दूसरे दिन हम सुबह तड़के सूरज के आगमन से पहले अपने अगले पड़ाव यानी भीमबेटका की गुफाएं देखने के सफर पर निकल पड़ेंगे। ओम्कारेश्वर से भीमबेटका की 250 की दूरी हंसते-गाते हुए तय करने तक दोपहर दस्तक दे देगा। भीमबेटका मानव इतिहास से जुड़ी एक बहुत खूबसूरत और महत्वपूर्ण जगह है। इस जगह का महाभारत काल से भी संबंध जुड़ा हुआ है। क्योंकि भीमबेटका का शाब्दिक अर्थ 'भीम के बैठने की जगह' ही है। करीब 10 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले भीमबेटका के जंगलों में 700 से ज्यादा गुफाएं मौजूद हैं। इनमें से 400 गुफाएं ऐसी हैं, जिनमें करीब 30 हजार साल समय पहले के लोगों द्वारा तैयार किए गए खूबसूरत भित्ति चित्र है। हालांकि पर्यटकों के लिए इनमें से महज 20 ही गुफाएं खोली गई हैं। दीवार पर अपने पूर्वजों की कला की शानदार प्रदर्शनी देख आप इनके जरिए अपने बीते कल को करीब से समझ पाएंगे।
We can call it stone age place, as it gives overall picture how  people in that era were living and evolved with time, specially their art evolution.
An archaeological wonder, the Bhimbetka Rock Shelters take tourists back in time. They are a UNESCO World Heritage Site. Housing 500 or so paintings that have a stark resemblance to the ones found in Australia’s Kakadu National Park, cave paintings of Kalahari Desert’s Bushmen tribe and France’s Upper Palaeolithic Lascaux, Bhimbetka attracts tourists from far and wide. The paintings, created with natural colours that have withstood the test of time, were discovered by VS Wakankar in 1957 during an excavation expedition, and showcase the lives of a lost community that lived here thousands of years ago. Scenes of horse and elephant riding, honey collection, food hunting, dancing etc., can be seen in intricate detail. Located to the south of Bhopal at a distance of approximately 46 km, the rocky terrain of the Vindhya ranges has over 600 shelters from the Neolithic age. Legend has it that Bhimbetka is derived from 'Bhimbaithka', meaning the seating place of Bhima, the strongest of the five Pandava brothers from the epic Mahabharata.
After visiting the temple we drove to another UNESCO World Heritage Site The Bhimbetka Rock shelters. There are 700 Rock shelters out of which 15 rock shelters are for public viewing
भीमबेटका: एक विश्व धरोहर भीमबेटका जो कि एक यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व विरासत स्थल के रूप में भी जाना जाता है और यह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल  से लगभग 40 किलोमीटर दूर विंध्य पर्वत के दक्षिणी किनारे पर हरे भरे जंगलों के बीच  स्थित है ।भीमबेटका के बारे में ऐसा माना जाता है कि इसके नाम का इतिहास महाभारत से जुड़ा हुआ है जानने वाले यह भी बताते हैं कि अपने वनवास के दौरान पांडव यहां पर आए थे और पांच पांडव में से भीम जिस जगह पर बैठे उसका नाम भीमबेटका के नाम से प्रचलित हुआ ।ये गुफाएं इतिहास की एक अमूल्य क्रोनिकल हैं। इतिहास के विभिन्न अवधियों में निर्मित, कुछ पेंटिंग लगभग 30,000 साल पुरानी हैं। चित्रों में जीवन शैली, त्योहारों, शिकार और कृषि जैसे पूर्व-ऐतिहासिक मानव जाति के पहले निशान हैं। कई में से, हालांकि केवल 12 गुफाएं सार्वजनिक देखने के लिए खुली हैं, और इसकी खोज के बाद से कई पुरातत्वविदों के लिए रुचि का विषय रहा है।2003 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित, यह 500 से अधिक गुफाओं और रॉक शेल्टर का घर है, ये सभी चित्रों से सजी हैं। प्राकृतिक रंगों के उपयोग ने यह सुनिश्चित किया है कि पेंटिंग समय के साथ और भी खूबसूरत हुई हैं।समय की कसौटी पर खरे उतरने वाले प्राकृतिक रंगों से निर्मित चित्रों की खोज वी.एस. वाकणकर ने 1957 में एक उत्खनन अभियान के दौरान की थी, और एक खोए हुए समुदाय के जीवन को प्रदर्शित करता है जो हजारों साल पहले यहां रहते थे। घोड़े और हाथी की सवारी, शहद संग्रह, भोजन शिकार, नृत्य आदि के दृश्य जटिल विवरण में देखे जा सकते हैं। भीमबेटका की गुफा में बने सुंदर चित्र और इसके आसपास की प्राकृतिक सुंदरता आपको मंत्रमुग्ध कर देगी।अगर आप कभी भीमबेटका आने का मन बनाते हैं, तो पहले आप भोपाल आ सकते हैं, भोपाल आने के लिए देश के विभिन्न शहरों से रेल मार्ग, वायु मार्ग एवं सड़क मार्ग से आया जा सकता है, यहां से आप कोई भी छोटी-बड़ी टैक्सी करके भीमबेटका लगभग 1 घंटे में पहुंच सकते हैं ।