डेरा बाबा नानक पंजाब के जिला गुरदासपुर में भारत पाकिस्तान की सरहद पर बसा हुआ एक ईतिहासक कस्बा है जो पहले सिख गुरु नानक देव जी के नाम पर बसाया गया था|
गुरू नानक देव जी 22 सितंबर 1539 ईसवी को करतारपुर साहिब (पाकिस्तान ) में जयोति जोत समा गए| गुरु जी की याद में उनके पूत्र बाबा श्री चंद्र जी ने गुरू जी के नाम पर डेरा बाबा नानक कसबा बसाया आज भी इस शहर की गलियों में गुरू नानक देव जी के वंश की पीढियों से संबंधित परिवार यहां रहते हैं। जिस जगह पर दरबार साहिब डेरा बाबा नानक बना हुआ हैं, वहां एक कुयां हुआ करता था जहां गुरु नानक देव जी अपने परम सेवक अजित रंधावा से मिलने आया करते थे। इस जगह पर पंचम गुरू अर्जुन देव जी भी आए है। इसी शहर में गुरु नानक देव जी का एक चोला भी पड़ा हुआ हैं जो गुरू जी को बगदाद यात्रा के समय वहां के काजियों ने भेंट किया था ऐसे ईतिहासिक सथल की यात्रा से जीवन सफल हो जाता हैं।
दोस्तों करतारपुर कोरिडोर का रास्ता भी डेरा बाबा नानक से ही शुरू होता हैं।
9 नवंबर 2023 को दोपहर तीन बजे मैं अपनी वाईफ और बेटी के साथ करतारपुर साहिब पाकिस्तान की यात्रा के लिए खुद की गाड़ी से घर से 185 किलोमीटर की दूरी पर डेरा बाबा नानक जिला गुरदासपुर के लिए चल पड़ा| दिवाली पास होने की वजह से मेरे शहर के बाजार में बहुत भीड़ भाड़ थी| 20 मिनट गाड़ी चलाने के बाद हम मुझको नामक कस्बे में पहुँच गए मुदकी मेरे शहर से 23 किलोमीटर दूर है जो फिरोजपुर जिले में पड़ता है | मेरा शहर बाघा पुराना मोगा जिले में आता है| मुदकी अमृतसर- बठिंडा हाईवे पर बसा हुआ है| मुदकी आने पर हमारी गाड़ी फोरलेन हाईवे पर आ जाती है| मुदकी के कुछ देर बाद ही टोल प्लाजा आता है जहाँ पर दोपहर के 3.30 बजे हम फास्ट टैग से 45 रुपये का भुगतान करते हुए हम आगे बढ़ जाते हैं| तलवंडी भाई और जीरा शहर को बाईपास करते हुए हमारा सफर हाईवे पर ही अमृतसर की ओर चल रहा था| मेरी बेटी नवकिरन सो जाती है| मेरी वाईफ मुझे कहती है मैं भी कुछ देर के लिए सो जायूं कयोंकि वह सुबह जल्दी उठी थी और यात्रा के लिए पैकिंग भी उसने ही की थी| मैंने कहा तू भी सो जाओ| मैंने गाड़ी में अपनी पसंद के पंजाबी गाने लगा लिए | गाड़ी अब मस्त हाईवे पर चल रही थी
फिरोजपुर जिले के आखिरी कस्बे मक्खू के बाद सतलुज नदी के ऊपर बने एक विशाल पुल को पार करने के बाद हम तरनतारन जिले में प्रवेश कर जाते हैं|सरहाली और नौशहरा पुनूया के बाद एक और टोल प्लाजा आता है जो 155 रुपये का एक साईड का लेकिन मुझे एक गाँव का रास्ता पता है जिससे मैं उस टोल प्लाजा को बचाने के बाद दुबारा फिर शेरों नामक गाँव में अमृतसर- बठिंडा हाईवे पर चढ़ता हूँ| थोड़ी देर बाद मेरी गाड़ी तरनतारन शहर को पार कर जाती है अब अमृतसर मात्र 25 किलोमीटर रह जाता है| अमृतसर के बाहर गोलडन गेट पर हम शाम के पांच बजे तक पहुँच जाते है| सर्दियों के समय की वजह से अंधेरा जल्दी हो जाता है| डेरा बाबा नानक अभी भी 60 किलोमीटर के आसपास दूर था टरैफ़िक की वजह एक घंटे तीस मिनट का सफर बाकी था| अमृतसर में हम फतेहगढ़ चूड़िया रोड़ पर कुछ सामान लेने के लिए रुके| अमृतसर से आगे सड़क की चौड़ाई थोड़ी कम हो गई| शाम के छह बजने वाले थे और अंधेरा होना शुरू हो गया|
सरहदी ईलाका होने की वजह से मैं चाहता था कि हम जयादा लेट न हो| फतेहगढ़ चूड़िया के पास पहुंच कर हमने गाड़ी में पैटरोल भरवाया| फतेहगढ़ चूड़िया गुरदासपुर जिले का एक कस्बा है जहाँ हमें अमृतसर के बाद थोड़ी चहल पहल दिखी | यही से मैंने अपनी बेटी के लिए दूध के पैकेट, बिसकुट आदि खरीदें| फतेहगढ़ चूड़िया से डेरा बाबा नानक की दूरी 22 किमी रह जाती है| यहाँ से आगे रास्ता थोड़ा सुनसान ही था कयोंकि धीरे धीरे हम सरहद की ओर बढ़ रहे थे आबादी कम हो रही थी | शाम को सात बजे तक हम दरबार साहिब डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा साहिब में पहुंच गए| वहाँ हमें 500 रुपये में एसी और गीजर की सुविधा वाला कमरा मिल गया| रात को गुरु घर का लंगर छकने के बाद हम गुरुद्वारा साहिब में माथा टेकने गए| सफर की थकान की वजह से थोड़ी देर आराम किया और अगले दिन की करतारपुर साहिब यात्रा के तैयार हो गए|
कैसे पहुंचे- डेरा बाबा नानक गुरदासपुर से 35 किमी, अमृतसर से 55 किमी, मेरे घर से 180 किमी और चंडीगढ़ से 260 किमी दूर है। बस मार्ग से सारे पंजाब से जुड़ा हुआ है। रेल भी जाती हैं अमृतसर से। रहने के लिए गुरूदारा में कमरे भी बने हुए हैं। जब अमृतसर जाए तो एक दिन डेरा बाबा नानक का भी रख ले।