मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मस्थली शिवनेरी का यादगार सफर

Tripoto
25th Dec 2020
Photo of मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मस्थली शिवनेरी का यादगार सफर by रोशन सास्तिक

शिवेनरी किले पर छत्रपति शिवाजी महाराज के पालने को देखकर मेरी आँखों में देखते ही देखते आंसू आ गए... और उन आंसूओं से आसपास के नजारे धुँधला गए... लेकिन धुंधलेपन के उसी पल में मुझे मेरे चौथी क्लास के इतिहास की किताब के पन्नों पर छपी छत्रपति शिवाजी महाराज की काजलयी कहानियां साफ-साफ नजर आने लगी। कैसे शहाजी महाराज ने अपने बेटे के जन्म के लिए जरूरी सुरक्षित जगह के रूप में जुन्नर स्थित शिवनेरी किले को चुना और कैसे मां जीजाबाई ने करीब 6 साल तक इस किले पर रहते हुए मराठा स्वाभिमान के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज को बतौर योद्धा तैयार किया। अपनी आंखों के सामने अपने गौरवशाली इतिहास के निर्माता की जन्मस्थली पर खड़े होने के अहसास मात्र से मेरा सीना गर्व से फूल गया था। और शरीर का हर एक रोया खड़े होकर महाराज को सलामी दे रहा था।

Photo of Shivneri fort, Junnar, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Shivneri fort, Junnar, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Shivneri fort, Junnar, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
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Photo of Shivneri fort, Junnar, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
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तो इस अद्भुत अहसास का अनुभव करने के लिए हमने कल्याण से जुन्नर तक करीब 120 किलोमीटर लंबा सफर तय किया था। इस सफर के लिए मैं अपने घर(कल्याण) से तयशुदा समय के अनुसार अपने दोस्त प्रदीप के साथ सुबह 7 बजे ही निकल गया। एक तो दिसंबर का महीना और उसपर से सुबह का वक्त... ठंड पहले से ही बहुत थी और जब गाड़ी तेज रफ्तार के साथ हवाओं को चीरते हुए आगे बढ़ रही थी तो ठंड से हमारी हड्डियां तक 'त्राहिमाम-त्राहिमाम' का शोर करते हुए ठिठुरा रहीं थीं। लेकिन अपनी मंजिल तक जल्द से जल्द पहुंचने की ललक की वजह से हम बजाय शिकायत करने के ठंड की मार को प्यार समझकर उसे सहर्ष सहते हुए आगे बढ़ते चले जा रहे थे। इस भरोसे के साथ कि बस कुछ घंटों में जब सूरज आसमान में अपनी मौजूदगी को मजबूती से दर्ज कराएगा तब ठंड का घमंड भी चकनाचूर हो जाएगा।

Photo of Murbad, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Murbad, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Murbad, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Murbad, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
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करीब 2 घंटे के सफर के बाद हम दोनों नेशनल हाइवे 61 पर थे और यहां से मालशेज घाट की मौजूदगी नजर आने लगी थी। लेकिन मालशेज घाट के लिए सफर जारी रखने से पहले हमने एक जगह रुककर गरमागरम चाय की चुस्कियों के साथ अपने शरीर को गरमाहट देकर उसमे एक नई जान डालने का जरूरी काम किया। अब ना सिर्फ हमारा शरीर बल्कि मौसम भी खुशनुमा हो गया था। करीब घंटे भर से भी कम के सफर के बाद हम दोनों ठाणे को अहमदनगर जिले से जोड़ने के लिए पहाड़ों को तराश कर बनाए गए प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मालशेज घाट पर पहुंच गए। यहां पहुंचकर हमने आधा घंटा आराम फरमाते हुए दिलकश नजारों को दिल भरकर देखे लेने का प्लान बनाया। वैसे तो मालशेज का असली मजा मानसून में आता है। हालांकि, मानसून के महीनों में पहाड़ से गिरने वाले झरनों के अब महज अवशेष भर बाकी रह गए हो, लेकिन हरियाली में अब भी कोई कमी नहीं थी। उसपर से पहाड़ों से किसी चादर की तरह लिपटे कोहरे की लुका-छिपी का खेल भी देखने वालों की आंखों को लुभाने का काम करती है।

Photo of Malshej Ghat, Maharashtra by रोशन सास्तिक
Photo of Malshej Ghat, Maharashtra by रोशन सास्तिक

इससे पहले की हम मालशेज के मनमोह लेने वाले मोहक दृश्यों में गुम हो जाते, हमने अपनी नजरों में सभी नजारों को कैद करते हुए वहां से आगे बढ़ने का फैसला किया और फिर चल पड़े अपनी मंजिल की ओर। लेकिन ये क्या, अभी तो मालशेज को हमने ठीक से विदा भी नहीं किया था कि हमारी मुलाकात अपनी गोद में अथाह जलराशि समेटे एक बेहद भव्य और उतने ही खूबसूरत डैम से हो गई। मालशेज के अंत से शुरू होने वाले इस डैम का नाम पिम्पल गांव जोगा डैम है। यहां पर रुकने का मन तो बड़ा किया, लेकिन फिर अपनी मंजिल तक पहुंचने तक काफी देर हो जाने का डर हमें आगे बढ़ते रहने को मजबूर कर गया। हालांकि, हमारी खुशकिस्मती यह रही कि डैम और सड़क दोनो एक दूसरे के समानांतर चल रहे थे, इसलिए सफर के दौरान ही हमें समूचे डैम को जी-भरकर निहारने का मौका मिल गया। और इस तरह हम कल्याण से करीब 100 किलोमीटर का सफर तय करते हुए जुन्नर तालुका में पहुंच गए। अब यहां से शिवेनरी किल्ले तक का सफर दूरी के हिसाब से करीब 20 किलोमीटर और समय के हिसाब से बहमुश्किल आधे घंटे का ही रह गया था।

Photo of Pimpalgaon Joga Dam, Maharashtra by रोशन सास्तिक
Photo of Pimpalgaon Joga Dam, Maharashtra by रोशन सास्तिक
Photo of Pimpalgaon Joga Dam, Maharashtra by रोशन सास्तिक

अब क्योंकि हमने नेशनल हाइवे से स्टेट हाइवे की राह पकड़ ली थी, तो सड़क पहले के मुकाबले थोड़ी संकरी हो गई थी। लेकिन सड़क के दोनों तरफ नजरों को निहाल कर देने वाले नजारें अब भी बरकरार थे। या फिर कहूं कि पहले और बेहतर हुए जा रहे थे। तो अब राह के नजारों को बाह में भरते हुए हम बड़ी तेजी से अपनी मंजिल की ओर उड़ान भरने लगे। और फिर देखते-ही-देखते हमें वह दिखाई देने लगा जिसे आज से 15-16 साल पहले हमने किताब के पन्नों पर देखा था। जी हां, करीब 4 घंटे के सुहावने सफर के बाद हम आखिरकार अपनी मंजिल शिवेनरी किले तक पहुंच गए। क्योंकि हम यहां पहली बार आए थे इसलिए हमें इस जगह के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। जिसकी वजह से हम यह सोच कर थोड़ा परेशान हो रहे थे कि 4 घंटे की राइडिंग के बाद हमें किले तक पहुंचने के लिए कम से कम 2-3 घंटे की चढ़ाई भी करनी पड़ेगी। लेकिन एक बार फिर हमारी किस्मत हम पर मेहरबान साबित हुई। क्योंकि शिवेनरी किले तक पहुंचने का आधे से ज़्यादा सफर तो आप अपनी गाड़ी के जरिए ही तय कर लेते हैं। और फिर आपके हिस्से मुश्किल से 15-20 मिनट की नाममात्र की चढ़ाई ही आती है।

Photo of Junnar, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Junnar, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Junnar, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Junnar, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक

सड़क के एक किनारे अपनी बाइक खड़ी करने के बाद मैं और प्रदीप बहुत ही ज्यादा उत्साह, उमंग और उल्लाह के साथ शिवेनरी किले के प्रमुख द्वार की तरफ लपकते हैं। गेट से अंदर जाने से पहले गेट के ठीक बाहर सजे स्टॉल पर से हम ठंडे नींबू शरबत के जरिए अपने गले को तर और फिर मसाले के साथ ककड़ी खाकर सुबह से खाली पेट को भर लेते हैं। इसके बाद फिर कई अहम पड़ावों से गुजरते हुए हम पहुंच जाते हैं, उस जगह जहां हिंदुओ के गौरव को पुनर्जीवित करने वाले ऐतिहासिक महापुरुष अवतरित हुए थे। जी हां, शिवेनरी किले पर आपकी मुलाकात उस कमरे से होती है, जिसमें छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म हुआ था। एक छोटी खिड़की के जरिए आपको उस कमरे के अंदर प्रतीकात्मक तौर पर बनाया गया महाराज का पालना नजर आता है। और इसे देखकर आप अपनेआप अपने महाराज के सामने उनके सम्मान में नतमस्तक हो जाते हैं।

Photo of Shivneri Junnar Pune, Bodake Nagar, Junnar, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Shivneri Junnar Pune, Bodake Nagar, Junnar, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Shivneri Junnar Pune, Bodake Nagar, Junnar, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Shivneri Junnar Pune, Bodake Nagar, Junnar, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक

क्योंकि उस दिन आम दिनों की तुलना में ज्यादा भीड़ नहीं थी, इसलिए मैं और प्रदीप निश्चिंत होकर जी भरकर एकटक उस कमरे में झांकते रहें। कमरे में झांकने पर ऐसा अहसास हो रहा था मानों हम कमरे में नहीं बल्कि उस इतिहास को बेहद करीब से देख रहे हैं जो हमारे वर्तमान के लिए जिम्मेदार है। उस योद्धा के संघर्ष को देख रहे हैं जिसने अपने पराक्रम से हम सबका भविष्य सँवार दिया। ऐसा नहीं है कि शिवेनरी किले का सिर्फ ऐतिहासिक महत्व भर है। आप यहां चाहे मुंबई से होकर आए या फिर पुणे के रास्ते से आए, दोनों ही रास्तों से शिवेनरी किले तक पहुंचने का सफर आपकों मंजिल के बराबर ही मजा देगा। और फिर जब आप एक बार शिवेनरी किले पर पहुंच जाते हैं, तब इस ऐतिहासिक धरोहर से आपको एक तरफ गजब-सी शांति समेटे जुन्नर शहर का स्वर्ग-सा सुंदर नजारा नजर आता है। वहीं दूसरी तरह दूर-दूर तक फैले हरे-भरे घास के मैदान, उसके अंतिम छोर पर आसमान से आंख मिलाते पहाड़ और उनकी गोद से निकल मैदान से मिलन करते हुए किसी दूर देश को जाती नदियों की धारा को देखकर जीवन के धन्य होने का अहसास होने लगता है।

Photo of Shivneri fort, Junnar, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Shivneri fort, Junnar, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Shivneri fort, Junnar, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक

इस समय आप इतना अच्छा इतना ज्यादा अच्छा फील कर रहे होते हैं कि ऐसा लगता है काश, समय के साथ सब कुछ तब तक ठहर जाए, जब तक की नजर आने वाले मंजर को मनभर देख लेने के बाद आपका मन भर नहीं जाता। लेकिन, अफसोस कि जीवन में हम जैसा चाह रहे होते हैं, ठीक वैसा होता ही कितनी बार है। लेकिन इसका यह मतलब भी कतई नहीं कि जितना कुछ नसीब हो रहा है, वो कम है या फिर नाकाफी है। एक दिन में हमने इतना बेहतर और इतना कुछ देख लिया कि इस एक दिन में महीने भर जितना जी लिया। वैसे सफर का मजा तो मंजिल और हमसफ़र इन दोनों फैक्टर के समानुपाती होता है। और इस सफर में मंजिल तो शानदार थी ही लेकिन प्रदीप जैसा हमसफर भी साथ था। जिसकी वजह से दिन का कोई एक ऐसा लम्हा नहीं रहा, जिसको हमने जी भरकर जिया न हो। और शायद यही कारण है कि आज भी प्रदीप के साथ शिवेनरी कि सैर की याद जहन में ऐसे जिंदा है मानों कल की ही बात हो। कमबख्त लॉकडाउन की वजह से हमारी दूसरी ट्रिप का इंतजार बहुत ज्यादा लंबा खींचता चला जा रहा है। लेकिन उम्मीद है, हम जल्द ही छत्रपति शिवाजी महाराज के नौसेना के नायाब नमूने मुरुड-जंजीरा की सैर पर एक साथ निकलेंगे।

-रोशन सास्तिक

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