गोरछा: देहरादून से बस कुछ ही दूरी पर बसता है उत्तराखंड का ये अनछुआ स्वर्ग!

Tripoto

जो लोग पहाड़ों में रहते हैं, उनको पता ही नहीं कि वो स्वर्ग में रहते हैं। असलियत तो हम कंक्रीट के शहर में रहने वाले जानते हैं ; फूस की झोपड़ी में बेफ़िक्री से सो जाने का सुकून क्या होता है, कुल्हड़ में चाय पीने का मज़ा किसे कहते हैं, और भौजी के हाथ का खाना अपना सा क्यों लगता है। ये सब हमारी ज़िन्दगी में रोज़ नहीं होता, इसलिए ये अनुभव शायद काफी खास है हमारे लिए!

ख़ैर, आज हम उन ट्रैवलर्स की बात करेंगे जो मनाली-मसूरी जैसी भीड़ भरी दुनिया से ऊब चुके हैं और कुछ नया देखना चाहते हैं। जगह, जो थोड़ी सा शान्त, थोड़ी सा अपनी और थोड़ी सी सस्ती हो। एक लोकल जगह, जहाँ रहने पर कुछ नया एहसास मिले। सुबह पंछियों के चहचहाने से हो और साँझ सूरज को डूबते देखते हुए। हम आपको देहरादून से 5 घंटे दूर एक ऐसे ही स्वर्ग गोरछा के बारे में बताने वाले हैं। यहाँ आने का प्लान आप लॉकडाउन खुलने और हालात ठीक होने पर बना सकते हैं।

कहाँ स्थित है गोरछा

Photo of गोरछा: देहरादून से बस कुछ ही दूरी पर बसता है उत्तराखंड का ये अनछुआ स्वर्ग! 1/10 by Manglam Bhaarat
श्रेयः रूपा आब्दी

उत्तराखण्ड की शिवालिक पहाड़ियों की रेंज में बसा गोरछा, राजधानी देहरादून की चकराता तहसील में पड़ता है। देहरादून से यहाँ पहुँचने में कुल 5-6 घंटे की ड्राइविंग होती है, लेकिन इस अनुभव में ज़िन्दगी का स्वाद आ जाता है।

कैसी लगती है यह जगह

Photo of गोरछा: देहरादून से बस कुछ ही दूरी पर बसता है उत्तराखंड का ये अनछुआ स्वर्ग! 2/10 by Manglam Bhaarat
श्रेयः रूपा आब्दी
Photo of गोरछा: देहरादून से बस कुछ ही दूरी पर बसता है उत्तराखंड का ये अनछुआ स्वर्ग! 3/10 by Manglam Bhaarat
श्रेयः रूपा आब्दी

अप्रैल का मौसम है, पहाड़ों पर चमकती बर्फ़ की चादर पपड़ी की तरह कमज़ोर पड़ने लगी है। गाँव में लोगों ने जो गेहूँ की फसल लगाई थी, वो अब लहलहाने लगी है। सेब के पेड़ में ढेर सारे गुलाबी फूल सजे हुए हैं, जो धूप में चेरी की तरह चमकते हैं। दूसरे फलों और सब्ज़ियों की खेती भी यहाँ पर आम है।

गोरछा के लोग

ज़्यादा विकास नहीं हुआ है इस जगह का, शायद इसीलिए लोग दिल के अमीर है, और आर्थिक रूप से कुछ कमज़ोर भी। मेहमान का आवभगत यूँ करते हैं जैसे कोई अपना ही मिलने आ गया हो।

यह गाँव जौनसारी प्रजाति का बसाया हुआ है। उत्तराखण्ड की अधिकांश आबादी गढ़वाल और कुमाऊँ प्रजाति की है, लेकिन जौनसारी ख़ुद को इनसे कुछ अलग मानते हैं। वे अपनी जौनसारी भाषा में एक दूसरे से बात करते हैं।

Photo of गोरछा: देहरादून से बस कुछ ही दूरी पर बसता है उत्तराखंड का ये अनछुआ स्वर्ग! 4/10 by Manglam Bhaarat
श्रेयः रूपा आब्दी

अपने उत्सवों में किसी पारंपरिक लोकगीत गाते हैं और अपना नृत्य करते हैं। दुनिया से एक सीमित दायरे तक जुड़े होने के कारण एक सादगी मिलती है यहाँ के लोगों में, जो आप भी पहुँचकर महसूस करेंगे।

घूमने की जगहें

पहले तो आपको यहाँ पर पहुँचने के लिए काफ़ी समय लगेगा। लेकिन यह समय फलीभूत होता है जब आप यहाँ आ पहुँचते हो। शिवालिक पहाड़ियों के बीच बसे गोरछा पहुँचकर आपको पता चल जाएगा मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ।

1. ब्यार गुफाएँ

Photo of गोरछा: देहरादून से बस कुछ ही दूरी पर बसता है उत्तराखंड का ये अनछुआ स्वर्ग! 5/10 by Manglam Bhaarat
श्रेयः रूपा आब्दी

यहाँ से ब्यार गुफाओं तक का ट्रेक है, मुश्किल से 2 किमी0 का। लेकिन आनन्ददायक है, आपकी उम्र 50 साल क्यों ना हो, ये ट्रेक पूरा करने में दिक्कत नहीं आएगी।

इस आरामदायक ट्रेक में मिलते हैं फ़र, चीर और देवदार के घने पेड़। चटख रंग के जंगली फूलों को देख एक बार में उनको तोड़ लेने का मन करता है, लेकिन ऐसा करिएगा मत, जंगली फूल नाम उनका यूँ ही नहीं है। इसके साथ ही शिवालिक पहाड़ियों के परिचित पंछियों के चहचहाने की आवाज़ें, जिनके साथ सफ़र और रोचक होता जाता है। हाँ, जंगल का माहौल है, तो इसलिए मक्खियों के भिनभिनाने की आवाज़ सदा आपको बेचैन रखेगी। लेकिन यही तो वो चीज़ें हैं, जो सफ़र पूरा होने के बाद आप अपने ट्रिप पर लिख पाओगे। ऐसा रास्ता, जिसका सफ़र मंज़िल जितना ही सुहाना होता है।

Photo of गोरछा: देहरादून से बस कुछ ही दूरी पर बसता है उत्तराखंड का ये अनछुआ स्वर्ग! 6/10 by Manglam Bhaarat
श्रेयः रूपा आब्दी

ब्यार गुफाएँ बहुत शान्त हैं, बिल्कुल पहाड़ के जितनी। ठण्डी हैं, गहरी हैं और अँधियारे से भरी हुई। मिट्टी कुछ अजीब है यहाँ की, उसकी बनावट तो और भी आकर्षक। लोग बताते हैं कि कुछ दिनों पहले यहाँ हिमालय का काला भालू भी देखा गया था।

2. मोयाला टॉप

मोयाला टॉप की चढ़ाई ब्यार गुफाओं से थोड़ी तो मुश्किल है। 5 किमी0 लम्बे इस ट्रेक पर ढेर सारे छोटे छोटे पहाड़ों को पीछे छोड़ते हुए बुगयाल पर पहुँचते हो। और भाई, यहाँ का नज़ारा, माशाल्लाह, सुभानअल्लाह।

Photo of गोरछा: देहरादून से बस कुछ ही दूरी पर बसता है उत्तराखंड का ये अनछुआ स्वर्ग! 7/10 by Manglam Bhaarat
श्रेयः रूपा आब्दी

बादलों के बीच में पहाड़ लुका छुपी खेल रहे हैं। स्वर्ग तो शुरू होता है यहाँ, लेकिन धरती ख़त्म नहीं होती। हरी हरी घास पर अपनी भेड़ें लिए चरवाहे नज़र आ जाते हैं कई बार। यहाँ पर लोग रात को लकड़ी जलाकर इस गाँव में भूत, प्रेत और जादू की कहानियाँ सुनाते हैं। और आप बोलते हो स्वर्ग किसने देखा है।

कई मायनों में गोरछा स्वर्ग है। पंछी दर्शन के मामले में भी। हिमालय के कई प्रकार के पंछी आपको यहाँ देखने मिल जाएँगे।

3. कानासर

Photo of गोरछा: देहरादून से बस कुछ ही दूरी पर बसता है उत्तराखंड का ये अनछुआ स्वर्ग! 8/10 by Manglam Bhaarat
श्रेयः रूपा आब्दी

कानासर में रुकना हो तो आप वापस आते वक़्त भी रुक सकते हो। देवदार के घने पेड़ों की आबादी ख़ूब है यहाँ। लगता है किसी फ़िल्म की शूटिंग हो सकती है यहाँ पर। लेकिन ऐसी जगहें ज़्यादा जनता का बोझ ना उठाएँ तो ही बेहतर है। एशिया का सबसे बड़ा देवदार का पेड़ यहाँ पर ही है, जिसकी परिधि 6.35 मीटर है। इसके ठीक बगल में ही कानासर देवता का मंदिर भी है, जिसके दर्शन करने कर लिए तो यहाँ आना सफल हो गया मानो।

4. टाइगर फ़ॉल

Photo of गोरछा: देहरादून से बस कुछ ही दूरी पर बसता है उत्तराखंड का ये अनछुआ स्वर्ग! 9/10 by Manglam Bhaarat
श्रेयः रूपा आब्दी

उफ़्फ़, क्या जगह है। पहुँचते ही एकदम से ताज़गी आ जाती है। यहाँ तक पहुँचने का सफ़र थोड़ा ऊबड़-खाबड़ हो सकता है, लेकिन सारी थकान 312 फ़ीट ऊँचे इस झरने के पानी में नहाने से ही मिट जाएगी।

जाने का सही समय

गोरछा बेहद सर्द माहौल और रंग बदल मौसम का आदी है।

गर्मियों (मार्च से जून) में यहाँ तापमान 10-30 डिग्री सेल्सियस होता है।

वहीं मॉनसून (जुलाई से सितम्बर) में बारिश होती है, जमकर नहीं लेकिन उससे कुछ कम। लेकिन सड़के अच्छी ना होने से बहुत ख़राब मामला हो जाता है।

सर्दियों (दिसम्बर से फ़रवरी) में तापमान जमा देने वाला होता है, -5 से 15 डिग्री सेल्सियस।

इसलिए जाने का सबसे सही समय मार्च से मई का होता है। क्योंकि हल्की धूप पड़ती है, जो ठण्ड के आग़ोश में बहुत कोज़ी कोज़ी लगती है।

Photo of गोरछा: देहरादून से बस कुछ ही दूरी पर बसता है उत्तराखंड का ये अनछुआ स्वर्ग! 10/10 by Manglam Bhaarat
श्रेयः रूपा आब्दी

कहाँ रुकें

रुकने के लिए कुछ परिवार हैं। आप तिकम सिंह जी के यहाँ रुक सकते हैं। अगर यहाँ ना हो पाए तो तिकम जी आपको बता देंगे कि कहाँ रुका जा सकता है।

उनके फ़ेसबुक पर जाकर आप उनसे बात कर सकते हैं। https://www.facebook.com/Gorchha-Village-106305010036987/

फ़ोन नंबर : 91-8447728560

कैसे पहुँचें

हवाई मार्ग- गोरछा के सबसे नज़दीकी पन्त नगर हवाई अड्डा है जो क़रीब 65 किमी0 दूर है। वहाँ से गोरछा के लिए कैब चलती हैं। दिल्ली से फ़्लाइट का किराया ₹4,500 तक है।

रेल मार्ग- काठगोदाम रेलवे स्टेशन यहाँ से 28 किमी0 दूर है। वहाँ से कैब या टैक्सी इस जगह के लिए मिल जाएगी। दिल्ली से काठगोदाम का स्लीपर किराया ₹205 और 3एसी किराया ₹505 है।

सड़क मार्ग- दिल्ली के आईएसबीटी से देहरादून के लिए बस जाती जिसका किराया ₹1000 तक होगा और पहुँचने में क़रीब 8 घंटे का समय लगेगा।

आपको कैसा लगा यह आर्टिकल, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।

अपनी यात्राओं के अनुभव को Tripoto मुसाफिरों के साथ बाँटने के लिए यहाँ क्लिक करें।

रोज़ाना वॉट्सऐप पर यात्रा की प्रेरणा के लिए 9319591229 पर HI लिखकर भेजें या यहाँ क्लिक करें