कई जगहें ऐसी होती हैं जिनके बारे में लोगों को पता नहीं होता है। उस जगह पर जाकर लगता है कि यहाँ हम पहले क्यों नहीं आए? भारत में ऐसी ही एक खूबसूरत जगह है जिसे हर किसी की बकेट लिस्ट में होना चाहिए। वैसे अरुणाचल प्रदेश में कई छिपीं और अनछुई जगहें हैं। लेकिन इन सबमें सबसे खूबसूरत और प्यारी जगह है, बसर। इस जगह के बारे में बहुत कम लोगों को पता है इसलिए यहाँ के लोगों की शिकायत भी रहती है कि यहां कोई आता ही नहीं। अगर अरुणाचल प्रदेश पैराडाइज है तो बसर उसका दिल है। आइए आज अनछुए बसर के सफर पर चलते हैं।
बसर अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी सियांग के लेपाराडा जिले में आता है। बसर नाॅर्थ-ईस्ट का सबसे कम एक्सप्लोर की गई जगह है। यहाँ की खूबसूरती सिर्फ जंगल, पहाड़ और झरने नहीं है। यहाँ की असली खूबसूरती है यहाँ के गाँव और यहाँ के लोग। बसर एक गाँव या एक कस्बा नहीं है। बसर एक बहुत बड़े इलाके का नाम है जिसमें 26 गाँव आते हैं। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो आपको ये जगह अच्छी लगेगी और अगर आप ऐडवेंचर करना चाहते हैं तो वो भी आप यहाँ कर सकते हैं। बसर आपको किसी भी तरह से निराश नहीं करता है।
क्यों है ये छिपा हुआ नगीना?
पहले तो बसर नाम ही बहुत कम लोगों को पता है। उसकी एक बड़ी वजह ये है कि इंटरनेट पर खूबसूरती के लिए उत्तराखंड और हिमाचल को ही आगे किया जाता है। नाॅर्थ-ईस्ट के बारे में इंटरनेट पर बहुत कम कहा जाता है। बसर में बहुत सारे खूबसूरत ट्रेक, गुफाएँ और घने जंगल हैं। इसके अलावा कुछ खूबसूरत जगहें हैं जिनके लिए आप यहाँ बार-बार आना चाहेंगे।
अरुणाचल प्रदेश में गालो जनजाति की अच्छी खासी आबादी है। गालो जनजाति की बड़ी आबादी पश्चिमी सियांग, लेपा रादा और निचले सियांग जिले में रहती है। बसर में भी गालो जनजाति के लोग ही रहते हैं। गालो जनजाति के लोग अपनी आर्ट्स के लिए जाने जाते हैं। गालो जनजाति मानते हैं कि वे आबोतानी के वंशज हैं। इस जनजाति के लोग अपनी लैंग्वेज में बात करते हैं, जो गालो है। मगर नई उम्र के लड़कों को हिन्दी और इंग्लिश भी अच्छे-से आती है। गालो आदिवासी के ज्यादातर लोगों को असमिया भी बहुत अच्छे-से आती है।
गालो जनजाति का मानना है कि लोगों को समूह में रहना चाहिए। इसलिए आपको यहाँ अलग-अलग गाँवों में एक साथ बहुत सारे घर मिलेंगे। गालो जनजाति की एक खास बात जान लीजिए यहाँ बच्चे के नाम रखना हमारे लिए नया और दिलचस्प काॅन्सेप्ट है। यहाँ बच्चे का नाम पिता के नाम के आखिरी दो अक्षरों से शुरू किया जाता है। मान लीजिए पिता का नाम तानी है तो बच्चे का नाम नीतो होगा। नीतो के बच्चे का नाम तोपो, तोपो के बच्चे के नाम पोई। ये कुछ अलग लेकिन बेहतरीन काॅन्सेप्ट है।
प्लास्टिक फ्री जोन
बसर के लोगों के लिए प्रकृति माँ है। यहाँ आपको चारों तरफ साफ-सफाई मिलेगी। रोड के किनारे पेड़ मिलेंगे। बसर में घुसने से पहले एक बोर्ड मिलेगा। जिस पर लिखा है प्लास्टिक फ्री जोन में आपका स्वागत है। जब आप यहाँ पहुँचेंगे तो आपको ये समझ में भी आ जाएगा। आपको रोड पर तो क्या? लोगों के हाथों में भी प्लास्टिक नहीं दिखाई देगी। यहाँ खाने के लिए प्लेट की जगह केले के पत्तों का प्रयोग किया जाता है। पानी के लिए बाँस के तने से गिलास बनाया गया है। आपको यहाँ चावल से बनी स्थानीय बीयर पोका भी बाँस में दी जाएगी। इस प्रकार आपको शुरूआत में ही बसर आपका मन जीत लेगा। जो कसर बची होगी वो यहाँ की खूबसूरती पूरी कर देगी।
क्या देखें?
बसर में वो सब कुछ है जो हर प्रकार के टूरिस्ट और ट्रैवलर्स चाहते हैं। यहाँ फोटोग्राफरों के लिए ये गाँव हैं। जहाँ वे गालो जनजाति के लोगों, कल्चर और परंपरा को तस्वीरों में सहेज सकते हैं। एडवेंचर के शौकीनों के लिए कई ट्रेक और गुफाएं हैं। आइए आपको इन्हीं जगहों में से कुछ चुनिंदा जगहों के बारे में बताते हैं। जिनके बारे में बहुत कम लोगों को पता है।
1- चमगादड़ गुफा
तो सबसे पहली जगह है चमगादड़ गुफा। ये गुफा पदी गाँव से लगभग एक घंटे पैदल चलने के बाद आती है। रास्ते में आपको घना जंगल और वाटरफाॅल भी मिलते हैं। जो इस सफर को थोड़ा लंबा मगर खूबसूरत बना देते हैं। जब चमगादड़ गुफा के अंदर पहुँचते हैं तब पता चलता है कि इसका ऐसा नाम क्यों है? पूरी गुफा में चमगादड़ ही चमगादड़ हैं। जिनकी आवाज आपको कानों में चुभेगी। जब तक आप इस गुफा से बाहर नहीं निकलेंगे आपको चैन नहीं मिलेगा।
2- ओडि पुत्तु
अगर आपको बसर में उगते हुए सूरज का सबसे खूबसूरत नजारा देखना है तो ओडि पुत्तू का ट्रेक करना होगा। ओडि पुत्तू से सबसे नजदीकी सागो गाँव हैं। जहाँ आप रात में होम स्टे में रूक सकते हैं और सुबह-सुबह इस ट्रेक को कर सकते हैं। सागो गाँव से इस ट्रेक को करने में लगभग दो घंटे लगते हैं। अगर मौसम साफ हुआ या बारिश नहीं हुई तो आप सबसे खूबसूरत नजारे को देख पाएँगे। अगर आप बसर आएँ तो इस जगह को अपनी लिस्ट में टाॅप पर रखें।
3- बुमची वाटरफाॅल
बसर में बहुत सारे वाटरफाॅल हैं और सभी बेहद खूबसूरत। मगर इन सबमें एक वाटरफाॅल ऐसा है जो ट्रेक करके जाना होता है। इस ट्रेक में आपको घने जंगल को पार करना होगा, नदी पार करनी होगी और पहाड़ को चढ़ने के बाद ऐसी जगह पहुचेंगे। जहां 40 से 50 मीटर लंबा गिरता एक झरना है। आसपास जंगल और पक्षियों की आवाज सुनाई देती है। आप यहाँ तक पहुँचने में थक जरूर जाएँगे लेकिन इस जगह को देखकर सारी थकान छूमंतर हो जाएगी। आप यहाँ कुछ देर रूककर इस वाटरफाॅल की आवाज को सुनिए। यकीन मानिए ये आपकी फेवरेट जगहों में से एक हो जाएगी।
4- जोली
बसर में एक जगह है, जोली। जहाँ यपोम रहते हैं सरल शब्दों मे कहें तो भूत। इस जगह के बारे में कई कहानियाँ हैं। इस जगह तक पहुँचने के लिए आपको नदी और पहाड़ को पार करना होता है। यहां आपको वाटरफाॅल भी मिलेगा। कुल मिलाकर ये ट किंग है जिसे आप कर सकते हैं। यहां आप नदी किनारे चल सकते हो, बंबू ब्रिज पर भी चल सकते हो। जंगल के बीच ऐसी जगह शायद ही आपको कहीं और मिले। डेढ़ घंटे का ये ट्रेक आपको कई खूबसूरत जगहों को दिखा जाता है। जिसके लिए आप बसर को याद रखना चाहेंगे।
5- गांव की सैर
गाँव की सैर करना एक अच्छा आइडिया है। ऐसे में आप उस गाँव को देखते ही नहीं हैं, उसे जानने की भी कोशिश करते हैं। बसर जंगलों और पहाड़ों के बीच बेहतरीन जगह है। यहाँ गाँव प्रकृति के साथ वैसे ही जुड़े हैं जैसे प्रकृति इनके साथ। यहाँ के लोग आपको स्वागत एक मुस्कुराते हुए चेहरे से करेंगे। बसर में सुबह बहुत जल्दी हो जाती है, यहाँ लोग सूरज निकलने से पहले ही उठ जाते हैं और रात बहुत जल्दी हो जाती है। 8 बजे के बाद आपको यहाँ कोई भी जागता हुआ नहीं मिलेगा। गाँवों में घर लकड़ी से बने हुए हैं। यहाँ आपको मुश्किल से ही कोई घर पक्का मिलेगा।गाँवों की सैर में फोटोग्राफी करना एक अच्छा आइडिया है।
6- लोकल फूड
बसर आओ और यहाँ का लोकल फूड का स्वाद न लिया जाए। ऐसा तो हो ही नहीं सकता। अगर आप नाॅन-वेजटेरियन है तो आपके लिए यहाँ बहुत-सी वैरायटी हैं। आपको नाॅन वेज में बंबू में पकाया हुआ चिकन मिलेगा और वेज में आपको चावल दिया जाता है। गालो फूड बहुत सादा होता है जिसमें मसाला और तेल न के बराबर होता है। इसके अलावा पिठा जो चावल का केक होता है और लाल चाय भी अच्छा ऑप्शन है। जब आप लोकल फूड के साथ पोका बीयर लेंगे। साथ में बोन फायर और स्थानीय संगीत होगा तो येआपके लिए सबसे स्पेशल डिनर होगा।
कैसे पहुँचे?
बसर के बारे में वैसे तो कम लोगों को पता है लेकिन गूगल मैप पर ये आसानी से मिल जाएगा। बसर तक रास्ता तो है लेकिन सड़क बहुत ही खराब है। सड़क के एक तरफ खाई भी है। थोड़ी-सी लापरवाही आपके लिए खतरा बन सकता है। आप बसर ट्रेन और फ्लाइट से भी आ सकते हैं।
ट्रेन सेः
अगर आप बसर ट्रेन से आने की सोच रहे हैं तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन असम का डिब्रूगढ़ है। डिब्रूगढ़ से बसर की दूरी 147 किमी. है। जहाँ से आप टैक्सी बुक करके सीधे बसर पहुँच सकते हैं। इसके अलावा सीलापत्थर में भी रेलवे स्टेशन है। जो बसर से करीब 100 किमी. दूर है लेकिन यहाँ ट्रेन नियमित नहीं चलती हैं।
फ्लाइट सेः
अगर आप फ्लाइट से आने की सोच रहे हैं तसबसे नजदीकी एयरपोर्ट डिब्रूगढ़ एयरपोर्ट है। डिब्रूगढ़ से बसर आप टैक्सी बुक करके आ सकते हैं। इसके अलावा सड़क मार्ग से आप खुद की गाड़ी या फिर यहां टैक्सी बुक करके बस पहुंच सकते हैं।
कहां ठहरें?
अगर आप बसर जाते हैं तो ये सोचकर बिल्कुल भी मत जाइए कि आपको यहाँ शहरों की तरह बेहतरीन सुविधाओं वाले होटल मिलेंगे। यहाँ तो आपको होमस्टे में ही ठहरना पड़ेगा। जिनकी सुविधाएँ होटल जितनी अच्छी न हो लेकिन आपको यहाँ घर जैसा ही फील होगा। होमस्टे लिए आपको यहां के गैर-लाभकारी एनजीओ जीआरके से संपर्क करना होगा। वो ही यहां होमस्टे उपलब्ध कराते हैं।
इन चीजों का रखें ख्याल?
1- सबसे जरूरी बात कि अरूणाचल प्रदेश में आप बिना इनर लाइन परमिट के नहीं आ सकते हैं। आप इस परमिट को ऑनलाइन ले सकते हैं। इसके अलावा ये परमिट आपको लिकाबली चेकपोस्ट पर भी मिल जाएगा।
2- बसर एक प्लास्टिक फ्री जोन है। इसलिए एक जिम्मेदार घुमक्कड़ और नागरिक बनिए। यहाँ गंदगी न फैलाएँ। अपने साथ लाई प्लास्टिक अपने साथ ही ले जाएँ।
3- बसर में एक सालाना महोत्सव होता है, बास्कोन। जिसमें यहाँ के लोग अपनी आर्टस, कल्चर, म्यूजिक और स्थानीय नृत्य करते हैं। ये फेस्टिवल दिसंबर में होता हैओ अगर आप बसर जाने का प्लान बना रहे हैं तो इस फेस्टिवल के समय जाएं।
क्या आप कभी अरुणाचल प्रदेश के बसर गए हैं? अपने सफर का अनुभव यहाँ लिखें।
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