लोनर क्रेटर झील: महाराष्ट्र में छिपी है उल्का पिंड से बनी ये अद्भुत झील

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Photo of लोनर क्रेटर झील: महाराष्ट्र में छिपी है उल्का पिंड से बनी ये अद्भुत झील 1/3 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

52000 साल पहले पृथ्वी की सतह से एक उल्का पिंड टकराने से महाराष्ट्र में एक ऐसी झील बनी, जिसके बारे शायद कुछ ही लोग जानते हों। यहाँ बात हो रही है लोनर क्रेटर झील की। इसकी रचना को बेहतर समझने के लिए बता दें कि वो उल्का पिंड 20 लाख टन वज़नी था और 90,000 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से पृथ्वी की ओर गिर रहा था |

काफ़ी सालों तक लोनर क्रेटर झील को ज्वालामुखी द्वारा बना हुआ भी माना जाता था क्योंकि ये झील बसाल्ट के मैदानों में 6.5 करोड़ साल पुरानी ज्वालामुखीय चट्टानों से बनी है | लेकिन यहाँ मस्केलिनाइट भी पाया गया है जो कि एक ऐसा काँच है जो केवल तेज़ गति से टकराने से ही बनता है | इसकी मौजूदगी ने ही झील की किसी अंतरिक्ष घटना के घटित होने से बनने की ओर इशारा किया |

झील के बारे में स्थानीय लोग एक बड़ी दिलचस्प कहानी सुनाते हैं जो हर तरह के वैज्ञानिक तथ्य को गलत बताती है | कहानी के हिसाब से लोनसुर नाम का राक्षस स्थानीय लोगों को परेशान और प्रताड़ित करता था | इस असुर रूपी परेशानी का हल करने भगवान विष्णु अवतार लेकर पृथ्वी पर आए और इस असुर को धरती के गर्भ में पहुँचने के लिए इतनी ज़ोर से पटका कि ये झील रूपी खड्डा बन गया |

ज़्यादातर सैलानी यहाँ के पास ही औरंगाबाद तक अजंता और एलोरा की गुफ़ाएँ देखने आ जाते हैं मगर लोनर क्रेटर पर नहीं जाते| लेकिन इस झील पर घूमने जाने के लिए उत्सुक करने वाले कारण आपको ज़रूर जानने चाहिए :

1. ये झील बसॉल्ट की चट्टानों पर तेज़ गति से टकराने पर बनने वाली संरचनाओं का बेहतरीन नमूना है। साथ ही धरती पर अपने जैसी अकेली संरचना भी है

धरती की सतह पर हर साल 30000 से 1,50000 उल्काएँ टकराती हैं जिनमें से केवल इस वाली ने ही बेसाल्ट की चट्टानों पर धरती का सबसे बड़ा और धमाकेदार गड्ढा बनाया है |

2. इस झील पर आपको बहुत सारे प्रवासी और निवासी पक्षी देखने को मिलेंगे

शैलडक, काले पंखों वाले स्टिल्ट्स, ब्राहमिनी डक्स, रेड-वॉटल्ड लैपविंग्स, ब्लू जेज़, बेयवीवर्स, हूपोस, उल्लू, सुनहरे ऑरिओल, लार्क, दर्जिन चिड़िया, तोते और मोर, यहाँ सब देखने को मिलेगा |

3. लोनर क्रेटर झील जैव विविधता की एक अद्भुत मिसाल है

प्रवासी पक्षियों के अलावा छोटे बारहसिंघ, लंगूर, चमगादड़, नेवले, बार्किंग हिरण और चिंकारा भी यहाँ के सागवान के जंगलों में बसते हैं | इमली और बबूल के बड़े-बड़े पेड़ झील के चारों ओर एक मील दूर तक फैले हुए हैं |

4. लोनर झील के आस पास बने मंदिरों की शोभा अलग ही है, इनकी अध्यात्मिकता का अनुभव करें

राम गया मंदिर, कमलजा देवी मंदिर और कुछ रूप से जलमग्न शंकर गणेश मंदिर आदि सभी झील के पास स्थित हैं। हालांकि, सबसे महत्वपूर्ण मंदिर लोनार शहर के बीच में स्थित है जिसका नाम है दैत्य सूडान मंदिर। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है जिन्होंने राक्षस लोनासुर का विनाश किया था |

5. लोनर झील की चढ़ाई भी यहाँ की सुंदरता को और बढ़ाती है

इस चढ़ाई में आप झील की 6 कि.मी. लंबी परिक्रमा लगाते हैं |

ट्रेक के कई शुरुआती बिंदु हैं जैसे कि महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (एमटीडीसी) होटल |

ट्रेक के बारे में यहाँ और पढ़ें

आप लोनर क्रेटर की छुपी हुई दुनिया के बारे में मुंबई ट्रैवेलर पर और पढ़ सकते हैं |

लोनर क्रेटर झील कैसे पहुँचे?

स्थान: लोनर महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले का एक छोटा सा शहर है।

हवाई मार्ग से- लोनर का निकटतम हवाई अड्डा औरंगाबाद है।

ट्रेन से - मनमाड जंक्शन से गुज़रती हुई मुंबई और औरंगाबाद के बीच 20 से अधिक ट्रेनें चलती हैं। मानसून के बाद की रेल धुंध भरे पहाड़ों, हरे-भरे खेतों और झरनों के शानदार नजारों से होते हुए गुज़रती है |

सड़क द्वारा- औरंगाबाद में केंद्रीय बस स्टैंड ट्रेन स्टेशन से लगभग 1 किमी दूर है। लोनर से जालना के लिए बस द्वारा लगभग 5 घंटे लगते हैं।

कहाँ रहा जाए:

एमटीडीसी रिज़ॉर्ट झील के सबसे निकट है और ठहरने और भोजन के लिए एक अच्छा विकल्प है।

जाने का सबसे अच्छा समय:

लोनर जाने के लिए सबसे अच्छा समय सर्दियों (अक्टूबर से फरवरी) का है। मौसम में नर्मी होती है, सुहावनी हवाओं के साथ आसमान साफ रहता है और औसत दिन का तापमान 12-25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।

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