निजी तौर पर मुझे लगता है Hills और Beaches के बीच तुलना करना ही सही नही है !
Hills
किसी भी प्रकृति प्रेमी के लिए hills पर सुकून भरे पल बिताना किसी जन्नत से कम नही है ! हरे हरे पहाड़ और असीमित आकाश और अगर यह सीजन मानसून है तो बस यह जन्नत ही है !
पहाड़ो के पीछे से उगता सूरज जितना दिल को सुकून देता है वह कुछ कम नही है ! अगर मानसून सीजन की बात करे तो पहाड़ो को आलिंगन करता कुहासा ...... बस पूछिये ही मत !
मेरे लिए दार्जलिंग की ऊंची नीची पहाड़ियों के बीच से गुजरते रास्तो में बाइक चलाना अपने जीवन के कुछ सुखद अनुभवों में से एक है !
सिक्किम की बात करे तो जब आप नीचे से पहाड़ी रास्तो से ऊपर की ओर बढ़ते जाते हो तो यह लगता ही नही है इन पहाड़ो के ऊपर कोई शहर भी बसता होगा ! मुझे यह सबसे ज्यादा रोमांचकारी लगता है !
Beaches
किसी भी beaches के किनारे बैठ लहरों को यू निहारते रहना किसी के लिए भी एक सुखद अनुभव होता है !
Beaches सूर्योदय और उससे भी ज्यादा सूर्यास्त देखने के किये सबसे ज्यादा उपयुक्त प्रकृति की रचना है !
#HillsoverBeaches
अगर अब भी बात अगर camprision की हो तो मैं hills पर जाऊंगा चाहे भले ही winter का मौसम क्यो न हो !
सच बोलू तो hills पर जाने का सबसे अच्छा मौसम तो सर्दी का ही होता है ,क्योकि गर्मी में हिल्स over crowded रहते है और आप जिस सुकून के लिए जाते है वो आपको गर्मियों के मौसम में नही मिल सकता !
Why I avoid beaches
आप मुम्बई के किसी भी beach पर जाए , अपनी दोनों हथेलियों को बांध उसमे समन्दर का पानी भर लीजिये , आप पायेंगे कि जितना पानी आपके हथेलियों में है उसमें एक बड़ा अनुपात प्लास्टिक के छोटे छोटे टुकड़ों का होता है !
हमारे द्वारा फैलाये गए प्लास्टिक का कचड़ा जब समन्दर के खारे पानी के संपर्क में आता है तो वह एक निश्चित समय के बाद छोटे छोटे टुकड़ों में बंट जाता है और यह समुद्री जीवों के अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा भी है और इससे दुखद एक प्रकृति प्रेमी के लिए और क्या हो सकता है !