सिर्फ ₹1500 में तीर्थन नदी किनारे बने इस सुंदर कॉटेज में बिता सकते हैं सुकून के पल!

Tripoto

किसी यात्रा पर निकलें तो जितना महत्व उस स्थान का होता है, मेरे हिसाब से रहने की जगह भी उतनी ही अहम होती है। इन बातों से आप मेरे बारे कोई राय बनाएँ उससे पहले ही मैं साफ कर देता हूँ कि मैं कोई आराम पसंद ट्रैवलर नहीं हूँ। मैं कभी भी अपने रहने की जगह को आराम और सुविधाएँ देखकर नहीं चुनता बल्कि उसके आसपास के माहौल को भी परखता हूँ। एक ट्रैवलर के लिए होटेल या हॉस्टल की सुविधा के साथ ही उसकी लोकेशन और नज़ारा भी मायने रखता है। जब तक उस अकल्पनीय नज़ारे को सामने नहीं पाता हूँ तब तक जी को सुकून नहीं मिलता है।

आप भी अगर कुछ ऐसा ही सोचते हैं तो ये जगह परफेक्ट है, जिसे मैंने तीर्थन घाटी में सुकून के पल बिताने के लिए चुना था।

खास इनके लिए है ये जगह!

कपल, छोटे परिवार जो प्रकृति के करीब समय बिताना चाहते हैं, जिन्हें बिल्लियों और कुत्तों से डर नहीं लगता है, और अपने कमरों तक पहुँचने के लिए थोड़ी चढ़ाई भी कर सकते हैं।

जगह के बारे में जानकारी

श्रेय: हिमानी खत्रेजा

Photo of राजू भारती के गेस्ट हाउस, teh, Banjar, Himachal Pradesh, India by Rupesh Kumar Jha

श्रेय: हिमानी खत्रेजा

Photo of राजू भारती के गेस्ट हाउस, teh, Banjar, Himachal Pradesh, India by Rupesh Kumar Jha

राजू भारती'ज़ गेस्ट हाउस के बारे में बताने वाले फ्रेंड ने ये भी कह दिया था कि ये अमूमन बुक्ड ही रहता है। वहीं, राजू के बेटे करन ने भी फोन पर इस बात की पुष्टि कर दी। हालांकि मैंने गुशैनी में उनके घर से तीर्थन घाटी देखने की प्लानिंग कर डाली थी। सौभाग्य से जुलाई की शुरुआत में एक कमरा दो दिनों के खाली मिला। लिहाज़ा मैंने मौका हाथ से जाने नहीं दिया और बारिश के दौरान भी लॉन्ग वीकेंड पर छुट्टी मनाने निकल पड़ा!

दो हफ्ते बाद, एक लोकल बस से गेस्ट हाउस के पास पहुँचा जो कि छोटे शहर गुशैनी से दो मिनट की दूरी पर था। करीब पहुँचकर घने पेड़ों के बीच ओझल गेस्ट हाउस देखा जा सकता था। मुझे पता चल गया कि ये यात्रा किसी एडवेंचर से कम नहीं होने वाली।

गेस्ट हाउस तीर्थन नदी के ठीक सामने है, और जिस रास्ते से आप जाते हैं वो एक चरखी पुल है। यह महज 10 सेकंड के लिए ही पड़ता है जिसे आप आने-जाने के लिए बार-बार इस्तेमाल करते हैं। मैंने कई बार इस चरखी के पुल को पार किया और जो नज़ारा दिखा वो बेहद दिलचस्प था। कॉटेज सेब, चेरी, खुबानी, बादाम और बेर के पेड़ों से भरे एक बाग से घिरा हुआ था। बता दें कि बाग में ज्यादातर पेड़ फलों से लदे हुए थे!

राजू के छोटे बेटे वरुण की भी तारीफ करनी पड़ेगी। उसने मुझे चमचमाते लाल रोडोडेंड्रोन का जूस दिया। गेस्ट हाउस हर तरह की हरियाली से घिरा हुआ था। कॉटेज के लकड़ी से बनी दीवारों पर लताएँ अपना रास्ता बना रही थीं। चारों ओर बगीचे में हर रंग और किस्म के फूल थे। मैं जूस पीते हुए घाटी के बीच में इस छोटे से स्वर्ग को निहारता रहा। इसी बीच एक काले रंग का कुत्ता कहीं से बाहर आया और अपनी ठुड्डी को मेरी गोद में रख दिया। अलग-अलग नस्लों के तीन अन्य कुत्ते भी देखने को मिले। चार कुत्तों के अलावा गेस्टहाउस में चार आकर्षक बिल्लियाँ भी मौजूद थीं। फलों, पेड़ों, बिल्लियों और कुत्तों के साथ हमने सहज और खुशनुमा पल बिताया।

गेस्ट हाउस के कमरे

श्रेय: हिमानी खत्रेजा

Photo of सिर्फ ₹1500 में तीर्थन नदी किनारे बने इस सुंदर कॉटेज में बिता सकते हैं सुकून के पल! by Rupesh Kumar Jha

श्रेय: हिमानी खत्रेजा

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श्रेय: हिमानी खत्रेजा

Photo of सिर्फ ₹1500 में तीर्थन नदी किनारे बने इस सुंदर कॉटेज में बिता सकते हैं सुकून के पल! by Rupesh Kumar Jha

श्रेय: हिमानी खत्रेजा

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कमरों की बात करें तो कॉटेज में आठ बड़े-बड़े कमरे हैं। चार मेन कॉटेज में स्थित हैं, जबकि चार एक दूसरी कॉटेज में हैं, जो कि मेन कॉटेज से दो मिनट की पैदल दूरी पर स्थित है। मेरा कमरा इस झोपड़ी में था, और हम दोनों पति-पत्नी के लिए दो सिंगल बेड और एक डबल बेड था। हमारे रहने की जगह से तीर्थन नदी और मेन कॉटेज दिखता था। हमने बाहर खुली बालकनी का इस्तेमाल धूम्रपान करने, पढ़ने और मेरे ताज़ी हवा को महसूस करने के लिए किया।

गेस्ट हाउस में खाना-पीना

श्रेय: हिमानी खत्रेजा

Photo of सिर्फ ₹1500 में तीर्थन नदी किनारे बने इस सुंदर कॉटेज में बिता सकते हैं सुकून के पल! by Rupesh Kumar Jha

श्रेय: हिमानी खत्रेजा

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मैंने राजू के खाने के बारे में बहुत सुना था और मुझे यह पसंद आया, मैंने वास्तव में इसे एन्जॉय किया। लेकिन मुझे ये हद पार बेहतरीन नहीं लगा, शायद इसलिए कि इंडियन खाना मेरा पसंदीदा व्यंजन नहीं है और राजू के यहाँ इंडियन ही परोसा जाता है। लेकिन इतना कह सकता हूँ कि खाने में आपको बहुत विविधता मिलेगी।

नाश्ते में परांठे, अंडे, टोस्ट, घर का बना जाम, ताजा खुबानी, सेब या रोडोडेंड्रोन का जूस और चाय या कॉफी भी एक विकल्प के रूप में था।

दोपहर का भोजन सब्जियों से भरपूर था जिनमें पनीर, चिकन या मटन, सलाद, अचार, पापड़, चावल और रोटी थी।

शाम को ताज़गी से भरी चाय और कॉफी लेकर हम पेड़ों से फल तोड़ने और उसे खाने के लिए भी घूमते रहे।

डिनर में दोपहर के भोजन की तरह ही कई आइटम के अलावा तली हुई ट्राउट मछली और मिठाई उपलब्ध थी। हमने वहाँ बिताए दो रातों में मीठी सेवइयाँ और फ्रूट कस्टर्ड लिया।

रहने का खर्च

गेस्टहाउस में समय बिताने का शुल्क ₹1400 से लेकर ₹1700 प्रति व्यक्ति है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि आप शाकाहारी या मांसाहारी भोजन का विकल्प चुनते हैं। इसमें रहना, नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना शामिल है।

ऐसे करें बुक

गेस्टहाउस ऑनलाइन मौजूद नहीं है, इसलिए बुक करने के लिए आपको उन्हें कॉल करना होगा। नंबर ये रहे: 9459833124, 9625211848

जाने का बेहतरीन समय

मौसम के लिहाज़ से तीर्थन घाटी घूमने के लिए अप्रैल से अक्टूबर का समय चुनना चाहिए। जून से लेकर मध्य अगस्त तक मॉनसून के महीनों में घाटी की यात्रा से बचना चाहिए, क्योंकि यहाँ भूस्खलन और बाढ़ की समस्या आम है।

गेस्टहाउस के आसपास क्या कुछ है ख़ास!

गुशैनी और आसपास के इलाके में बहुत कुछ एक्सप्लोर किया जा सकता है। नीचे उनकी लिस्ट देख सकते हैं:

सफर और ट्रेक

श्रेय: हिमानी खत्रेजा

Photo of Chhoie Waterfall Tirthan Valley, Unnamed Road, Tindar, Himachal Pradesh, India by Rupesh Kumar Jha

तीर्थन नदी के साथ-साथ एक सड़क चलती है जो आपको गुशैनी से लगभग 3 कि.मी. दूर स्थित गहिधर गाँव तक ले जाती है। इस रास्ते से आगे बढ़ते हुए गाँव से गुरजते हैं तो 45 मिनट बाद आप एक जादुई वॉटरफॉल देखकर ठिठक जाते हैं। जंगल में छिपे इस 120 फीट ऊँची छोई फॉल के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, इसलिए आप वहाँ शांति से नज़ारे का आनंद ले सकते हैं। अपने स्विमिंग गियर को साथ ले जाना ना भूलें, ताकि आप साफ पानी में डुबकी लगा सकें।

श्रेय: हिमानी खत्रेजा

Photo of ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, Forest Office Road, Shamshi, Himachal Pradesh, India by Rupesh Kumar Jha

यदि आप लंबी पैदल यात्रा के लिए मूड में हैं, तो ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के गेट तक 8 कि.मी. की पैदल दूरी पर लुभावनी खूबसूरती है। ये रास्ता जंगल के बाहरी इलाके से होकर जाता है जो कि ऊँचे पेड़ों, हरी पत्तियों और रंग-बिरंगे तितलियों से भरा रहता है। जैसे ही आप गेट की तरफ बढ़ते हैं, आपको रास्ते में दो गाँवों में रहने वाले स्थानीय लोगों के मुस्कुराते हुए चेहरे का अभिवादन देखने को मिलेगा। इस रास्ते में सबसे अच्छा स्थान झरना ही है, जो गेट से सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर है।

माउंटेन बाइकिंग

अपने दिल के रोमांच और पैरों को काम पर लगाएँ, क्योंकि आप बाइक पर तीर्थन घाटी एक्सप्लोर कर सकते हैं। आपकी रुचि और फिटनेस स्तर के आधार पर, आप आधे दिन या पूरे दिन घूमने निकल सकते हैं। गेस्ट हाउस से किराए पर बाइक ले सकते हैं जिसका शुल्क ₹300 से शुरू होता है। वहीं और ₹300 में आप एक गाइड को साथ ले सकते हैं।

मछली पकड़ा्

यदि आप मार्च और अक्टूबर के बीच तीर्थन घाटी में हैं, तो मछली पकड़ने के काम को ज़रूर आजमाएँ। तीर्थन नदी ट्राउट मछली से भरी है, और यदि आप एक या दो मछली पकड़ने में सफल हो जाते हैं तो रात के खाने का इंतजाम हो जाता है। राजू ने ₹800 किराए पर मछली पकड़ने के लिए एक पोल लगाया है, जिसमें एक मछली पकड़ने का लाइसेंस और कुछ बेसिक जानकारी भी शामिल है।

कैसे पहुँचें

दिल्ली इस गेस्टहाउस का सबसे निकटतम मेट्रो शहर है जो कि लगभग 495 कि.मी. दूर है।

बस द्वारा: हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (HRTC) या निजी बस से ऑट तक पहुँचें। वहाँ से आप या तो लगभग ₹1,000 में गेस्टहाउस के लिए डायरेक्ट टैक्सी ले सकते हैं, या लोकल बस से ₹35 में बंजार तक, और फिर ₹15 में गुशैनी तक एक और बस ले सकते हैं। दिल्ली से पूरी यात्रा में लगभग 14 से 15 घंटे का समय लगता है।

फ्लाइट द्वारा: दिल्ली से भुंतर हवाई अड्डे तक उड़ान भरें। वहाँ से गुशैनी के लिए एक टैक्सी लें।

क्या आप तीर्थन घाटी गए हैं? यदि नहीं, तो तीर्थन घाटी के इस विशेष टूर पैकेज को बुक करने का ये एकदम सही समय है।

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