जब पता चला कि हम एक viruses से लड़ने के लिए घर से बाहर नहीं जाना है तब लगा कि चलो कुछ दिनों का वेकेशन मिल जाएगा। लेकिन जैसे ही महीना गुजरा तो लगा कि मे एक जगह पर बोर हो गए।
कभी भी एक जगह पर रही नहीं थी और जब lockdown हुआ तो घर गए। कुछ दिन तो आराम से निकल गए। कुछ काम नहीं बस, सिर्फ खाना, पीना और सोना। एक महीना, दो महीना.... मुझे लगा मे एक जगह पर अटक सी गई हू। बस सिर्फ इतना पता था कि सुबह उठना है और रात होते ही सो जाना हैं।
मे अपने गाव सिर्फ दिवाली या कोई हॉलीडे पर ही आती थी।
लेकिन इस बार दो मंथ से ज्यादा हो गया था।
एक दिन में सुबह लगभग पांच बजे जाग गयी क्युकी कितने दिनों से मेरी नींद कम हो चुकी थी। ऐसा लगा जैसे धीरे धीरे मर रही हू। सुबह उठकर थोड़ी देर बेड पर बेठि रही। फिर उठ कर अपने घर की छत पर गई और देखा तो सब सो रहे थे। गाँव में इतनी सुबह रास्तो पर कोई नही होता है।
कुछ देर ऐसे ही खड़ी रहीं। फिर देखा तो सामने से थोड़ा थोड़ा उजाला हो रहा था। देखा तो पूरा आसमा लाल रंग का हो रहा था। मेने पहेले कई बार sunrise देखा है लेकिन यह कुछ अलग था।
'मुझे सुबह बहोत अच्छी लगती है। वो शांति जो सबके जागने से पहले होती है। एक नए दिन की शुरुआत और एक उम्मीद की यह दिन हमारी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन होगा।'
उसी दिन मैंने शाम को sunset भी देखा। वह मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन था।


मैंने इतना सुंदर दृश्य कभी नहीं देखा था। मुझे लगा मेरा lockdown मे घर आना बेकार नहीं गया। मैंने सुना है कि हम जहा से है, वहां लौट कर एक दिन आना ही होता है।
'जब हम दुनिया में नहीं रहते तब वही रह जाती है और जब हम रहते हैं तो उसी से हमारा अस्तित्व बनता है।'