हिमाचल-उत्तराखंड छोड़िए अब सिक्किम के इस लंबे ट्रेक का प्लान बनाइए 

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सफर में धूप तो होगी चल सको तो चलो, सभी हैं भीड़ में तो तुम भी निकल सको तो चलो। निदा फाजली का ये शेर घुमक्कड़ी को बयां करता है। खूबसूरत सफर में मुश्किलें ताे आती ही है, अगर आप अपने आपको घुमक्कड़ मानते हो तो इन कठिनाईयों का भी अलग मजा है। जब पहाड़ों में रोमांच की बात आती है तो सब जाना चाहते हैं एक मुश्किल ट्रेक पर और अगर ट्रेक सिक्किम में हो तो क्या ही कहना? सिक्किम अब तक खूबसूरत मोनेस्ट्री और खुशनुमा बाजारों के लिए जाता है। मगर सिक्किम में इसके अलावा भी बहुत कुछ है। इन सबसे दूर सिक्किम में एक ऐसी जगह है जो स्वर्ग की ओर ले जाती है, बारसेय रोडोडेंड्रोन नेशनल पार्क। ये नेशनल पार्क सिंगालीला नेशनल पार्क और कंचनजंगा बायोस्फीयर रिजर्व के बीच स्थित है। ये सिक्किम के सबसे खूबसूरत और मुश्किल ट्रेक में से एक है।

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श्रेय: फ्लिकर।

100 वर्ग किलोमीटर में फैला बारसेय नेशनल पार्क की ऊंचाई 2,200 मीटर से 4,100 मीटर के बीच में है। 8 दिन के इस लंबे ट्रेक में आपको चीड़ और देवदार के जंगलों से होकर जाना पड़ेगा। ये सिक्किम का सबसे खूबसूरत ट्रेक है। इस ट्रेक को करने के बाद ये लंबे समय तक आपके जेहन में चिपका रहेगा। वैसे भी किसी ने खूब ही कहा है, मंजिल नहीं सफर खूबसूरत होता है।

कहां है ये?

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श्रेय: फ्लिकर।

सिक्किम के इस ट्रेक का बेस कैंप सोमबारे, ओखरे में है। गंगटोक से लगभग 50 किलोमीटर दूर आपको जोरेथांग तक गाड़ी से आना होगा और फिर ओखरे तक पहुंचना होगा। जहां आप रात को रूक सकते है। जोरेथांग से ओखरे पहुंचने में लगभग तीन घंटे का समय लगता है। ओखरे में आप कइलखोर इन में ठहर सकते है। यहां आपको सारी सुविधाएं मिल जाएंगी। बारसेय रोडोडेंड्रोन नेशनल पार्क से ये जगह 6 किलोमीटर की दूरी पर है।

कितना कठिन?

पश्चिम सिक्किम का ये ट्रेक बारसेय रोडोडेंड्रोन नेशनल पार्क में लगभग 35 किलोमीटर में फैला है। 35 किमी. लंबे इस ट्रेक में आप दार्जिलिंग के गोरखी, रम्मम और श्रीखोला गांवों से होकर गुजरेंगे। 8 दिन और 7 रातों का ट्रेक करने के बाद आप इस ट्रेक की मंजिल पर पहुंचेंगे। जिसकी ऊंचाई लगभग 10,000 फीट है। जिस ट्रेक में इतना लंबा समय लग रहा है वो बहुत सरल तो नहीं होगा।

पैकेज या खुद करें

सिक्किम में बहुत सारे ट्रेक हैं जिन्हें आप खुद कर सकते हैं। बारसेय ट्रेक भी वैसा ही ट्रेक है लेकिन ये बहुत लंबा ट्रेक है। ऐसे में आपको एक लेाकल गाइड को साथ में लेकर जाना चाहिए। जो आपको सही रास्तों के बारे में बता सके। इसके अलावा उसके पास टेंट हो और अन्य सुविधाओं को भी पूरी करे। बारसेय ट्रेक में रास्ते में बहुत सारे गांव पड़ते हैं। आप या तो ट्रेक के शुरू में ही गाइड कर सकते हैं या फिर इन गांव से किसी लोकल गाइड को ले सकते हैं। ये गाइड एक दिन का लगभग 500 रुपए चार्ज करते हैं। यहां लोकल गाइड आसानी से मिल जाते हैं। इसके अलावा आप ट्रेवल एजेंट से भी अपनी टूर पैकेज करा सकते हैं।

बारसेय रोडोडेंड्रोन ट्रेक कई टूर कंपनियां करवाती हैं। जैसे:

किपेपियो: +91 9930002412

शिखर: +91 (0)1141322940

पैकेज की लागत

ये टूर कंपनियां बागडोगरा से पूरा ट्रेक करवाती हैं और वापस लाने की जिम्मेदारी भी उनकी ही होती है। इसका ये टूर कंपनियां एक व्यक्ति का 27,000 रुपए लेती हैं। यदि आप किपेपियो के साथ यात्रा कर रहे हैं तो इसमें आपको दो लोगों के लिए रहने की जगह, सभी प्रकार का भोजन और गाड़ी भी दी जाती है।

कब करें?

सिक्किम के इस ट्रेक के लिए सबसे अच्छा समय मार्च से मई तक का माना जाता है। उस समय यहां बहुत ज्यादा ठंड नहीं होती है। उस समय आप यहां कंबल में भी रात गुजार सकते हैं। मई के बाद जून से सितंबर के बीच मानसून रहता है। तब बारिश की वजह से रास्ता गीला और फिसलन भरा हो जाता है। जो यहां आने वाले लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इस ट्रेक का दूसरा सीजन अक्टूबर से दिसंबर तक होता है। उस समय कंचनजंगा और आसपास के पहाड़ बर्फ से ढंके दिखाई देते हैं। इन दिनों बहुत कम धुंध होती है इस वजह से आप खूबसूरत नजारों के दीदार कर सकते हैं।

रूट

आठ दिन के इस लंबे ट्रेक की शुरूआत बागडोगरा से होती है। कुछ ही दूरी पर सोमबारे है जिसे सोरेंग के नाम से भी जाना जाता है। सोमबारे से कुछ ही घंटे के बाद हिल्ली आता है। वास्तव में ये ट्रेक हिल्ली से ही शुरू होता है। इसके बाद अगला पड़ाव बारसेय आता है। यहां से आगे ट्रेक करने पर लासुने आता है। इसके बाद जोरेबोटे है, जो इस ट्रेक का सबसे लंबा रूट है। जिसे चढ़ने में बहुत मुश्किलें आती हैं। इसक बाद थुलो धाप धाप घाटी आती है, जो जिसकी ऊंचाई लगभग 2,800 मीटर है। इसके बाद चेवा भंज्यांग के विशाल दर्रे की चढ़ाई शुरू होती है। चेवा से इस ट्रेक के अंतिम पड़ाव उत्तारेय तक पहुंचते हैं। जो इंडो-नेपाल का बाॅर्डर भी है।

बारसेय रोडोडेंड्रोन ट्रेक के लिए रूट:

बागडोगरा - सोमबारी - हिल्ली - लासुनी - बर्सी - जोर्बोटे - थुलो धाप - चेवा - उत्तराय - दरप - बागडोगरा

ऐसे करें ट्रेक

यदि आप किसी टूर कंपनी के साथ इस ट्रेक पर जा रहे हैं तो वे कंपनियां कुछ इस प्रकार से ट्रेक करवाती हैं। अगर आप बिना टूर गाइड के खुद ही ट्रेक कर रहे हैं तब भी आप इस प्रकार से ट्रेक प्लान कर सकते हैं।

पहला दिन

सोमबारे

आपको बागडोगरा हवाई अड्डे से सोमबारे तक लाया जाएगा। बागडोगरा से सोमबारे की दूरी लगभग 100 किमी. है। यहां तक आप गाड़ी से भी अस सकते हैं। सोमबारे में रात गुजारें।

समयः 6 घंटे 30 मिनट

ऊंचाईः 2,940 मीटर।

दूसरा दिन

हिल्ली

सोमबारी से लगभग घंटे की ड्राइव के बाद आप हिल्ली पहुंचेंगे। ये ट्रेक हिल्ली से ही शुरू होता है। इस रास्ते में आपको बांस और रोडोडेंड्रोन मिलते हैं जो बहुत अजीब मेल है क्योंकि ऐसा कहीं और नहीं देखने को मिलता है। यहां आपको दुर्लभ पेड़ों के अलावा दुर्लभ पक्षी भी देखने को मिलेंगे। रास्ते में कहीं आप दोपहर का भोजन कर सकते हैं और शाम होने से पहले लासुने पहुंचना होगा। लासुने में ही आप रात गुजारेंगे।

अवधिः 5 घंटे

ऊंचाईः 3,094 मीटर।

तीसरा दिन

ट्रेक के तीसरे दिन का रास्ता बाकी दिनों से बहुत लंबा है लेकिन ये बहुत आसान होता है। आप इस ट्रेक में जोरेबोटे के मजेंटा-हाइटेड रोडोडेंड्रोन आर्बोरियम जंगलों से गुजरेंगे। जहां से आपको कंचनजंगा के शानदार नजारे दिखाई देते हैं। जोरबोटे में ही टेंट लगाकर रात में ठहरेंगे।

समयः 7 घंटे

ऊंचाईः 3,125 मीटर।

दिन 4

सिंगालीला रेंज

जोरेबोटे से से थुलो धाप की चढ़ाई तक आपको कंचनचंगा चोटी दिखाई देती रहेगी। कुल मिलाकर इस रास्ते मे वो आपका एक साथी ही होगी। घास के मैदानों से होता हुआ ये रास्ता थुलो धाप तक जाता है। रात को कैंप यहीं घास के मैदान के पास मे लगा सकते हैं। ये ट्रेल सिंगालीला रेंज में आता है।

समयः 5 घंटे

ऊंचाईः 3,160 मीटर।

दिन 5

थुला धाप से अगली चढ़ाई चेवा भंज्यांग तक की है। इंडो-नेपाल के आउटपोस्ट की ये चढ़ाई आपको रोडोडेंड्रोन के घने जंगलों में से लेकर जाएगी। चेवा भंज्यांग नाम चेवा-फांगजोंग से लिया गया है। चेवा-फांगजोंग स्थानीय भाषा लिंबो में का शब्द है। इसे लोग पीपिंग वैली के नाम से भी जानते हैं। चेवा, इंडो-नेपाल बाॅर्डर का एक हिस्सा है। यहां के गांव के लोग इस रास्ते को व्यापार करने के लिए उपयोग करते हैं। आप रात चेवा में ही गुजारें।

समयः 5 घंटे

ऊंचाईः 2,621 मीटर।

दिन 6

उत्तराय

औषधीय पौधों के साथ घने पेड़ों का जंगल और घास के मैदानों को पार करने के बाद आप उत्तराय गांव पहुंच सकते हैं। यहां दोपहर में आप भोजन करने के बाद दरप गांव तक जाएं। जहां आप रात में ठहरें।

समयः 4 घंटे

ऊंचाईः 2,050 मीटर।

दिन 7

पेलिंग

यहां से आप खिचेओपलरी की ओर जाएं। जहां आपको देवदार के जंगल के बीच एक खूबसूरत झील देखने को मिलेगी। शाम को युकसोम जा सकते हैं। जहां पर आपको पेमायांगत्से मठ जाना चाहिए।

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श्रेय: रोमन।

दिन 8

बागडोगरा

ये ट्रेक दरप में खत्म होता है। अगर आप पैकेज लेकर आते हैं तो आपको हवाई जहाज से बागडोगरा एयरपोर्ट कुछ घंटों मे पहुंचा दिया जाता है। अगर आप खुद से ये ट्रेक करने गए हैं तो आपको पैदल ही सोमबारे तक जाना होगा।

पैकिंग

अगर आप मई से मार्च के सीजन में ट्रेक करने की सोच रहे हैं तो कुछ गर्म कपड़े, ट्रेकिंग शूज, एक्सट्रा मोजे और रेनकोट जरूर ले जाएं। यदि आप सर्दियों में इस ट्रेक को करने को सोच रहे हैं तो अपने साथ बहुत सारे गर्म कपड़े, एक्सट्रा मोजे, गलव्ज, अच्छे वाले शूज, टोपी और स्लीपिंग बैग जरूर रखें।

इस ट्रेक के बारे में और ज्यादा जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।

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