हे भगवान सब कुछ सही से हो जाए! किसी भी ट्रिप पर जाने से पहले ये ख्याल कितनी बार हमारे मन में आता हैं। मानो हम घूमने नहीं किसी जंग पर जा रहें हों। एक ऐसी जंग जो ना होकर भी हर घुमक्कड़ के अंदर होती ही है। और जब हम घूम कर सही सलामत वापस आ जाते हैं मानो हमने वो जंग जीत ली हो। चलो भगवान की कृपा से सब अच्छे से हो गया और हर ट्रिप के बाद की हमारी भगवान को धन्यवाद देने की प्रक्रिया। इन दो बिंदुओं के बीच होता है वो एक स्वपन जिसकी शुरुआत भगवान से प्रार्थना करने से होती है और जिसका अंत उन्हीं का शुक्रिया करना है।
भारत देश में हर छोटे-बड़े काम में हम भगवान को याद करते हैं। चाहे शादी हो या कोई त्योहार, भगवान एक ऐसे मेहमान हैं, जो आपको हर छोटे गली-मोहोल्ले में यूं ही बैठे मिल जाएंगे। इन्हीं सबके बीच कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जहां अनूठे ढंग से भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है।
इस मंदिर के नाम में जितना मिश्रण है, यहां के पूजा करने के तरीके में ठीक उतना ही फ्यूजन है। कोलकाता का टिरेटे बाजार चाइना टाउन के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में काली देवी की पूजा करने के लिए उन्हें नूडल्स और चाउपसे चढ़ाया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में वहीं भक्तों को दिया जाता है। यह मंदिर चाइनीज लोगों के लिए एक धार्मिक स्थल बन चुका है। कहते हैं ये मंदिर चाइनीज लोगों की ज़िंदगी में एक महत्वपूर्ण जगह बना चुका है। वह लोग भी मंदिर के अंदर नंगे पांव ही जाएं इसका ख़ास ध्यान रखा जाता है।
बीकानेर राजस्थान के इस मंदिर की एक अलग कहानी है। जहां हम सब अपने घरों से चूहे भगाने के लिए परेशान रहते हैं, कर्णी माता के इस मंदिर में उनकी पूजा की जाती है। बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर इस मंदिर में लगभग 25000 से ज़्यादा चूहे रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह चूहे कर्णी माता का ही एक रूप हैं जो कि देवी दुर्गा और उनके चार बच्चों का रूप हैं। इन चूहों की अच्छी तरह से देख भाल करी जाती है और उन्हें हर रोज़ दूध और खाना खिलाया जाता है। जानने वाली बात यह भी है कि अगर कोई चूहा मर जाता है, तो उसकी चांदी की एक मूर्ति बना कर मंदिर में रख दी जाती है।
" हवाई जहाज गुरुद्वारा" के नाम से मशहूर जालंधर का यह गुरुद्वारा एयरोप्लेन प्रेमियों के लिए एक जन्नत से कम नहीं है। यहां लड्डू पेड़ों की जगह एयरोप्लेन का खिलौना चढ़ाया जाता है। पर इसके पीछे भी एक अजीब कहानी है। लोगों का मानना है कि सालों पहले कुछ बच्चे विदेश जाना चाहते थे पर उनको वीज़ा नहीं मिल रहा था। तब उन्होंने इस गुरुद्वारे में आकर खिलौने वाला एयरोप्लेन चढ़ाया। इसके कुछ दिनों बाद ही उनको वीज़ा मिल गया। वो दिन और आज का दिन लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर यहां एयरोप्लेन ही चढ़ाते है।
हिन्दू दर्शनशास्त्रों में 3 प्रमुख देव बताए गए हैं। जिसमें ब्रह्मा-सृष्टि के सर्जक, विष्णु-पालक और महेश-विलय करने वाले देवता हैं। भगवान ब्रह्मा को एक बेहद महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। ऐसे में आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि दुनिया भर में भगवान ब्रह्मा को समर्पित केवल एक ही मंदिर है। पुष्कर राजस्थान का यह मंदिर ऐसा है जहां भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है। इतिहास की माने तो मुगल शासक औरंगजेब ने पुष्कर पर आक्रमण किया था। तब यहां के ज़्यादातर मंदिर उस हमले कि भेंट चढ़ गए थे। केवल यह मंदिर ऐसा था जिसको उस हमले में कोई भी नुकसान नहीं हुआ। इस रंगीन मंदिर का ढांचा संगमरमर से बना हुआ है। मंदिर के अंदर की दीवारों पर चांदी के सिक्के लगे हुए हैं जिन पर यहां आने वाले श्रद्धलुओं और दान देने वालों के नाम हैं।
रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों और पहनावे के बीच राजस्थान की धरती पर कुछ ऐसी चीजें हैं जो कि आपका ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए काफ़ी होंगी। इन्हीं में से एक है जोधपुर का ओम् बन्ना मंदिर। जोधपुर से 40 किलोमीटर दूर पाली-जोधपुर राष्ट्रीय हाईवे 65 पर स्तिथ इस मंदिर में एक बुलेट मोटर साइकिल की पूजा की जाती है। 350 सीसी की इस बाइक पर लोग पूरी श्रद्धा से फूल माला चढ़ाते हैं। सुनकर अजीब लगा? अब इसके पीछे की कहानी भी जान लीजिए।
सालों पहले इस गांव में ओम् सिंह नाम का एक व्यक्ति रहता था। उसे आपकी बाइक से बेइंतेहा प्यार था। एक दिन वो अपनी बाइक से कहीं जा रहा था जब उसकी सड़क हादसे में जान चली गई। लोगों का कहना है कि पुलिस उसकी बाइक को उठा कर पुलिस स्टेशन ले आई थी पर अगले दिन बाइक वापस से ऐक्सिडेंट वाली जगह पर मिलती। लोगों ने इसे भगवान का इशारा समझ कर वहां एक मंदिर बनवा दिया जहां अब उस बाइक की पूजा अर्चना की जाती है।
उज्जैन के काल भैरव मंदिर से तो आप भलि भांति परिचित होंगे। पर क्या आप जानते हैं यह मंदिर "व्हिस्की देवी मंदिर" के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा क्यों है उसके पीछे भी एक कारण है। कई साल पहले यहां भगवान को 5 चीज़ों का चढ़ावा चढ़ाया जाता था। पर आज यहां भगवान को फल मिठाई के साथ साथ शराब भी चढ़ावे के रूप में चढ़ाई जाती है। फिर इसी को भगवान के प्रसाद के तौर पर सभी भक्तों को दिया जाता है। इसलिए मंदिर के पास आपको फल मिठाई के साथ देशी और विदेशी शराब की दुकनें भी देखने को मिल जाएंगी। क्यों है ना यह चौंका देने वाली बात?
भारत में कुल मिलाकर कुछ 60000 देवी देवताओं की पूजा की जाती है। इन्हीं सब के बीच कर्नाटक में एक ऐसा समुदाय भी है जो कुत्तों की पूजा करता है। जहां एक तरफ चाइना के डॉग फेस्टिवल की दुनिया भर में जम कर आलोचना होती है, वहीं दूसरी तरफ यह बात किसी को भी अचरज में डाल देगी। यहां गांव के लोकल भगवान के मंदिर के बगल में कुत्तों को समर्पित एक मंदिर है। कुत्तों की मूर्तियों वाला यह मंदिर कर्नाटक राज्य के रामनगर जिले के चन्नापटना गांव में हैं। इस मंदिर का निर्माण गांव वालों ने 2010 में किया था। यह मंदिर क्यों है? कुत्तों को इंसानों का सबसे अच्छा और वफादार दोस्त माना जाता है। इसी सोच के चलते यह मंदिर बनाया गया है। यहां के लोगों का यह भी मानना है कि ऐसा करने के गांव को किसी की बुरी नज़र नहीं लगेगी और समृद्धि आएगी।
गुजरात के एक छोटे से शहर कावी- कंबोई गांव में स्थित है। यह गांव अरब सागर के मध्य कैम्बे तट पर है। यहीं बसा है महादेव का यह रहस्यमय मंदिर। "गुप्त तीर्थ" के नाम से मशहूर इस मंदिर की भी अपनी एक अलग कहानी है। वडोदरा से कुछ दूरी पर स्तिथ यह मंदिर के दर्शन आप दिन में केवल दो समय ही कर सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह अरब सागर के पास है। इस मंदिर में आप कम ज्वार यानी लो टाइड के समय ही जा सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पानी के बीच में होने की वजह से यह मंदिर ज़्यादातर समय पानी के नीचे छुप जाता है।
नाम से अगर आपको लग रहा है कि यह भी भगवान ब्रह्मा को समर्पित मंदिर है तो रुकिए। क्यूंकि ऐसा नहीं है। मामला कुछ ऐसा है कि उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद के इस मंदिर में भक्त विराजमान देवता को अपनी मन्नत पूरी होने पर फूल, माला, प्रसाद की जगह दीवार घड़ी चढ़ाते हैं। उनका मानना है कि घड़ी चढ़ाने से बाबा खुश होते हैं। लोगों का कहना है कि सालों पहले एक व्यक्ति ने यहां एक मन्नत मांगी थी। मन्नत पूरी हो उसके लिए उसने यहां फूल माला की जगह घड़ी चढ़ाई। बाद में जब उसकी मन्नत पूरी हो गई तो इस बात में लोगों की आस्था और बढ़ गई। अब इसे अंधविश्वास कहें या कुछ और, पर यकीन मानिए इस मंदिर के पास दीवार घड़ियों का अच्छा ख़ासा कलेक्शन है।
बेबी मुरुगन यानी मंच मुरुगन एक 300 साल पुराने भगवान हैं जिन्हें 10 साल पहले मंच चॉकलेट से प्यार हो गया। केरल का श्री सुब्रमणय स्वामी मंदिर इस बात का उदहारण है। कहानी यह है इस मंदिर में आए एक मुस्लिम बच्चे की तबीयत खराब हो गई थी। तब बच्चे के परिवार ने पूरी रात मुरुगन का जाप किया। अगले दिन जब बच्चे की तबीयत ठीक हो गई तब परिवार ने पुजारी के कहने पर मंदिर में प्रसाद चढ़ाया। बच्चे ने ज़िद पकड़ ली कि भगवान को सिर्फ मंच चॉकलेट ही चढ़ाना है। उसके बाद से यहां आने वाला हर व्यक्ति भगवान को मंच चॉकलेट ही चढ़ाता है और भक्तों को प्रसाद में भी मंच चॉकलेट ही मिलती है।
क्या आप कभी इनमें से किसी मंदिर में गए हैं? अपनी यात्रा का अनुभव यहां लिखें।