10 अनसुनी भारतीय जगहें, जिनके बारे में बड़े-बड़े घुमक्कड़ भी नहीं जानते!

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श्रेय : विस्से

दुनिया को वो सुनने में मज़ा आता है जो उसने आज तक नहीं सुना। ऐसे ही हर ट्रैवलर वो देखना चाहता है जो उसने आज तक नहीं देखा। अगर आप भारत की जगहों के ठीक ठाक चक्कर लगा चुके हैं और लगता है कि हमने देख ली दुनिया जो इतनी ख़ूबसूरत है। तो ये रही आपकी अगली लिस्ट, जिसको देखना अभी बाक़ी है...

1. अमदुबी, झारखंड

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श्रेय : मिडडे

जमशेदपुर से 65 किमी0 दूर ये गाँव पाइतकार कला से जुडे़ लोगों का गाँव है। पाइतकार कला भारत की एक आदिवासी कला है जिसमें पुराने पत्तों और पेड़ों की छाल पर कलाकारी की जाती है। इन्ही पत्तों के माध्यम से किसी सदी के नायकों के चित्र भी बनाए गए हैं। आदिवासी कला और संस्कृति अगर नहीं देखी है तो यहाँ पर आना एक अच्छा आइडिया होगा। इस वेबसाइट पर आप और जानकारी ले सकते हैं।

क्या है करने के लिए- कई सारे मंदिर हैं दर्शन करने के लिए। राजबरी मंदिर, त्रिविनेश्वर मंदिर, दसभुज मंदिर, पाँच पाण्डव। हर मंदिर की अलग कहानी। इसके साथ ज़ायका दुरुस्त करने के लिए है उद-पीठा (उबले हुए चावल के पकौड़े और दाल), गुड़-पीठा, जिल-पीठा (नॉनवेज)। आदिवासी जब मंदर और ढोल की धुन पर अपने लोकगीतों पर अखाड़े में नाचते हैं तो उसका मज़ा देखने लायक होता है।

और इसके साथ पाइतकार कला, सिल्क स्कार्फ़ पर चित्रकारी, शॉल और डोकरा क्राफ़्ट जोड़ना न भूलें।

घूमने का सही समय- सितम्बर से मार्च।

2. पारुल और भोगवे, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र की हर जगह को ट्रैवलर ने घूम लिया है लेकिन सिंधुदुर्ग ज़िले के पारुल और भोगवे पर दुनिया का ध्यान नहीं गया है। सूर्य मंदिर के पास पारुल कभी परलय ग्राम हुआ करता था। जब यह मंदिर नहीं टूटा था, तब शाम के समय सूर्य की किरणें इसी मंदिर की मूर्ति पर पड़ती थीं। मंदिर नहीं बचा लेकिन ख़ूबसूरती इस जगह की अभी भी कायम है। पारुल से 6 किमी0 दूर है भोगवे बीच। भूरी रेत पर उफनती पानी की सफ़ेद लहरें बहुत प्यारी लगती हैं। इसके साथ ही डॉल्फ़िन से मिलने का सपना भी यहाँ पूरा होता है।

घूमने के लिए- माचली के गाँव घूमने जाएँ। माल्वणी खाने का स्वाद लें। प्राकृतिक मत्स्य स्पा का आनंद लें। समुद्र के ठीक सामने बाँस की झोपड़ियों में वक़्त गुज़ारें। देवराय में पक्षी दर्शन और किल्ले निवाती क़िले में डूबते सूरज को देखने जाएँ। तरकली बीच के लिए भी थोड़ा समय निकाल कर रखें।

घूमने का सही समय- नवंबर से फ़रवरी।

3. हैनकोन, कर्णाटक

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श्रेय- वीवो 78

कारवार से 12 किमी0 की दूरी पर बसा है ये प्यारा सा गाँव। नदी के किनारे पर बसा ये गाँव आपके लिए बेस्ट टूरिस्ट प्लेस हो सकता है। फ्लैट वॉटर राफ़्टिंग, ट्यूबिंग, कायाकिंग, कैनोइंग के लिए यहाँ ज़रूर जाएँ। फ्लैट वॉटर राफ़्टिंग के लिए दांदली में काली रिवर लॉज या कारवार में देवबाग़ बीच रिसॉर्ट रुक सकते हैं।

क्या मिलेगा बेहतर- समुद्री खाना, समुद्र दर्शन और पानी से जुड़े खेल।

घूमने का सही समय- अक्टूबर से फ़रवरी।

4. दमरो, अरुणाचल प्रदेश

बाँस की फूस के बने घर, उसी फूस का लटकता हुआ लेकिन दमदार पुल और लोकल लोगों का शान्त स्वभाव, दमरो को परिभाषित करने के लिए काफ़ी है। आदि पदम आदिवासियों के इस गाँव में यामनी नदी के ऊपर लटकता ब्रिज बस देखने में ही कमज़ोर लगता है। अपने शान्त वातावरण के लिए प्रसिद्ध ये जगह शान्त जंगलों से ढकी हुई है।

क्या है बेहतर- यहाँ के लोगों की डोनो पोलो संस्कृति को जानिए। यहाँ के प्रसिद्ध स्मोक्ड पोर्क (सुअर का माँस) चखें। लाइ (पत्तियाँ), राजा चिली चटनी और अपोंग (चावल की शराब) का स्वाद ज़रूर से लें। झोपड़ियों में रुकें। अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें

घूमने का सही समय- नवम्बर से मई

5. नेंदुचेरी, तमिल नाडु

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श्रेय : चोब्स

कभी इतिहास की किताबों में आपने चोल वंश के बारे में पढ़ा होगा। नेंदुचेरी में वो वंश की यादें अभी भी कायम हैं। चिदंबरम से 12 किमी0 दूर और वीरानम झील से 2 किमी0 पूर्व में बसा लक्ष्मी विला चोल वंश की इमारत को सुधार कर बनाया गया है। साढ़े चार एकड़ में फैला ये विला अद्भुत कला और इतिहास का बड़ा उदाहरण है।

घूमने के लिए- भगवान शिव के मंदिर जाएँ। तोता भविष्य बताता है, सही या ग़लत लेकिन सुनने में मज़ा आता है। पलनकुज़ी और गोलीगुंडु जैसे अतीत के खेल भी खेलिए ।

घूमने का सही समय- अक्टूबर से मार्च।

6. गरमुर, असम

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श्रेय : रॉकी बरुआ

असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर स्थित मजूली द्वीप दुनिया का सबसे बड़ा नदी टापू है। मजूली अपने जनजातीय और सांस्कृतिक व्यवहार वाला विशिष्ट टापू है। ज़मीन तो कम है लेकिन जनसंख्या भी कम है। ट्रेकिंग का रास्ता जंगलों और घास वाली जगहों से होकर गुज़रता है जो सफ़र को बेइंतहा देखने लायक बना देता है। मजूली टापू पर बना गरामुर सत्र सबसे महान सत्रों में एक है। इसका पर्यावरण, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक विरासत इसे यूनेस्को जगह बनाती है।

घूमने के लिए- शैक्स में रुकें। मछली-चावल का स्वाद लीजिए, मछलियाँ पकड़ने का अनुभव भी मिलता है यहाँ। सुखद सूर्यास्त और आदिवासी जीवन जीकर देखिए, मोबाइल वाली ज़िन्दगी ख़राब लगने लगेगी।

घूमने का सही समय- अक्टूबर- नवंबर में रास उत्सव होता है । इसके अलावा अगस्त-सितम्बर में भी जाना चाहिए।

7. पोपलवड़ी, गोआ

गोआ कर्नाटक रूट पर पड़ता है पोपलवड़ी। चूँकि गोआ के रास्ते के बिल्कुल उल्टा पड़ता है, इसलिए बहुत प्रसिद्ध नहीं हो पाया। इसका मतलब ये भी नहीं कि ख़राब है जगह। जॉन पोलार्ड और सेल्विया केरकर की पति पत्नी की जोड़ी यहाँ 'ऑफ़ द ग्रिड' के मालिक हैं।

घूमने के लिए- पहली बार टीपी टेंट्स में रुकने का आनंद लें। ओवन में फ़्राइड पिज़्ज़ा का स्वाद चखें। ट्रेकिंग के लिए जा सकते हैं और दूधसागर वॉटरफॉल घूमने जाएँ।

घूमने का सही समय- जब छुट्टी मिले।

8. जवई, राजस्थान

पक्षी दर्शन बहुत कॉमन हो गया है। अब समय है जंगल घूमने का। उदयपुर और जोधपुर से समान दूरी पर स्थित है जवई का तेंदुआ कैंप। हालाँकि यह राजहंस, कलहंस, क्रेन और अन्य प्रवासी पक्षियों का घर है, लेकिन इसके बाद भी तेंदुए यहाँ आकर्षण का मुख्य केन्द्र हैं। तेंदुए के साथ जंगली भेड़िया, सुस्त भालू और हिरण दिख जाएँ, तो डरिएगा मत।

घूमने के लिए- टेंट में रुके हैं कभी? यही मौक़ा है। जीप की सफ़ारियों पर निकलिए और फ़ोटोग्राफ़ी करिए। और हाँ ज़्यादा मेल मिलाप मत करिए जानवरों से।

घूमने का सही समय- अप्रैल से मार्च

9. मैनपाट, छत्तीसगढ़

हरी वादियाँ और घने जंगल से घिरी इस जगह को छत्तीसगढ़ का शिमला बुलाती है दुनिया। माँझी मझवार, कँवर और पहाड़ी कोरवा जाति का घर मैनपाट जल स्तर से क़रीब 1000 मीटर की ऊँचाई पर होगा। धकपो मठ इस जगह का रंग थोड़ा तिब्बती भी कर देता है। इस जगह को मिनी तिब्बत भी कहते हैं।

घूमने के लिए- स्विस टेंट में रुकें, टाइगर पॉइंट जाएँ, फ़ूड पॉइंट जाएँ, मेहता पॉइंट और फड़फटिया भी देखें। तिब्बत रिफ़्यूजी कैंप भी देखने लायक है। इसके साथ ही तिब्बती जनसंख्या अच्छी ख़ासी होने के कारण तिब्बती खाना बढ़िया मिलता है।

घूमने का सही समय- मॉनसून और सर्दियों का, मतलब जुलाई से लेकर मार्च का।

10. उराकम, केरल

केरल की कला और संस्कृति का रंग यहाँ पर आकर थमता है। त्रिचुर से 10 किमी0 की दूरी पर पड़ती है उराकम नाम की यह जगह, जहाँ पर लोग आपको मिट्टी पर अलग अलग काम करते मिल जाएँगे। बर्तन बनाने से लेकर मूर्तियाँ बनाने तक।

घूमने के लिए- मिट्टी के गाँव हैं घूमने के लिए, प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर हैं दर्शन के लिए, ट्रेकिंग के लिए अच्छी जगह है और केरलिया स्वाद को तो भूलना अपराध है।

घूमने का सही समय- अक्टूबर से मार्च।

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