7 अजीब रिवाज जो कि देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों की अच्छी किस्मत के नाम पर आज भी चलन में हैं!

Tripoto
Photo of 7 अजीब रिवाज जो कि देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों की अच्छी किस्मत के नाम पर आज भी चलन में हैं! 1/8 by Rupesh Kumar Jha
श्रेय: Wikimedia Commons

भारत प्राचीन संस्कृति और धार्मिक विविधताओं का देश है। यहाँ बाहरी और भीतरी दोनों तरह की परंपराओं को बढ़ने, उसे फलने-फूलने के अवसर मिले। लिहाजा देशभर में सांस्कृतिक विविधता के साथ ही कुछ ऐसी परंपराएँ बनीं जो आज उपयोगी हैं या नहीं, ये तो खैर एक बड़ा मुद्दा है। आज़ाद देश में अपनी संस्कृति और परम्पराओं के पालन की आज़ादी तो है ही लेकिन कुछ परम्पराएँ जो कि बच्चों को लेकर हैं, मैं आप लोगों के सामने पेश कर रहा है। बच्चों के गुडलक के नाम पर आज भी जो देशभर में अजीब हरकतें हो रही हैं ये सही है या गलत, इसे मैं तय करने की जिम्मेदारी आप पर छोड़ता हूँ।

1. बेबी टॉसिंग:

Photo of 7 अजीब रिवाज जो कि देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों की अच्छी किस्मत के नाम पर आज भी चलन में हैं! 2/8 by Rupesh Kumar Jha
श्रेय: iTraveller

कहां: महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में

अपने नवजात शिशु को ले जाएं और इसे एक दुलार में ज़रा उछालें। ये तो समझ में आने वाली बात है लेकिन अगर आपको बताएं कि बच्चे को 50 फीट ऊँचे मंदिर से गिराया जाता है तो जाहिर है, चौंक जाएंगे। ऐसा कोई और नहीं बल्कि बच्चे की पिता ही करता है। वह अपने बच्चे के जीवन को ऊंचाई प्रदान करने के लिए ऊँचे मंदिर पर जाता है और वहाँ से इसे नीचे फेंक देता है। नीचे उसके परिवार के अन्य लोग कंबल या कोई गद्देदार चीज फैलाकर रखते हैं जिससे वह सलामत बचता है। अब आप ही बताएं कि क्या ऐसा करने से वाकई बच्चा ऊँचाई पर पहुँचने में सफल होगा!

2. रेत में बच्चों को गाड़ देना:

Photo of 7 अजीब रिवाज जो कि देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों की अच्छी किस्मत के नाम पर आज भी चलन में हैं! 3/8 by Rupesh Kumar Jha
श्रेय: Indiatimes

कहां: गुलबर्गा, कर्नाटक

गुलबर्गा में लोगों का मानना है कि सूर्य ग्रहण के दिन शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों को उनकी गर्दन तक रेत में गाड़ देने से उसकी विकलांगता और अन्य समस्याएँ दूर हो जाती हैं। बता दें वैज्ञानिकों ने भी इस प्रथा को लेकर चेतावनी दी है लेकिन मानने वाले कहाँ सुनते हैं! इस रस्म को करते हुए लोग बच्चों अक्सर छह घंटे तक रेत के गड्ढों में दबाकर छोड़ देते हैं। इसका परिणाम कारगर हो ना हो, परंपरा के लिए लोगों का विश्वास लगातार कायम है।

3. फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन:

Photo of 7 अजीब रिवाज जो कि देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों की अच्छी किस्मत के नाम पर आज भी चलन में हैं! 4/8 by Rupesh Kumar Jha
श्रेय: योरस्टोरी

कहां: मुंबई, महाराष्ट्र

बोहरा कम्युनिटी, मुसलमानों के शिया समूह का एक भाग है, जो विशेष रूप से छह या सात साल की लड़कियों पर ये रस्म करता है। एफएमजी गैर-पेशेवरों द्वारा किया जाता है और इसमें शामिल लड़कियों की सुरक्षा उपायों या स्वच्छता को लेकर कोई एहतियात नहीं बरती जाती है। कम्युनिटी की मानें तो जननांग का जो अनैतिक भाग होता है उसे हटा दिया जाता है। बच्चियों को बेहद कम उम्र छह-सात साल में ही इससे गुजरना होता है। इतना ही कहना काफी है कि आप समझ गए होंगे कि इस प्रक्रिया में कष्टदायी दर्द का अनुभव होता है। ये आज भी बिना किसी रोक-टोक के बदस्तूर जारी है।

4. उबलते दूध (कराह पूजन) से नवजात शिशु को नहलाना

Photo of 7 अजीब रिवाज जो कि देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों की अच्छी किस्मत के नाम पर आज भी चलन में हैं! 5/8 by Rupesh Kumar Jha
श्रेयः Star2

कहां: भारत के ग्रामीण भाग

ये एक ऐसा रिवाज है जिसमें पिता अपने नवजात बच्चे को एक मंदिर में ले जाता है और परिवार के सदस्यों और पुजारियों के सामने उन छोटे पैरों को गर्म दूध के कटोरे में डुबोता है। इसके बाद मंत्रों का उच्चारण और स्तुति की जाती है। पिता पहले अपने बच्चे के शरीर पर गर्म तरल डालते हैं और फिर अपने शरीर के ऊपर। लोगों का मानना है कि यह देवताओं को प्रसन्न करता है और नवजात बच्चे की आत्मा को शुद्ध करता है। बच्चे को कैसा फील होता है ये बस कल्पना की जा सकती है!

5. कर्णभेद या कान छिदाई:

Photo of 7 अजीब रिवाज जो कि देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों की अच्छी किस्मत के नाम पर आज भी चलन में हैं! 6/8 by Rupesh Kumar Jha
श्रेय: Vaidheegam Iyer

कहां: देश के कई हिस्सों में ब्राह्मण परिवारों में

यह हिंदू परंपरा मूल रूप से नवजात लड़कों और लड़कियों के लिए एक कान छिदवाने की रस्म है। यह जन्म के दिन से 12वें या 13वें दिन पर होता है और तब भी किया जा सकता है जब बच्चा 3 से 6 महीने का हो या बाद में बच्चे के तीसरे या पांचवें वर्ष में हो। लोगों का मानना है कि ऐसा करने से बुरी आत्मा बच्चे से दूर हो जाती है और ये एक महत्वपूर्ण एक्यूपंक्चर पॉइंट को भी उत्तेजित करता है। बच्चे को कष्ट देकर क्या वाकई कुछ हासिल होता है!

6. गाय के गोबर में लुढ़कना:

Photo of 7 अजीब रिवाज जो कि देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों की अच्छी किस्मत के नाम पर आज भी चलन में हैं! 7/8 by Rupesh Kumar Jha
श्रेय: मिरर

कहां: बैतूल, मध्य प्रदेश

भारत के लोगों में गाय को लेकर एक अलग प्रेम है। बैतूल के इन ग्रामीणों को गाय के गोबर की ढेर पर अपने नवजात शिशुओं को लुढ़कने देने के लिए कोई पुरस्कार ही दे देना चाहिए! वे मानते हैं कि ऐसा करने से उनके बच्चे सौभाग्यशाली और स्वस्थ होते हैं। यह रस्म दिवाली के एक दिन बाद की जाती है। ऐसा करके बच्चों का भाग्य कितना सुधरता है, ये मुझे नहीं मालूम लेकिन अगले कुछ दिन उसे मलमल कर नहाना जरूर पड़ता होगा।

7. उबलते पानी में डुबकी

Photo of 7 अजीब रिवाज जो कि देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों की अच्छी किस्मत के नाम पर आज भी चलन में हैं! 8/8 by Rupesh Kumar Jha
श्रेय: Ervins Strauhmanis

कहां: बीजापुर, कर्नाटक

ये रस्म भी कर्नाटक से ही जुड़ा हुआ है जो कि कई तरह से निभाया जाता है। गौर से देखेंगे तो लगेगा कि इसका पूरा का पूरा एक पैटर्न है। कर्नाटक के लोग अपने बच्चों को कठिन से कठिन शुरुआत देकर उन्हें कठोर बनाते हैं ताकि जीवन की विपदाओं को झेल सके। इस रस्म में पिता अपने 3 महीने के बच्चे को एक मंदिर के अंदर गर्म पानी में डुबो देते हैं। हालांकि बच्चे को जल्द ही बाहर निकाल लिया जाता है लेकिन शरीर गंभीर रूप से जल भी सकते हैं। अगर ऐसा होता भी है तो लोग मानते हैं कि बच्चा जल्द ही ठीक हो जाता है। ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि बच्चा इससे स्वस्थ हो जाता है। रिवाज है तो लोग उसके हिसाब से आपको फायदे भी बता ही देते हैं!

कुछ लोग इन रिवाजों को अजीब कह सकते हैं लेकिन वहीं कुछ लोग अपने विश्वास पर कायम रहने के लिए किसी भी हद तक गुजर जाते हैं। इस पर आपका क्या ख्याल है? नीचे कमेंट कर जरूर बताएँ।

अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी है या किसी यात्रा से जुड़े अनुभव शेयर करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें!

मज़ेदार ट्रैवल वीडियोज़ को देखने के लिए हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें

ये आर्टिकल अनुवादित है। ओरिजनल आर्टिकल पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें