हैं कि राजस्थान में बारिश नहीं होती ,लोग पानी को तरसते हैं ,जन्मदिन पर पानी की बोतल गिफ्ट करते हैं।तो उन्हें तो एक बार आना ही चाहिए इधर। बारिश के दौरान और बाद में अरावली शृंखला से जुड़े सभी जिले एक तरह से उत्तराखंड लगने लगते हैं। हरियाली ,झरने,झीले सब कुछ मिलेगा इधर। कुम्भलगढ़ ,राजसमंद जिले में पड़ता हैं। घने जंगलों और पहाड़ों के बीच बसा यह किला ,मेवाड़ की कई गाथाये कहता हैं।यहाँ आसपास ठहरने को लक्ज़री रिसॉर्ट्स हैं ,जहाँ आप छत पर बने स्विमिंग पूल में कोल्ड ड्रिंक पीते पीते किले की विशाल दीवार को निहार सकते हैं। घने जंगल में सफारी पर जा सकते हैं ,ट्रेक कर सकते हैं। किले में प्रवेश करने के लिए कई पोल (दरवाजे ) बने हुए हैं। किले में बादल महल ,कुम्भा महल ,जैन मंदिर ,जनाना महल आदि घूम सकते हैं। यहाँ के नीलकंठ महादेव के छह फ़ीट लम्बे शिवलिंग के दर्शन आप पा सकते हैं। किले के कुछ किलोमीटर आगे से ही मेवाड़ और मारवाड़ क्षेत्र अलग हो जाते हैं।
विशेष बात : यह किला महाराणा प्रताप की जन्मभूमि हैं। यहाँ शाम को लाइट एंड साउंड शो से मेवाड़ के वीरों के बलिदान और स्वाभिमान की गाथाये आप जान सकते हैं। चीन के बाद दुनिया की सबसे लम्बी दीवार भी यही हैं।एक रात यहाँ रुक कर आप आगे माउंट आबू या उदयपुर का प्लान कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे : उदयपुर एयरपोर्ट या फालना रेलवे स्टेशन से टैक्सी या बस द्वारा नाथद्वारा या राजसमंद पहुंच कर टैक्सी से इधर घुमा बेस्ट हैं।
अन्य नजदीकी दर्शनीय स्थल : उदयपुर ,माउंट आबू ,नाथद्वारा ,हल्दीघाटी।
उज्जैन ,ओम्कारेश्वर और महेश्वर ( म.प्र. ) :
मध्य प्रदेश अगर गर्मियों में जाओगे तो गर्मी से तपकर आधे में ही भाग आओगे। बारिश में मध्य प्रदेश का प्लान बनाइये और 'महाकाल' एवं 'ओंकारेश्वर ' दोनों के ही दर्शन एक ही ट्रिप के दौरान कर लीजिये।साथ ही साथ मध्यप्रदेश के बनारस 'महेश्वर ' की प्राकृतिक छटा इस समय खूबसूरती में अपने चरम पर होती हैं। सबसे पहले आप उज्जैन पहुंच कर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्रातःकालीन भस्म आरती के दर्शन कीजिये,शिप्रा नदी में स्नान कीजिये। दिन भर आस पास के प्रसिद्द मंदिर जैसे भारत माता मंदिर,कालभैरव मंदिर ,हरसिद्धि मंदिर,गढ़कालिका मंदिर में दर्शन कीजिये। वेध शाला घूमकर रामघाट पर आरती में शामिल होइए।
अगले दिन ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग ,जो कि करीब 150 किमी दूर हैं ,वहां के लिए निकलिए। दिन भर वही घूमकर शाम को महेश्वर की ओर निकल सकते हैं।यहाँ शाम को घाट के किनारे बैठकर आप खुद को खुद के बहुत करीब महसूस करेंगे। यहाँ भी घूमने के लिए किला हैं ,कुछ मंदिर हैं।महेश्वर घूमने का असली आनंद बारिश में ही हैं।
कैसे पहुंचे : उज्जैन पहुंच कर टैक्सी करके घूमना सबसे अच्छा तरीका हैं।
ऐसी ही मानसून में घूमने लायक जगहें काफी सारी हैं।