उत्तराखंड में छिपा है यह मंदिर...घने जंगल के बीच नदी किनारे बैठकर आपका मन शांति और सुकून से भर जाएगा

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Photo of उत्तराखंड में छिपा है यह मंदिर...घने जंगल के बीच नदी किनारे बैठकर आपका मन शांति और सुकून से भर जाएगा by WE and IHANA

क्या आपने कभी लैंसडाउन का नाम सुना है??

लैंसडाउन वास्तव में उत्तराखंड का एक छिपा हुआ रत्न है और कम प्रचलित होने की वजह से ये जगह अभी तक भी प्राकृतिक सुंदरता से भरी हुई है। आज हम लैंसडाउन के पास की एक जगह के बारे में बात कर रहे हैं जहाँ घने जंगल के बीच नदी किनारे बैठकर आपका मन शांति और सुकून से भर जाएगा...जी हां हम बात कर रहे हैं ज्वालपा देवी मंदिर की जो पौड़ी गढ़वाल में है और लैंसडाउन से करीब 50 किलोमीटर दूर है।

पहाड़ों की यात्रा के दौरान एक चीज जो हर यात्री चाहता है... वह है सुंदर और मंत्रमुग्ध कर देने वाले नज़ारे... और लैंसडाउन से ज्वालपा देवी या कोटद्वार से ज्वालपा देवी मंदिर के रास्ते में आपको इस तरह के कई अद्भुत नजारे देखने को मिलेंगे। तो चलिये आपको बताते हैं हमारे इस सफर के बारे में...

लैंसडाउन से ज्वालपा देवी मंदिर का एक खूबसूरत सफर

अगर आप लैंसडाउन या कोटद्वार से पौड़ी के रास्ते में जाते हैं तो पहले आप सतपुली पहुचेंगे जो की ज्वालपा देवी मंदिर से करीब 20 किलोमीटर पहले है। यहीं से शुरूुआत हो गई थी कुछ बेहद खूबसूरत नजारों को अपनी यादों में समेटने की यात्रा.. यहीं से शुरू हुआ हमारा नदी किनारे बने रास्ते का सफर जो अब मंदिर तक इसी तरह रहने वाला था.. आपके बगल में बहती नदी के साथ पहाड़ो के बीच में ड्राइव करना... सच में ये आपके उत्तराखंड में आने से पहले देखे गए सपनों को सच बना देता है..

रास्ते में कुछ ऐसे खूबसूरत दृश्य आए की हमें रुक कर उसे मन के साथ साथ अपने कैमरे में कैद करने के लिए रुकना ही पड़ा।

मंदिर से कुछ दुरी पहले

Photo of Pauri Garhwal by WE and IHANA

यहां से कुछ किलोमीटर आगे चलकर हम पहुचे माता के मंदिर के द्वार पर...प्रसाद और पूजा का समान लेने के बाद यहां से आपको आगे की और जाना होता है...करीब 200 सीढ़ियां उतरने के बाद हम मंदिर के अंदर प्रवेश करते हैं।

मुख्य प्रवेश द्वार

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मंदिर में पहुंचते ही आपको नयार (नवालिका) नदी की मंत्रमुग्ध करने वाली आवाज के साथ एक अलग ही सुकून का एहसास होता है। एक तरफ में बहती नदी में पानी के तेज बहाव और सुंदरता देख कर हम बहुत उत्साहित महसूस कर रहे थे लेकिन वहां जाने से पहले हमने माता जी के दर्शन किए।

मंदिर का आकार छोटा है लेकिन वहां पर अखण्ड ज्योति और ज्वालपा देवी के दर्शन आपको आंतरिक शांति देने के लिए काफ़ी है

मुख्य मंदिर

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Day 1

मंदिर के आगे की तरफ हम दर्शन के लिए गए जहां हमने शिव परिवार, प्राचीन शिवालय,माँ काली , शनिदेव और हनुमान जी के दर्शन किए।

यहां से नदी का दृश्य बेहद खूबसूरत लगता है जिसे देखें बिना हमारी बेटी इहाना से भी रहा नहीं गया।

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और फिर हमने घाट की तरफ जाने का सोचा..

नदी किनारे कुछ सुकून भरे पल

घाट की तरफ जाते हुए हमें एक बहुत ही खूबसूरत दिख रहा था.. बहुत तेज बहाव के साथ बहती नदी और नदी के उस पार घना जंगल और ग्रीन वैली... यहाँ आप बस कुछ समय के लिए नदी के किनारे बैठेंगे और हम शर्त लगाते हैं कि ये पल हमेशा आपकी यादों में रहेंगे।

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हमने नदी के किनारे बैठकर कुछ क्वालिटी टाइम बिताया और हम वास्तव में महसूस कर रहे थे कि इस खूबसूरत धरती में कई तरह के अद्भुत संगीत उपलब्ध हैं बस सुनने वाला होना चाहिए...

जब आप नदी की ओर थोड़ा आगे चलते हैं और ठंडा नदी का पानी आपके पैरों को छूता है .... आप वास्तव में महसूस कर सकते हैं कि नदी के पानी में आपके पूरे शरीर को फिर से जीवंत करने की कितनी शक्ति है।

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यह वास्तव में हमारे लिए एक अद्भुत अनुभव था और हम इस प्राकृतिक सुंदरता को छोड़ने के मूड में बिल्कुल भी नहीं थे।

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मंदिर की पौराणिक कथा

स्कन्दपुराण के अनुसार देवी (Jwala Devi) के बारे में मान्यता है कि सतयुग में दैत्यराज पुलोम की पुत्री सुची ने देवराज इंद्र को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए नयार नदी के किनारे तप किया था। इसी स्थान पर सुची की तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने ज्वाला रूप में दर्शन दिए थे । इसके बाद ज्वाला मां ने राक्षस पुत्री सुची को उसकी मनोकामना पूर्ण का वरदान दिया था। ज्वाला रूप में दर्शन देने की वजह से ही इस स्थान का नाम ज्वालपा देवी पड़ा। देवी पार्वती यहां दीप्तिमान ज्वाला के रूप में प्रकट हुई थी,इसी वजह से वो अखंड दीपक तबसे निरंतर मंदिर में प्रज्ज्वलित रहता है। इस परंपरा को जारी रखने के लिए तब से ही आस पास के गांवों से तेल की व्यवस्था की जाती है। इन गांवों के खेतों में सरसों उगाई जाती है और अखंड दीप को प्रज्ज्वलित रखने के लिए तेल की व्यवस्था की जाती है।

अधिक जानकारी के लिए आप हमारे YouTube चैनल WE and IHANA पर जा सकते हैं या फिर हमारा ज्वालपा देवी मंदिर का Vlog भी देख सकते हैं

ज्वालपा देवी मंदिर कैसे पहुँचे?

सड़क मार्ग द्वारा: कोटद्वार कई शहरों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से कोटद्वार करीब 240 किमी है और कोटद्वार से लैंसडाउन करीब 40 किमी की दूरी पर है। लैंसडाउन से ज्वालपा देवी मंदिर 50 किमी की दूरी पर है। अगर आप कोटद्वार से सीधे मंदिर जाना चाहते हैं तो सतपुली होकर जा सकते हैं।

रेल मार्ग द्वारा: नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार स्टेशन है। वहाँ से फिर टैक्सी या सरकारी बस आदि से ज्वालपा देवी मंदिर पहुँचा जा सकता है।

हवाई मार्ग द्वारा: यहाँ का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्राँट एयरपोर्ट,देहरादून है जो लैंसडाउन से करीब 150 किमी की दूरी पर है।

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