भगवान शिव श्रद्धालुओं को बुलाते हैं पंचकेदार

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उत्तराखण्ड को लोग देवभूमि भी कहते हैं। भगवान का घर, साक्षात् भगवान बसते हैं यहाँ। इसीलिए पूरी दुनिया भर के लोगों के लिए श्रद्धालु समय निकालकर दर्शन को यहाँ आते हैं। उत्तराखण्ड में ऐसे बहुत मंदिर हैं, जहाँ पर आपको दर्शन करने जाना चाहिए। उसमें ही एक यात्रा शुरू होती है पंच केदार की।

ऐसी यादगार यात्रा, जहाँ पर दर्शन और रोमांच के साथ साथ शान्ति और सुकून लिए चलते हैं आप।

पंच केदार की रोचक कहानी

पंच केदार की कहानी शुरू होती है महाभारत होने के बाद से।

मोक्ष की तलाश में भाई युधिष्ठिर और बाकी पाण्डव भगवान शिव के दर्शन को व्याकुल थे। तो वे घूम घूमकर भगवान शिव की आराधना कर रहे थे।

लेकिन भगवान शिव पाण्डवों के द्वारा किए अपने भाइयों और गुरुओं के नरसंहार से इतने दुःखी थे, कि उनको दर्शन नहीं देना चाह रहे थे। वे गढ़वाल स्थित गुप्तकाशी में एक बैल का रूप धरकर छुप गए। लेकिन वहाँ पहुँचकर पाण्डव बैल को देखते ही पहचान गए कि ये तो साक्षात् भगवान शिव हैं। पकड़ने के लिए भीम ने लंबी दौड़ लगाई। लेकिन बैल रूप में भगवान शिव धरती को फाड़ कर अन्दर समा गए। लोग इसीलिए इस जगह को गुप्तकाशी कहते हैं।

मान्यता है कि भगवान शिव पाँच जगहों में प्रकट हुए। बैल का कूबड़ केदारनाथ में प्रकट हुआ, नाभि प्रकट हुई मध्य महेश्वर में, वहीं उनका मुख रुद्रनाथ में दिखा। उनके हाथ तुंगनाथ में प्रकट हुए और सिर की जटाएँ कल्पेश्वर में।

पाण्डवों ने इन सभी जगहों पर मंदिर का निर्माण कराया। इन पाँचों जगहों को संयुक्त रूप से पंच केदार के नाम से जाना जाता है।

आइए, पंचकेदार की यात्रा पर...

1. केदारनाथ

समुद्र तल से 3,600 मीटर की ऊँचाई पर बसते हैं केदारनाथ। बर्फ़ से घिरे हुए। यहाँ पर दर्शन की इच्छा लिए सैकड़ों श्रद्धालु हर साल बाबा की सेवा में आते हैं।

आप केदारनाथ के बारे में विस्तार से यहाँ पर पढ़ सकते हैं।

2. तुंगनाथ

उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग में पड़ता है तुंगनाथ का मंदिर। चोपता से लगभग 4 किमी0 का ट्रेक है, जो आपको तुंगनाथ के दर्शन कराता है। भगवान शिव की इस धरती के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए क्लिक करें

3. रुद्रनाथ

भगवान शिव का मुख यहाँ पर निकला था। समुद्र तल से लगभग 2,300 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर आपकी कल्पनाओं से परे है। यहाँ पर आने के लिए आपको कुछ एक घने जंगलों के बीच से होकर गुज़रना पड़ता है। यहाँ पर भगवान शिव नीलकण्ठ रूप में विराजमान हैं।

यहाँ पर घूमने के लिए सूर्यकुण्ड, चंद्रकुण्ड, ताराकुण्ड और मानाकुण्ड मंदिर के नज़दीक ही स्थित हैं। इस मंदिर के ठीक सामने दिखती हैं नंदा देवी, नंदा घंटी और त्रिशूल की ऊँची ऊँची चोटियाँ, जो आपके घुमक्कड़ मन को बार बार अपनी ओर खींचती हैं। रुद्रनाथ का ट्रेक लगभग 20 किमी0 लम्बा है, जो कि गोपेश्वर से शुरू होता है। इसलिए, जब भी यहाँ आने का प्लान बनाएँ, तो थोड़ी तैयारी के साथ आएँ।

अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें। 

4. मध्यमहेश्वर

भगवान शिव का नाभि यहीं पर ज़मीन से निकली थी। इसलिए इस जगह को मध्यमहेश्वर कहा जाता है। हरी हरी वादियों के बीच स्थित मध्यमहेश्वर केदारनाथ, चौखंभा और नीलकण्ठ को एक साथ पिरोता है।

लगभग 19 किमी0 का यह ट्रेक कई कई रास्तों पर बहुत कठिन हो जाता है।

आप बंतोली से अपनी यात्रा शुरू करते हैं तो आगे लगभग 10 किमी0 की यात्रा तो सुखद होती है, लेकिन आगे आने वाले 9 किमी0 मुश्किल हो सकते हैं। इसलिए तैयारी के साथ ही आएँ।

5. कल्पेश्वर

कल्पेश्वर में भगवान शिव की जटाएँ आई थीं। इसलिए कल्पेश्वर को लोग जटेश्वर के नाम से भी जानते हैं। उत्तराखण्ड के चमोली ज़िले में उरगम घाटी में स्थित है। समुद्रतल से लगभग 2,200 मीटर ऊपर स्थित उरगम घाटी पर आने के लिए आपको कई जंगलों और लम्बे मैदानों से होकर गुज़रना होता है।

आपकी यात्रा उरगम से शुरू होती है, जो कि ऋषिकेश बद्रनीथ रोड पर स्थित है। यहाँ से कल्पेश्वर का लगभग 2 किमी0 का ट्रेक है, जो आपको पार करने में ज़्यादा दिक्कत नहीं होगी।

आप यहाँ पर अलकनंदा और कल्पगंगा नदी के दर्शन भी कर सकते हैं। यहाँ पर से आप बद्रीनाथ की ओर भी दर्शन करने के लिए निकल सकते हैं।

घूमने का सही समय

सबसे सही समय मई- जून और सितंबर से अक्टूबर का होता है। इस समय मौसम ना तो बहुत ज्यादा गर्म होता है और ना ही बहुत ज्यादा ठंडा। ध्यान रहे कि जुलाई-अगस्त या दिसंबर-जनवरी के महीनों में यह यात्रा करना एक अच्छा वक्त नहीं है क्योंकि इन महीनों में भारी बारीश और बर्फबारी के कारण भूस्खलन और रास्ते बंद होने की परेशानी अक्सर होती है।

कैसे पहुँचे पंच केदार के केदारनाथ

आप पंच केदार की यात्रा केदारनाथ से शुरू कर सकते हैं। वहाँ से दूसरी यात्राओं की ओर निकल सकते हैं।

ट्रेन मार्ग : केदारनाथ के सबसे नज़दीक 216 कि.मी. दूर ऋषिकेश रेलवे स्टेशन (RKSH) है जहाँ से आपको मंदिर तक पहुँचने के लिए गाड़ी मिल जाएगी।

सड़क मार्ग : केदारनाथ पहुँचने के लिए सीधा बस नहीं जाती है। इसके लिए सबसे पहले आपको हरिद्वार या फिर ऋषिकेश पहुँचना पड़ेगा। वहाँ से आपको केदारनाथ के लिए बस मिल जाएगी।

हवाई मार्ग : केदारनाथ के सबसे नज़दीक के हवाई अड्डे देहरादून के लिए आपको फ़्लाइट मिल जाएगी। वहाँ से आप कैब लेकर केदारनाथ तक पहुँच सकते हैं।

ठहरने के लिए

लाखों लोग यहाँ पर आते हैं, इसलिए यहाँ पर प्रशासन की ओर से भी ठहरने की व्यवस्था की जाती है। इसके अलावा आप ख़ुद से भी लॉज या दूसरे होटल अपने ठहरने के लिए देख सकते हैं।

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