पश्चिम बंगाल के दो अनमोल नगीने, जो आज भी है सैलानियों के नजर से ओझल

Tripoto
9th Jan 2023
Photo of पश्चिम बंगाल के दो अनमोल नगीने, जो आज भी है सैलानियों के नजर से ओझल by Pankaj Biswas (akash)
Day 1

दोस्तों भारत के पर्यटन मानचित्र में पश्चिम बंगाल का नाम आते ही पहला नाम दिमाग में आता है दार्जिलिंग। लेकिन दार्जिलिंग के अलावा भी पश्चिम बंगाल में बहुत सारे अनूठे अनमोल नगीने हैं जिनके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे। भारत का घुमक्कड़ कम्युनिटी भी इन जगहों के बारे में बहुत कम जानते हैं।

Photo of Susunia Hill by Pankaj Biswas (akash)
Photo of Susunia Hill by Pankaj Biswas (akash)

पश्चिम बंगाल के दक्षिणी छोर का एक जिला है बांकुड़ा। इस जिले का नाम सुनते ही लोग मंदिर नगरी विष्णुपुर का नाम लेते हैं। लेकिन बांकुड़ा के दो ऐसे अनूठे जगह है जो आज भी सैलानियों के नजर से परे है। घूमने के दृष्टिकोण से या फिर ऐतिहासिक महत्व कहिए सभी दृष्टिकोण से यह दोनों जगह अनमोल नगीने हैं।

Photo of पश्चिम बंगाल के दो अनमोल नगीने, जो आज भी है सैलानियों के नजर से ओझल by Pankaj Biswas (akash)

1. शिलालेख, सुसुनिया पहाड़

इस मामले में पहले नंबर पर आता है सुसुनिया पहाड़ में छुपा हुआ एक शिलालेख। बांकुड़ा जिले के खातरा महकमे में सुसुनिया पहाड़ में आज भी चौथी शताब्दी का एक शिलालेख मौजूद है जो अपने समय की यादों को संजोए हुए हैं। राजा चंद्र वर्मा का यह शिलालेख शंख लिपि में सुसुनिया पहाड़ की चोटी पर आज भी मौजूद है। राजा चंद्र वर्मा वही राजा थे जिसे हराकर समुद्रगुप्त ने पूरे भारत पर अपना राज कायम किया था। इस शिलालेख से पता चलता है कि राजा चंद्र वर्मा की राजधानी थी पुष्करणा। माना जाता है कि राजस्थान के पुष्करणा की तरह यहां भी एक द्वितीय पुष्करणा नगरी बसाई थी। कभी राजा चंद्र वर्मा का किला यहां हुआ करता था। लेकिन समय के साथ वह किला कहीं खो गया। शिलालेख से थोड़ी ही दूर खातरा इलाके में रॉक क्लाइंबिंग सेंटर भी मौजूद है। और शिलालेख से के पास में ही एक झरना है जो नरसिंह झरने के नाम से जाना जाता है। बहुत कम लोग इस शिलालेख और इस इलाके के बारे में जानते हैं। हालांकि यह पहाड़ी क्षेत्र काफी खूबसूरत है।

Photo of पश्चिम बंगाल के दो अनमोल नगीने, जो आज भी है सैलानियों के नजर से ओझल by Pankaj Biswas (akash)

इस इलाके से बहुत सारे जीवाश्म और आदिमानव के जमाने के अवशेष मिले हैं। लेकिन प्रचार प्रसार नहीं होने की वजह से यह जगह इस जगह पर सैलानी काम आते हैं। सुसुनिया इलाके में दो गांव हैं जिनका नाम है नेतकमला और विंध्याजाम जहां डोकरा शिल्प कला के कारीगर रहते हैं। डोकरा शिल्प कला के बारे में कभी और बताऊंगा।

2. पोड़ा पहाड़ गुफा

Day 2

दूसरे नंबर पर है पोड़ा पहाड़ गुफा। पोड़ा का अर्थ बांग्ला में होता है जलता हुआ। बरसात और ठंड के महीनों में इस पहाड़ के ऊपर से धुआं उठता हुआ दिखता है जिसकी वजह से इस पहाड़ का नाम स्थानीय लोगों ने पोड़ा पहाड़ रखा है। पोड़ा पहाड़ गुफा कुछ महीनों पहले भी लोगों के नजर से ओझल था। कुछ ही दिनों पहले इस गुफा की खोज होने के बाद इक्के दुक्के लोग यहां आने लगे हैं।

पिछले महीने मैं इस गुफा की देखने गया था। गुफा करीब एक किलोमीटर लंबा है। गुफ़ा के दोनों दिशाओं में सुरंग दाई बाई तरफ आगे और कई दिशाओं में खुलता है। इस गुफा में कभी आदिमानव रहा करते थे। फिलहाल सांप बिच्छू और चमगादड़ ही इस गुफा में रहते हैं। गुफा के भीतर 10 से 50 मीटर तक कुछ नहीं दिखता है। यहां तक सैलानी आ सकते हैं। लेकिन इसके बाद यह गुफा काफी भयानक बन जाता है। हालांकि चमगादर सांप और बिच्छू के डर को मन से निकालते हुए मैं इसके अंदर तक गया था। वहां सीन काफी डरावना था। जिनके दिल में एडवेंचर और हार के आगे जीत है का ख्याल रहता है वो यहां आ सकते हैं। Google लोकेशन पर यह जगह आपको नहीं मिलेगा। अगर यहां आना है तो कोलकाता से ट्रेन और बस से बांकुड़ा आया जा सकता है। बांकुरा बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन से खातरा आना होगा। वहां से बैटरी रिक्शा या ऑटो लेकर पोड़ा पहाड़ के नीचे आप आ सकते हैं। वहां से फिर ट्रैकिंग करते हुए इस गुफा तक पहुंच सकते हैं। जरूर आइए और इन दोनों जगह का मजा लीजिए।

Photo of Pora Pahar by Pankaj Biswas (akash)
Photo of Pora Pahar by Pankaj Biswas (akash)

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