जंतर मंतर (दिल्ली)
यह इमारत हमारे प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उन्नति की मिसाल के रूप में वर्तमान में भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
जंतर-मंतर को बनने में करीब 6 साल लगे और 1734 में यह बनकर तैयार हुआ। इसमें ग्रहों की चाल का अध्ययन करने के लिए तमाम यंत्र बने, राजा जयसिंह ने अपने छोटे से शासन काल में खगोल विज्ञान में अपना अमूल्य योगदान दिया | इतिहास उनका सदा ऋणी रहेगा।
जंतर मंतर (दिल्ली) का एतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व : जंतर मंतर (दिल्ली) का एतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है इसलिए आप यहाँ जरूर जाएँ और अपने प्राचीन भारत की महानता के बारे में जानें और अपने देश की वज्ञानिक पद्धति को समझें |
ग्रहों से जुड़ी जानकारियों को बेहतर तरीके से जानने एवं समझने के लिए महाराजा सवाई जयसिंह के द्वारा इस वैधशाला के निर्माण के बारे में एक और दिलचस्प बात बताई जाती है जिसमें कहा जाता है, कि महाराजा जयसिंह का ग्रहों से जुड़ी जानकारियों को लेकर किसी से बहस हुई थी। तभी महाराजा जयसिंह ने वास्तविकता को दर्शाने के लिए इस वैधशाला का निर्माण करवाया ।
दिल्ली में स्थित जंतर मंतर एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। यहां घूमने जाने का अच्छा समय अक्टूबर से लेकर मार्च के बीच ट्रिप का प्लान कर सकते हैं। क्योंकि दिल्ली में गर्मी के दिनों में तापमान काफी ज्यादा बढ़ जाता है, जिससे आपको काफी ज्यादा परेशानी हो सकती है। आप यहाँ घूमने जाने का प्लान बना सकते हैं| आप जंतर मंतर पूरे साल में कभी भी घूमने जा सकते हैं, जो आपके लिए समय उचित हो उस समय का चुनाव आप खुद करें। दिल्ली में स्थित जंतर-मंतर के बारे में लगभग संपूर्ण जानकारी को विस्तार से समझने वाले हैं, तो चलिए शुरू करते हैं। लेकिन शुरू करने से पहले मैं आपको एक बात बताना चाहती हूं| कि जंतर मंतर (दिल्ली) एतिहासिक एवं सांस्कृतिक रूप से अपना एक अलग महत्व रखता है इसलिए आप यहाँ जरूर जाएँ और अपने प्राचीन भारत की महानता के बारे में जानें |
राजा जयसिंह की मृत्यु के बाद देश में यह वैधशाला बनने वाले तारामंडलों के लिए प्रेरणा मीली | हाल ही में दिल्ली के जंतर-मंतर में स्थापित रामयंत्र के जरिए प्रमुख खगोलविदों द्वारा विज्ञान दिवस पर आसमान के सबसे चमकीले ग्रह शुक्र की स्थिति नापी गयी थी। इस अध्ययन में भारत के खगोलविदों के अलावा एमेच्योर एस्ट्रोनामर्स एसोसिएशन और गैर सरकारी संगठन स्पेस के सदस्य भी शामिल थे। राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र खगोलीय पिंडों की गति के बारे में बताते है।
राम यंत्र : इस यंत्र का नाम करण के दादा राम सिंह के नाम पर किया गया राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र खगोलीय पिंडों की गति के बारे में बताता है। राम यंत्र गोलाकार बने हुए हैं। इसका फर्श 30 भागों में विभाजित है तथा गणना की सुविधा के लिये 0.91 मीटर ऊंचे विभाग बनाए गए हैं | इसका प्रयोग आकाशीय पिंडों, सूर्य तथा चंद्र की स्थिति के अध्ययन के लिये किया जाता है |
जयप्रकाश यंत्र : यह एक अर्धगोलीय यंत्र है जिसका उपयोग दिन रात के प्रेक्षण के लिये किया जाता है | इस यंत्र का व्यास 6.33 मीटर है | इसके धरातल पर दो अर्धगोले बने हुए हैं जो एक अर्ध गोले को पूर्ण करते हैं | अर्धगोले का धरातल परिमाप वृत्तों पर राशिचक्रों के चिन्ह अंकित हैं | दो अर्धगोलों में वैकल्पिक परिमाप वृत्तों के बीच कहीं कहीं सीढ़ियाँ बनाई गई हैं | ताकि राशि चिन्हों को पढ़कर छाया से सूर्य की स्थिति का पता लगाया जा सके|
जंतर-मंतर (दिल्ली) का खुलने एवं बंद होने का समय – दिल्ली में स्थित जंतर-मंतर सप्ताह में पूरे दिन खुला रहता है। अगर टाइमिंग की बात करें तो यह वेधशाला सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक खुला रहता है। इस बीच आप यहां जा सकते हैं|