कोलकाता की कहानी 300 साल पुरानी है। सिटी ऑफ जॉय कहे जाने वाले इस शहर का नाम ही इतना प्यारा है तो इस जगह से प्यार होना तय है। कोलकाता का इतिहास 1690 में शुरू हुआ था जब जॉब चरनोक नाम का ब्रिटिश अधिकारी सुतानुती गांव में एक फैक्ट्री लगाना चाहता था। लेकिन उस समय लोगों ने उसका जमकर विरोध किया था। उस समय कोलकाता का अस्तित्व एक आइडिया मात्र रह गया था। इसके बाद कोर्ट कचहरी का चक्कर हुआ और आखिरकार कोलकाता शहर भारत के नक्शे का जरूरी हिस्सा बन गया।
इतिहास और आधुनिकता से घिरे इस शहर में करने के लिए बहुत कुछ है। इस बेहतरीन तालमेल को देखने के लिए कोलकाता में कुछ समय ज़रूर बिताना चाहिए। इसलिए जब आप यहाँ आएँ तो जी भरके इस शहर का मज़ा लेना चाहिए। इस शहर की खूबसूरती को अपने कैमरे में कैप्चर करें। जिससे आपके पास कोलकाता की खूबसूरत यादों और अनुभवों का पिटारा हो। वैसे तो कोलकाता का ऑफिशियल बर्थडे अगस्त में होता है पर ये शहर ही ऐसा है कि यहाँ हर समय जश्न का माहौल रहता है।
कोलकाता की वो 15 बातें जो असल में इसे सिटी ऑफ जॉय बनाती हैं।
1. कॉलेज स्ट्रीट
कॉलेज स्ट्रीट को किताबों का मक्का कहना भी गलत नहीं होगा। दुनिया में ऐसी कोई किताब नहीं है जो कॉलेज स्ट्रीट में नहीं मिलेगी। पुरानी किताबों से लेकर ऐसी किताबें जो शायद अब कहीं नहीं मिलती वो भी यहाँ मिल जाएँगी। इसके अलावा कॉलेज और पढ़ाई से जुड़ी सभी किताबें भी यहाँ आसानी से मिल जाती हैं। कहा जाता है कि अगर कोई किताब कॉलेज स्ट्रीट में ना मिले तो समझ जाइए ऐसी किताब कभी बनी ही नहीं। इंडियन कॉफी हाउस का मशहूर कैफे भी इसी जगह पर है। प्रेसीडेंसी कॉलेज के ठीक सामने खड़े इस कैफे में बड़ों से लेकर बच्चों तक हर उम्र के लोगों का तांता लगा रहता है। एक बार कॉलेज स्ट्रीट जाकर तो देखिए, यकीन मानिए बिल्कुल रिग्रेट नहीं करेंगे आप।
2. चाइना टाउन में नाश्ता
कोलकाता का ये इलाका पूरे शहर में सबसे अलग है। तरंगा इलाके की गलियों में बसा चाइनाटाउन कोलकाता की जान है। इस जगह का अपना एक अलग चार्म है। बेहद पुराने समय की इस जगह ने आज भी अपनी परंपराओं और संस्कृति को बचाकर रखा हुआ है। यहाँ पर बंगाली और चाइनीज खाने का इतना पक्का रिश्ता बन गया है कि लगेगा ही नहीं भारत में भी इतना अच्छा चाइनीज खाना मिल सकता है। ये मार्केट सुबह केवल तीन घंटों के लिए खुलता है। सुबह के शुरुआती घंटों में मोमो, थूकपा और सौसेज खाने का मज़ा ही कुछ अलग है। लेकिन यहाँ ज़्यादा लोग नहीं आते हैं। इसलिए अगर आप कोलकाता जाएँ तो सिटी ऑफ जॉय के इस लैंडमार्क को बिल्कुल मिस ना करें।
3. चाय का चस्का
भारत में चाय केवल एक ड्रिंक नहीं है। ये एक इमोशन है जो सबके साथ बैठकर पीने से बढ़ता है। क्योंकि कोलकाता में फ्रांस और ब्रिटिश का काफी प्रभाव रहा है। यहाँ शुरू से ही कॉफी और सिगरेट का चलन रहा है लेकिन यहाँ पर कुछ जगहें ऐसी हैं जहाँ कॉफी के साथ-साथ चाय पीने का एहसास कुछ खास है। शहर के लगभग हर हिस्से में सुबह से ही बैठक लगनी शुरू हो जाती है फिर वो चाहे सड़क के किनारे बनी चाय की दुकान पर हो या किसी के घर के आंगन में। दुनिया से जुड़ी ऐसी कोई खबर नहीं होगी जिसकी चर्चा यहाँ ना हो।
4. बाजारों में बारगेनिंग
मोल-भाव करने वालों के लिए कोलकाता के बाजारों में खरीदारी करने से अच्छा और कुछ नहीं है। यहाँ जूतों और कपड़ों से लेकर घर सजाने वाले सामान और इलेक्ट्रॉनिक तक कोई ची़ज ऐसी नहीं होगी जिस पर बारगेन ना होता हो। न्यू मार्केट, गरियाहाट मार्केट और बड़ा बाज़ार में आपको सब कुछ मिल जाएगा और वो भी अच्छे दाम पर। इन बाजारों की ख़ास बात ये है कि ये सभी बाज़ार तंग गलियों में हैं। जिससे यहाँ पर खरीदारी करना थोड़ा मुश्किल लेकिन बहुत रोमांचक होता है। आपको गलियों में घूमने का मौका मिलता है और आप यहाँ सालों पुरानी इमारतों को भी देख सकते हैं।
5. ट्राम की सवारी
पुरानी दुनिया के महत्वपूर्ण शहर कोलकाता को एक्सप्लोर करना चाहते हैं तो ट्राम से बेहतर कुछ नहीं है। कोलकाता ट्राम की शुरुआत 1873 में अंग्रेजों ने की थी और उनकी इस विरासत को महसूस करना बिल्कुल बनता है। ये एशिया का सबसे पुराना इलेक्ट्रिक ट्राम है और आपको इस शाही सवारी का अनुभव ज़रूर लेना चाहिए। ये ट्राम शहर की कई खूबसूरत जगहों से होकर गुजरती है इसलिए अगर आपके पास समय की कमी है तो ट्राम पर कोलकाता घूमने से अच्छा और कुछ नहीं है।
6. हावड़ा ब्रिज
कोलकाता आए और हावड़ा ब्रिज नहीं देखा तो क्या देखा? हुगली नदी पर बना ये पुल ब्रिटिश साम्राज्य की कलाकारी का बेहतरीन नमूना है। इस ब्रिज को बनाने में एक भी नट-बोल्ट का इस्तेमाल नहीं किया गया। उसके बावजूद इस ब्रिज से हर रोज़ लगभग 1 लाख गाडियाँ निकलती हैं। 1500 फीट लंबा और 71 फीट चौड़े इस पुल को पहले रविन्द्र सेतु के नाम से जाना जाता था। दुनिया के सबसे लंबे कैंटिलीवर पुलों में शुमार ये ब्रिज कोलकाता में सुंदर शाम बिताने के लिए बिल्कुल सही जगह है।
7. ईडन गार्डन
1864 में बने इस ऐतिहासिक लैंडमार्क को कौन नहीं जानता। 50 एकड़ में फैले इस मैदान में लगभग एक लाख लोगों के बैठने की क्षमता है। ये दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा क्रिकेट ग्राउंड भी है। इस स्टेडियम का निर्माण ऑकलैंड ने करवाया था जो एक समय पर गवर्नर जनरल रहे थे। स्टेडियम चारों तरफ से आम और बरगद के पेड़ों से ढंका हुआ है जो इसकी सुंदरता बढ़ा देता है।
8. कोलकाता बिरयानी
अगर आपको बिरयानी में मीट के साथ आलू मिलें तो समझ जाइए आप कोलकाता में हैं। कोलकाता वालों के लिए बिरयानी केवल एक आदत नहीं है। ये एक अटूट रिश्ता है। बिरयानी में आलू का होना आपको बेचीदा लग सकता है पर कोलकाता वालों के लिए आलू के बिना बिरयानी अधूरी है। अब हम ये तो नहीं कह सकते भारत में बिरयानी कब और कैसे आई लेकिन मुगलों से लेकर नवाबों तक बिरयानी का जादू खूब रहा है।
9. साहित्य का संसार
टैगोर का शहर कहे जाने वाली इस जगह का साहित्य की दुनिया में भी बहुत बोलबाला है। कोलकाता में लगभग हर घर में संगीत और लिटरेचर का बहुत महत्व है। गुरुदेव की नगरी कोलकाता में कविताओं और संगीत की जगह आज भी उतनी ही पक्की है जितना टैगोर के समय पर थी। यहाँ रवीन्द्र संगीत के साथ-साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत को भी सराहा जाता है।
10. रोशोगोल्ला
कोलकाता में रोशोगोल्ला केवल मिठाई नहीं है। ये इस शहर की आन-बान और शान भी है। कोलकाता में हर किसी की एक पसंदीदा दुकान है जहाँ के रोशोगोल्ला सबसे अच्छे लगते हैं। यहाँ तो रोशोगोल्ला के स्वाद पर डिबेट जैसा माहौल है। किस दुकान का रोशोगोल्ला अच्छा है इस पर जम कर बातचीत होती है। इस मिठाई को अब जी आई टैग से भी सम्मानित किया जा चुका है। अगर आप भी मिठाइयों के शौकीन हैं तो कोलकाता शहर आपके लिए किसी छप्पनभोग से कम नहीं है।
11. दुर्गा पूजा
दुर्गा पूजा बंगाल का सबसे महत्वपूर्ण और उत्साह से मनाया जाने वाला फेस्टिवल है और दुर्गा पूजा के पांच दिन मतलब हर दिन नए कपड़े पहनने का मौका। दुर्गा पूजा के समय कोलकाता की सड़कें दुकानों से भरी होती हैं। यहाँ हर तरह के कपड़े मिल जाते हैं। पारंपरिक साड़ी से लेकर मॉडर्न कपड़ों तक ऐसी कोई ची़ज नहीं है जो यहाँ न मिले। इस समय पारंपरिक बंगाली साड़ी की भी खूब मांग रहती है। कोलकाता की दुर्गा पूजा की विश्व में अपनी एक अलग पहचान है।
12. क्रिसमस भी कम नहीं
कोलकाता में शुरू से ही अंग्रेजों का प्रभाव रहा है और यही वजह है। यहाँ क्रिसमस की उतनी ही धूम रहती है जितनी दुर्गा पूजा की रहती है। सैंटा क्लॉज़ से लेकर केक तक यहाँ वो हर चीज़ है जिससे क्रिसमस की पहचान होती है। कोलकाता में ऐसी कई बेकरी भी हैं जिनको पारंपरिक प्लम केक बनाने में महारथ प्राप्त है। ये केक इतने टेस्टी होते हैं कि आपको किसी और चीज़ की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी। 24 दिसंबर की रात पार्क स्ट्रीट चमकदार लाइटों से जगमग होती है और जगह जगह पर क्रिसमस ट्री सजाए जाते हैं। अक्सर लोग क्रिसमस मानने गोवा जाते हैं पर मेरी मानिए और एक बार कोलकाता आकर देखिए।
13. मछली बाज़ार
बंगालियों के लिए मछली उतनी ही ज़रूरी है जितनी एक बच्चे के लिए एग्जाम। लेकिन मछली खरीदना बच्चों का खेल नहीं है। मुश्किलों और अनिश्चितता से भरे इस काम की शुरुआत एक कड़े निर्णय लेने से होती है। कौनसी मछली कितने में खरीदनी है ये किसी चुनौती से कम नहीं है और फिर आता है बारगेन। ये केवल बाज़ार नहीं है। ज़िन्दगी की सीख से भरा एक संसार है। कोलकाता के इस बाज़ार से मुलाक़ात करना तो बिल्कुल बनता है।
14. अंतरराष्ट्रीय किताबों का मेला
अंतर्जातीय कोलकाता पुस्तकमेला के नाम से भी मशहूर ये बुक फेयर एशिया का सबसे बड़ा किताबों का मेला है। इसकी शुरुआत 1976 में कुल 56 स्टॉलों के साथ हुई थी। उसके बाद से मेला हर साल जनवरी में होता है। छोटे प्रकाशन हाउस से लेकर बड़ी नामचीन हस्तियों तक हर कोई इसका हिस्सा बनना चाहता है। ख़ास बात ये है कि ये मेला जितना इंटरनेशनल है उतना ही लोकल भी है।
15. फिल्मों की नगरी
कोलकाता का फिल्मों से हमेशा से गहरा रिश्ता रहा है। फिर चाहे वो हॉलीवुड हो या बॉलीवुड। यहां का अपना एक फिल्म फेस्टिवल भी है जिसका नाम नंदन फिल्म फेस्टिवल है। इस फेस्टिवल की शुरुआत 1995 में हुई थी। इस फेस्टिवल में इंटरनेशनल फ़िल्मों से लेकर रीजनल फिल्मों तक सभी की ख़ास स्क्रीनिंग होती है। कोलकाता वो शहर है जहां आज भी थियेटर और नाटक की परंपरा जीवित है। यहां पर हिंदी फिल्में भी उतनी लोकप्रिय हैं जितना कि बंगाली फिल्में। यहाँ फिल्मों का ख़ास इलाका भी है जिसे टॉलीगंज कहते हैं। सत्यजीत राय, मृणाल सेन जैसे फेमस डायरेक्टर सब इसी शहर की देन हैं।
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