महाराष्ट्र से सटे अरब सागर में एक किला है जिसे शिवाजी, मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक भी नहीं जीत पाए थे। इस किले की बनावट ऐसी है कि इस पर कब्जा करने के लिए कई बार हमले हुए लेकिन कोई भी इस किले के अंदर नहीं जा सका। जानिए कौन सा है यह किला...
- यह है महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के मुरुद गांव में स्थित मुरुद-जंजीरा किला।
इस क़िले तक कैसे आएं ....
यहां आने के लिए इंडिया गेट से अली बाग़ बीच के लिए छोटे समुंद्री ज़हाज़ चलते हैं, (40-50 मिनट की यात्रा)।
अली बाग से मुरुद के लिए बस उपलब्ध है। (लगभग 1 घंटा लगता है)
मुरुद से नाव से जंजीरन किले तक जाया जा सकता है
हाल ही में हिंदी फिल्म 'तुम्बाड' की शूटिंग इसी किले में हुई है।
जंज़ीरा क़िले का इतिहास ...
40 फीट ऊंची दीवारों से घिरा यह किला अरब सागर में एक द्वीप पर है।
इसे 15वीं शताब्दी में अहमदनगर सल्तनत के मलिक अंबर की देखरेख में बनाया गया था।
15वीं शताब्दी में राजापुरी के मछुआरों (मारूर-जंजीरा किले से 4 किमी) ने समुद्री लुटेरों से खुद को बचाने के लिए एक बड़ी चट्टान पर मेधकोट नाम का लकड़ी का किला बनवाया था।
मछुआरों के मुखिया राम पाटिल ने इस किले को बनाने के लिए अहमदनगर सल्तनत के निजाम शाह से अनुमति मांगी थी।
पत्थर का महल कैसे बनाया गया था ?
तब अहमदनगर का सेनापति पीराम खान एक व्यापारी बन गया और सैनिकों से भरे तीन जहाजों को लाया और किले पर कब्जा कर लिया।
पीराम खान के बाद, अहमदनगर सल्तनत के नए कमांडर बुरहान खान ने लकड़ी के मेधेकोट किले को ध्वस्त कर दिया और यहां एक पत्थर का किला बनाया।
22 साल में बना, 22 एकड़ में फैला, इसमें 22 सुरक्षा चौकियां हैं |
कहा जाता है कि इसे 22 साल में बनाया गया था। यह किला 22 एकड़ में फैला हुआ है। इसमें 22 सुरक्षा चौकियां हैं। ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेजों और पुर्तगालियों सहित कई मराठा शासकों ने इसे जीतने के लिए काफी प्रयास किए लेकिन असफल रहे। इस किले में आज भी सिद्दीकी शासकों की कई तोपें रखी हुई हैं, जो आज भी हर सुरक्षा चौकी पर मौजूद हैं।
मीठे पानी की झील का रहस्य जो आज भी बना है |
यह भारत के पश्चिमी तट पर एकमात्र किला है, जिस पर कभी भी शत्रुओं ने विजय प्राप्त नहीं की है। यह किला 350 साल पुराना है। इसमें मीठे पानी की झील है। समुद्र के खारे पानी के बीच में होने के बावजूद इसमें ताजा पानी है। यह ताजा पानी कहां से आता है यह अभी भी रहस्य बना हुआ है। इसमें शाहबाबा का मकबरा भी है। अरब सागर में स्थित यह किला समुद्र तल से 90 फीट की ऊंचाई पर है। यह किला इतिहास में जंजीरा के सिद्दीकी की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध है। इस क़िले से दूर होते है इसका दरवाज़ा दिखना बंद हो जाता है
क़िले का रहस्मई दरवाज़ा ...
मुरुद-जंजीरा किले का द्वार दीवारों के नीचे बना है। जो कि किले से कुछ मीटर की दूरी पर जाने के बाद दीवारों के कारण दिखाई देता है। यही कारण है कि किले के निकट आने पर भी शत्रु चकमा खा किले में प्रवेश नहीं कर पाते हैं। इस लिए किसी भी दुश्मन का इस क़िले में घुसना नामुमकिन था |
शिवाजी महाराज के पुत्र ने भी की थी इसे जीतने की कोशिश...
शिवाजी के पुत्र ने इसके पास समुद्र में एक किला भी बनवाया था, इस पर नजर रखने के लिए, इस किले को जीतने के लिए, कई वर्षों के बाद जब उन्हें समझ में आया कि इस किले को कैसे जीतना है, उस समय शिवाजी का राजगढ़ किला जो उस समय राजधानी थी उस पर अन्य बलों ने हमला किया, जिसके कारण उन्हें राजधानी को बचाने के लिए रायगढ़ वापस जाना पड़ा।
इस लिए अबकी बार जब भी आप महारष्ट्र घूमने आएं तो इस हैरतअंगेज़ क़िले को देखना न भूलें. जो आपने आप में एक इतिहासिक इमारत है