भारत के 8 शानदार ग्लेशियर, गायब होने से पहले हर ट्रेकर को देख लेना चाहिए

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Photo of भारत के 8 शानदार ग्लेशियर, गायब होने से पहले हर ट्रेकर को देख लेना चाहिए by Musafir Rishabh

भारत की शानदार और छिपी ही हुई खूबसूरत जगहों के बारे में जानना चाहते हो? अपनी अगली छुट्टी में ‘मेरा शानदार भारत, सफर अनोखे इंडिया क’ सफर करने की योजना बनाएं। ट्रेकिंग घुमक्कड़ी की सबसे खूबसूरत रूप है। हर कोई सतह से सबसे उंची पहाड़ी पर जाना चाहता है लेकिन क्या आपको पता है कि आप ट्रेकिंग क्यों करते हैं? इस बारे में ग्रेग चाइल्ड ने खूबसूरत बात कही है- चढ़ाई के नीचे और शिखर के बीच में कहीं पर इस बात का जवाब है कि हम क्यों चढ़ते हैं?

जिनको पहाड़ों से प्यार होता है वे जानते हैं ट्रेकिंग का आनंद क्या होता है? उनको प्रकृति की शांति और जादुई खूबसूरती रास आती है। इन पहाड़ों में ठंडे-ठंडे ग्लेशियर होते हैं जो इस जगह को खूबसूरत तो बनाते ही हैं इसके अलावास चुनौती भी बढ़ाते हैं। रोमांच के शौकीन ही ग्लेशियर का ट्रेक करने के बारे में सोच पाते हैं। अगर आपको एडवेंचर पसंद है तो हिमाचलय ग्लेश्यिर के ट्रेक करने का मौका देता है। ग्लेशियर की ट्रेकिंग में आपको खूबसूरत घाटियाँ, झील, बर्फ से ढंके जंगल, नदियाँ, जमे झरने और ग्लेशियर के नजारे तो देखने को मिलते ही हैं। साथ ही में ये आपके सफर को कठिन बनाते हैं। रोमांच से भरा घुमक्कड़ ही हिमालय की इन ग्लेशियर ट्रेक को करने के बारे में सोच सकता है।

1. गंगोत्री ग्लेशियर

भारत के सबसे फेमस ग्लेशियरों में से एक है, गंगोत्री ग्लेशियर। उत्तराखंड के उत्तरकाशी क्षेत्र में स्थित गंगोत्री ग्लेशियर 30 किमी. लंबा और 2 से 4 किमी. चौड़ा है। चौखंभा पीक के ठीक नीचे से निकला ये ग्लेशियर उत्तर पश्चिम की ओर जाकर गाय के मुख के आकार से पानी के रूप में निकलता है। इस वजह से इस जगह का नाम गौमुख पड़ा। गंगोत्री हिमालय का सबसे बड़ा ग्लेशियर होने के कारण भागीरथी थर्ड, मेरु, शिवलिंग और थलय सागर जैसी चोटियों से घिरा हुआ है। गंगोत्री ग्लेशियर गंगा नदी का स्रोत तो है ही इसके अलावा गंगा की सहायक नदी भागीरथी का भी स्रोत है। आप गंगोत्री गौमुख ट्रेक का विकल्प चुन सकते हैं जो हरे-भरे घास के मैदानों और हरियाली से होकर गुजरता है।

समयः 5-6 दिन, लेवलः मीडियम।

2. सतोपंथ ग्लेशियर

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित सतोपंथ ग्लेशियर लगभग 13 किमी. में फैला हुआ है जिसके चारों तरफ बर्फ से ढंकी चोटियाँ हैं। ग्लेशियर के बारे में जानने से पहले सतोपंथ का शाब्दिक अर्थ जान लीजिए। सातो का का अर्थ सत्य और पंथ का मतलब है रास्ता। ग्लेश्यिर के शौकीनों और एडवेंचर पसंद घुमक्कड़ों के लिए सतोपंथ ग्लेशियर बढ़िया जगह है। चमोली के जोशीमठ से सतोपंथ ग्लेशियर तक पहुँचा जा सकता है। ये शानदार ट्रेक माणा गाँव से शुरू होता है और अलकनंदा नदी के रास्ते आगे बढ़ता है। इस ट्रेक में आपको 15,100 फीट की ऊँचाई सतोपंथ लेक देखने को मिलेगी। ये झील चौखंबा, नीलकंठ, स्वर्गरोहिणी और बालकुन जैसी चोटियों से घिरी हुई है।

समयः 5-6 दिन, लेवलः मीडियम।

3. कोलाहोई ग्लेशियर

अगर धरती में कहीं जन्नत है तो वो कश्मीर में है। इसी जन्नत में 4,700 फीट की ऊँचाई पर एक छिपा हुआ स्वर्ग है, जहाँ बहुत कम लोग ही गए हैं। कश्मीर के खूबसूरत शहर पहलगाम से 26 किमी. की दूरी पर स्थित कोलाहोई ग्लेशियर किसी चमत्कार से कम नहीं है। कश्मीर हिमालय का ये सबसे बड़ा ग्लेशियर है। इस वजह से इसमें झेलम की नदी को सहायक नदियाँ लिद्दर और सिंध आती हैं। ये ट्रेक अरु वैली से शुरू होता है और लिद्दर घाटी को पार करता हे। इस ट्रेक के आखिर में शानदार कोलाहोई ग्लेशियर आता है। रास्ते में आपको देवदार के जंगल, घास के मैदान और नदियाँ देखने को मिलेंगी।

समयः 5 दिन, लेवलः मध्यम से कठिन।

4. द्रंग द्रुंग ग्लेशियर

लद्दाख भारत की वो खूबसूरत जगह है जो हर घूमने वाले की बकेट लिस्ट में होती है। अगर आप लद्दाख की यात्रा में पेन्सी ला का सफर करते हैं तो आप प्राकृतिक चमत्कारों से रूबरू हो सकते हैं, जिसे द्रंग द्रुंग ग्लेशियर कहा जाता है। समुद्र तल से 4,780 मीटर की ऊँचाई पर स्थित इस ग्लेशियर को सियाचिन ग्लेशियर को छोड़कर लद्दाख का सबसे बड़ा ग्लेशियर कहा जा सकता है। आप कारगिल-जांस्कर रोड से इस सफर को कर सकते हैं। द्रंग द्रुंग ग्लेशियर एक बर्फ की लंबी नदी है जो स्टोड नदी का स्रोत है। इस ग्लेशियर से आप डोडा चोटी को देख सकते हैं। लगभग 3 दिन के इस कठिन ट्रेक को रोमांच के दीवाने ही कर सकते हैं।

समयः 3 दिन, लेवलः मध्यम से कठिन।

5. पिंडारी ग्लेशियर

उत्तराखंड में खूबसूरत ग्लेशियरों की भरमार है। उत्तराखंड के हिमालय में खूबसूरत पिंडारी ग्लेशियर है। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित पिंडारी ग्लेशियर लगभग 9 किमी. लंबा है। ये ग्लेशियर पिंडर नदी को जन्म देता है जो बाद में कर्णप्रयाग में अलकनंदा से मिलती है। इस ट्रेक के सुंदर झरने, हरे-भरे घास के मैदान देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक बागेश्वर से 20 किमी. दूर एक छोटे-से गाँव लोहारखेत से शुरू होता है। नंदा देवी वाइल्ड सैंक्चुरी से होकर आप ग्लेशियर तक पहुँचेंगे। आपको यहाँ से मैकटोली और पनवाली द्वार जैसी पीक देखने को मिलेंगी।

अवधिः 7 दिन, स्तरः आसान से मध्यम।

6. मिलम ग्लेशियर

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिल में 4,268 मीटर की ऊँचाई पर स्थित मिलम ग्लेशियर 37 वर्ग किमी. में फैला हुआ है। ये जगह हर ट्रेकर की बकेट लिस्ट में होनी चाहिए। मुनस्यारी में बेस कैंप से ग्लेशियर तक का रास्ता बेहद खूबसूरत है। आपको इस सफर में माउंट त्रिशूली और हरदेओल पीक के लुभावने दृश्य देखने को मिलेंगे। 1962 में इंडो-चाइना के बीच हुए लड़ाई के चलते इस ट्रेक को बंद कर दिया गया था। बाद में 1994 में ये जगह ट्रेकिंग के लिए खोल दी गई। इस ट्रेक में युद्ध के कुछ अवशेष देखने को मिल सकते हैं। पहाड़ों के बीच होना अपने आप में जादुई अनुभव है। वैसा की कुछ आप मिलम ग्लेशियर को देखने पर महसूस करेंगे। ये ग्लेशियर 52 चोटियों से घिरा हुआ है।

अवधिः 11 दिन, स्तरः आसान से मध्यम।

7. बुद्धबन ग्लेशियर

कसोल आपकी बकेट लिस्ट में जरूर होगा या आप एक दो बार गये भी होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं? कसोल के पास एक शानदार ग्लेशियर है जिसे आप देख सकते हैं। हिमाचल प्रदेश में बुद्धबन ग्लेशियर है जिसे कुटला ग्लेशियर भी कहते हैं। इस ग्लेशियर तक पहुँचने के लिए आप तोश से ट्रेक शुरू कर सकते हैं। ये ट्रेक काफी आसान है जिसे पूरा करने में लगभग 2 घंटे लगेंगे। ये रास्ता आपको एक छोटे-से झरने तक ले जाएग, जहाँ से आपको दूर-दूर तक बर्फ ये ढंकी चोटियाँ दिखाई देंगी। प्रकृति की कारीगरी देखकर आपका रोम-रोम खुश हो उठेगा।

समयः 1 दिन, स्तरः आसान।

8. बनबुनी ग्लेशियर

खीरगंगा भारत के सबसे लोकप्रिय ट्रेक में से एक है। उसी क्षेत्र में एक और खूबसूरत जगह है जिसे बुनबुनी ग्लेशियर के नाम से जाना जाता है। इस जगह के बारे में कम लोगों को पता है इसलिए यहाँ अभी तक भीड़ नहीं आई। खीरगंगा से थोड़ा कठिन है लेकिन सुंदरता में भी कम नहीं है। बनबुनी पास समुद्र तल से 3,800 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। ये ट्रेक कलगा गाँव से शुरू होता है। आप खीरगंगा होते हुए भी बनबुनी ग्लेशियर तक जा सकते हैं। बनबुनी ग्लेशियर के खूबसूरत नजारों को देखकर आप अवाक रह जाएंगे। बनबुनी जाने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से अक्टूबर का है। अक्टूबर के बाद ये जगह बर्फ से ढंक जाती है।

अवधिः कलगा से 2 दिन, लेवलः आसान।

यदि आप ऐसे व्यक्ति हैं जो पहाड़ों पर जाने के लिए कभी ‘न’ नहीं कह सकते हैं तो आप इन ग्लेशियरों की यात्रा कर सकते हैं।

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