शायद सबसे पुराना और महिला सशक्तीकरण का बेहतरीन उदाहरण है ये मंदिर, कैमूर की इन पहाडियों में !!

Tripoto
13th Apr 2021
Photo of शायद सबसे पुराना और महिला सशक्तीकरण का बेहतरीन उदाहरण है ये मंदिर, कैमूर की इन पहाडियों में !! by Roaming Mayank
Day 1

2000 वर्षों से अधिक प्राचीन, विश्व के सबसे पुराने मंदिरों में से एक और प्रारंभ में नारायण/विष्णु को समर्पित एक अद्भुत अष्टकोणीय मन्दिर आखिर कैसे बन गया शिव-शक्ति को समर्पित मुंडेश्वरीदेवी/मंडलेश्वर महादेव मंदिर, जिसके केंद्र में स्थापित है रंग बदलने वाला चौमुखी शिवलिंग ?

इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए आइए मेरे साथ चलिए बिहार में कैमूर रेंज के अलग और अचरज में डालने वाले नजारों के बीच.........🛺

Mundeshwari Temple, बिहार

Photo of Bihar by Roaming Mayank

बिहार के भाभुआ जिले में सोन नदी के निकट कैमूर हिल्स की पौंरा पहाड़ियों (समुद्रतल से 608 फीट/185 मीटर की ऊंचाई पर) पर स्थित ये भारत के सबसे पुराने हिन्दू मंदिरों में से एक है, बल्कि कहा जाए तो सबसे पुराने और आज भी पूजा पद्धति से अनवरत रूप से पूजे जाने वाला यानी ओल्डेस्ट फंक्शनल मंदिर है - मां मुंडेश्वरी मन्दिर। मतलब यहां पर होने वाली पूजा 2000 सालों से अविच्छिन्न चली आ रही है और आज भी यह मंदिर पूरी तरह जीवंत है।

कैमूर मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के कटंगी से लेकर बिहार के रोहतास जिले के सासाराम के आस-पास तक फैली लगभग 483 किलोमीटर लंबी, विंध्य रेंज का पूर्वी भाग है। ये हिल रेंज कभी भी आसपास के मैदानों से कुछ एक सौ मीटर से अधिक ऊपर नहीं उठती है और इसकी अधिकतम चौड़ाई लगभग 80 किमी है।

कोहिरा डैम, कैमूर हिल्स रेंज

Photo of Kaimur Hills Range by Roaming Mayank

समयचक्र

यहां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा लगाई गई सूचना पट्टिका मंदिर को 625 CE में बनाया जाना इंगित करती है। मंदिर में 635 CE के हिंदू शिलालेख पाए गए हैं, मंदिर 1915 से ASI के तहत एक संरक्षित स्मारक है। परन्तु, इतिहास के कुछ और ठोस तथ्य इस मन्दिर को बनाए जाने के बारे में ज्यादा तरतीब से और तर्कसंगत साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं यथा-

ब्राह्मी लिपि में लिखा मुंडेश्वरी शिलालेख ( जिसे शासक उदयसेना द्वारा बनवाया गया था) और इसके दो टूटे हुए भाग जो क्रमशः 1891 और 1903 ई. में मिले थे, मंदिर को 4थी शताब्दी से पहले का बताते हैं।

सन् 2003 में श्रीलंका के सम्राट महाराजा दत्तगामिनी (101-77 BCE) की राजसी मुहर के यहां इस मंदिर परिसर में पाये जाने ने इतिहास को बदला और ये फैक्ट स्थापित हुआ कि श्रीलंका से एक राजकीय तीर्थयात्रियों का समूह / भिक्षुओं ने 101 BCE से 77 BC (करीबन 2100 साल पहले) के बीच प्रसिद्ध दक्षिणपथ राजमार्ग के माध्यम से बोधगया से सारनाथ यात्रा के दौरान इस मंदिर/स्थान का दौरा किया और शायद वो मुहरें यहीं खो दी।

चतुर्मुख शिवलिंग पर बना नाग, गणेश मूर्तियों पर बना नागजनेऊ (पवित्र धागा), पूरे भारत में और कहीं भी ऐसा नहीं पाया जाना तथा कैमूर रेंज की इस पहाड़ी के चारों ओर फैले हुए टूटे टुकड़ों / अवशेषों पर स्पष्ट रूप से संकेत मिलता है कि, यह नागवंश (110 BCE से 315 CE) के शासकों द्वारा किया गया निर्माण था। नागवंशी राजा नाग को अपने शाही मुहर के रूप में इस्तेमाल करते थे।

मुंडेश्वरी शिलालेख में वर्णित शासक उदयसेना की नागवंश के शासकों नागसेना, वीरशैव आदि के साथ काफी समानता थी। नागवंशी राजपूतों के 52पुरों (गाँव) का अस्तित्व, इस क्षेत्र पर उनके लंबे समय तक उनके शासन के बारे में भी संकेत करता है। बाद में यह क्षेत्र गुप्त वंश के नियंत्रण में आया। इस मंदिर पर उनकी विशिष्ट नागर शैली की वास्तुकला का प्रभाव और रामगढ़ किले व रामगढ़ गांव का नाम(संभवतः गुप्त वंश के प्रसिद्ध राजा रामगुप्त के नाम पर स्थापित ) इस तथ्य के सबूत हैं।

रामगुप्त नामक शासक का उल्लेख गुप्तवंशावली में वैसे तो कहीं नहीं है परन्तु महानाट्य 'देवीचंद्रगुप्तम' मे इसका उल्लेख मिलता है। जिसके अनुसार रामगुप्त गुप्तवंश का एक शासक था, जिसने अपनी पत्नी ध्रुवदेवी को एक शक दुश्मन को संधि में दे दिया था। बाद में उसका भाई चन्द्रगुप्त - ll, उस शक दुश्मन को हराकर ध्रुवदेवी से शादी करता है।

Mundeshwari Temple, Bhabhua

Photo of Maa Mundeshwari Temple by Roaming Mayank

सूचना पट्ट, ASI

Photo of Maa Mundeshwari Temple by Roaming Mayank

नंदी की मूर्ति

Photo of Maa Mundeshwari Temple by Roaming Mayank

यक्ष की प्रतिमा

Photo of Maa Mundeshwari Temple by Roaming Mayank

महाभारत में भी उल्लिखित है कि गुरु द्रोणाचार्य को कौरवों और पांडवों को शिक्षित करने के शुल्क रूप में, वर्तमान समय के अहिनौरा, मिर्जापुर, सोनभद्र और कैमूर क्षेत्र पर स्थित अहिच्छत्र (नागों का क्षेत्र) का शासक बनाया गया था।

नए तथ्यों के रहस्योद्घाटन के बाद पटना, बिहार

2008 में बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड (BSRTB) ने विशेषज्ञों की एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जिसमें सर्वसम्मति से मुंडेश्वरी शिलालेख की तिथि 108 CE निर्धारित की गई है यानी करीबन 2000 वर्ष पुरानी✌।

इसके साथ ही मंदिर को देश के सबसे पुराने ऐसे हिंदू मंदिर के रूप में घोषित किया गया, जिसमें पूर्व ऐतिहासिक युग यानी पिछले 2000 सालों से भी पहले से निरंतर पूजा-पाठ होता आ रहा है।

क्यूं और कैसे :

हमने देखा कि सामान्य संस्करण के अनुसार यह मंदिर 3-4 BCE (करीबन 2000 साल से भी ज्यादा पुराना) में, विष्णु/नारायण को पीठासीन देवता मानकर बनाया गया था। हालांकि समय के साथ हुए क्षय और विदेशी आक्रांताओं के कारण ये नारायण मूर्ति अब वहां नहीं है। सातवीं सदी के आसपास, शैव धर्म (भगवान शिव पर आधारित धर्म) प्रचलित धर्म बना और विनितेश्वर, जो एक सहायक देवता थे, मंदिर के प्रमुख देवता मंडलेश्वर महादेव के रूप में उभरे। हालांकि चतुरमुख शिवलिंग ने प्रारंभ में उनका प्रतिनिधित्व करते हुए मंदिर में केंद्रीय स्थान प्राप्त किया था और आज भी यथावत है।

इसके बाद सत्ता में आई 'चेरो' - एक शक्तिशाली और आदिवासी जनजाति, जो कैमूर पहाड़ियों के मूल निवासी थे। ये जनजाति शक्ति (मां मुंडेश्वरी, जिन्हें महिषासुर मर्दिनी और दुर्गा के नाम से भी जाना जाता है) की उपासक थी और इस प्रकार मुंडेश्वरी को मंदिर का मुख्य देवता बनाया गया। हालांकि, चतुरमुख शिवलिंग अभी भी मंदिर के केंद्र में स्थित है, इसलिए मंदिर की दीवार के साथ एक जगह पर मां दुर्गा की 3 फीट ऊंची काले पत्थर की प्रतिमा ( भैंस पर सवार) स्थापित की गई थी। ये आज भी वहीं स्थापित है। मां दुर्गा को यहां दस हाथों वाली, महिष यानी भैंसे की सवारी करने वाली देवी महिषासुरमर्दिनी के रूप में दिखाया गया है

पटना, बिहार

Photo of Patna by Roaming Mayank

इसके आस पास में आप ये सुंदर और शांत स्थान घूम सकते हैं

Telhar Falls, Kaimur

Photo of Telhar Waterfall by Roaming Mayank

Mundeshwari पाषाण शिलालेख

Photo of Kaimur Wildlife Sanctuary by Roaming Mayank

Karkatgarh Falls, कैमूर

Photo of Karkatgarh by Roaming Mayank

और इस प्रकार,

चतुर्मुख शिवलिंग के गर्भगृह के केंद्र में बने होने के बावजूद महादेव शिव सहायक देवता (शक्ति के) बन गए। ध्यान देने योग्य बात है कि गर्भगृह में शिवलिंग होने के बावजूद यहां मुख्य पीठासीन देवता मुंडेश्वरी देवी ही हैं। Women Empowerment - तब से ये संदेश कि "महिलाएं बड़ी से बड़ी जिम्मेदारी उठा सकती हैं, इसलिए सम्मान और अधिकार की हकदार हैं" हमारे आपके समाज में दिया जाता रहा है।✌

ये आर्टिकल आपको कैसा लगा अपना बहुमूल्य फीडबैक जरूर दें 🙏। तो मिलते हैं अगले आर्टिकल में किसी नयी रोचक जानकारी और स्थान के साथ.....✌🛺

कैलाश मानसरोवर की कहानी

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केदारनाथ

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