
जब भी हम राजस्थान की बात करते है तो हमें याद आता है, रेत के टीले, रेगिस्तान और महल । पर राजस्थान में ऐसी बहुत सी जगह है जहाँ हमारी सोच से भी ज्यादा हरियाली है और उनमें से एक अनछुई जगह का नाम है रावतभाटा । वैसे तो रावतभाटा का नाम आपने इसके परमाणु संयंत्र की वजह से सुन रखा होगा पर ऐसे बहुत से कारण है जिनकी वजह से रावतभाटा को जाना जाना चाहिए ।
रावतभाटा, जिसे अगर आप बारिश में देख लो तो आप सिर्फ एक ही चीज़ बोलेंगे और वो है जन्नत। रावतभाटा को चारों तरफ से घने जंगलों, नदियों, पहाड़ों और वन्य जीव अभयारण्यों ने घेर रखा है । यहाँ पर प्रकृति के शानदार नज़ारे भी है और बेहद खूबसूरत झरने भी और जिस जगह पर कुदरत की इतनी देन हो वहाँ पर वाइल्डलाइफ ना फले-फुले ऐसा तो हो ही नहीं सकता है, यहाँ पर पक्षियों की 100 से भी ज्यादा प्रजातियाँ तो मिलती ही है साथ ही यह कई वन्य जीवों का घर भी है और यहाँ पर एक दुर्लभ जीव भी रहता है पर उसके लिए आपको आर्टिकल पूरा पड़ना पड़ेगा । तो इससे ही आप अंदाज़ा लगा सकते है यह जगह कितनी खूबसूरत होगी । तो चलिये आपको इस आर्टिकल के जरिये पूरा रावतभाटा घूमा देते है ।
कब जाएँ ?

वैसे तो रावतभाटा आप कभी भी जाएँ, आपको निराशा नहीं होगी, पर आप रावतभाटा को इसके बेस्ट वर्ज़न में देखना चाहते है तो आपको यहाँ सितंबर से फरवरी के बीच में जाना चाहिए, जब यहाँ पर सभी झरने भी चलते रहते है और रावतभाटा ने मानो हरियाली की चादर ओड़ रखी होती है ।
रावतभाटा कैसे पहुँचे ?
हवाई यात्रा- रावतभाटा का सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट जयपुर में है, जयपुर एयरपोर्ट पूरे देश के बड़े हवाई अड्डों से जुड़ा हुआ है । तो आप फ्लाइट से जयपुर उतरें और वहाँ से आप राजस्थान परिवहन की बसों से या फिर प्राइवेट टैक्सी से रावतभाटा पहुँच सकते है । जयपुर से रावतभाटा 296 कि.मी. की दूरी पर है ।
रेल यात्रा- वैसे तो रावतभाटा में कोई रेल्वे स्टेशन नहीं है, यहाँ का सबसे नज़दीकी रेल्वे स्टेशन या तो कोटा जंक्शन है या जयपुर जंक्शन है । जयपुर और कोटा से रावतभाटा की दूरी क्रमश: 296 और 55 कि.मी. है । आप अगर मध्यप्रदेश की तरफ से आ रहे है तो तो आपके लिए कोटा सबसे सही रहेगा ।
सड़क यात्रा- रावतभाटा का अपना एक बस स्टैंड है, आप पूरे देश मे कहीं से भी कोटा पहुँच सकते है और वहाँ से रावतभाटा तक हर एक घंटे में बस निकलती है । कोटा से रावतभाटा सिर्फ 55 कि.मी. ही है तो आप चाहे तो प्राइवेट टैक्सी भी कर सकते हैं। यकीन मानिए कोटा से रावतभाटा का रास्ता इतना सुंदर और घुमावदार है कि आपको किसी हिल स्टेशन कि याद आ जाएगी ।
रावतभाटा में कहाँ घूमें?
आपको चाहे इतिहास में रुचि हो या वाइल्डलाइफ में, आपको झरने देखने में मज़ा आता हो या ट्रेकिंग कर सुकून मिलता हो, आपको सनराइस देखने में मज़े आते हों या ढलते सूरज को देखकर किसी को याद करने का मन होता हो, रावतभाटा मे आपकी सारी मुरादे पूरी हो जाएँगी । चलिये जानते है यहाँ की शानदार जगहों के बारे में:
जैसे ही आप रावतभाटा मे एंट्री करने वाले होते है, बाड़ोली मंदिर आपका स्वागत करता है । अगर आपको इतिहास और आर्किटेक्चर में रुचि है तो यकीन मानिए यह जगह आपको कभी भी निराश नहीं करेगी । यह मंदिर 10-11वीं शताब्दी में बनाया गया था और राजस्थान के सबसे पुराने मंदिरो में से एक माना जाता है। ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इस मंदिर समूह में कुल 9 मंदिर है । यहाँ पर कई खजूरों के पेड़ के साथ साथ एक पुरानी बावड़ी भी है जिसमें हर समय पानी भरा रहता है ।
राणा प्रताप सागर से गिरता हुआ पानी जब चुलिया फॉल्स में गिरता है तो उसकी खूबसूरती देखते ही बनती है । चुलिया फॉल्स एक नहीं बल्कि कई झरनों का एक समहू है । यकीन मानिए ये पूरे रावतभाटा कि सबसे शानदार जगह है, और यह झरना राजस्थान के सबसे ऊँचे झरनों में से एक है। यहाँ पर बहुत बड़े पत्थरों की एक श्रृंखला है, जिसके बीच से पानी तेज़ी से बहता हुआ बेहद सुंदर दिखता है ।
रावतभाटा का यह शानदार झरना एक बहुत ही फेमस शानदार पिकनिक स्पॉट है, ऐसा शायद ही होता है कि मॉनसून के समय यहाँ पर लोग पिकनिक मनाने नहीं आते हों । यहाँ पर लोगों की गाड़ी एक पहाड़ के एंड तक जाती है और फिर वहाँ से पर्येटकों को नीचे कि तरफ बनी हुई सीढ़ियों से नीचे जाना होता है । नीचे ही महादेव का मंदिर है जो एक गुफा में स्थित है, गुफा इतनी छोटी है कि आपको अंत मे लगभग रेंगते हुए या घुटनों के बल चलकर जाना होता है और आखिर में आता है महादेव का स्थान । यहाँ पर मानसून में झरने को देखने के लिए बहुत दूर-दूर से लोग आते है, इस झरने की सबसे खास बात यह है कि इस झरने के चारो तरफ पहाड़, कराइयाँ और पेड़-पौधे है जो इसकी सुंदरता मे चार चाँद लगाते है ।
राणा प्रताप सागर बांध चंबल नदी पर बने कई बांधो में से एक है, इस डैम से निकलते ही पानी सबसे पहले चुलिया फाल्स तक पहुँचता है । डैम के साथ साथ डैम के ऊपर बनी हुई कॉलोनी और वहाँ पर बना चेतक का स्टैचू बहुत ही शानदार है, वहाँ से पूरा रावतभाटा दिखाई देता है । इस बांध की एक और अच्छी बात यह है कि इसके चारो ओर हरियाली ही हरियाली है तो यहाँ से बैठकर सनराइस या सनसेट देखना बहुत शानदार होता है ।
अगर आपको वाइल्डलाइफ और बर्डवाचिंग में रुचि है तो यह जगह आपके लिए स्वर्ग है । यहाँ पर एक रिलोकेशन सेंटर है जहाँ पर आपको कई तरह-तरह कि पक्षियों को देखने का मौका मिलेगा । मेन गेट से क्रोकोडाइल पॉइंट कि दूरी 3 कि.मी. है जिसके बीच में कई वॉटर बॉडी हैं जिसमें कई बार चीतल, पैंठर और भालू भी देखने को मिल जाते हैं। ट्रेक के अंत में एक वॉचटावर है जहाँ से आप क्रोकोडाइलस को धूप सेकते देख सकते हैं। यहाँ एक साथ 50-50 क्रोकोडाइल भी देखे गए हैं। यहाँ पर प्रति व्यक्ति टिकिट ₹55 है और बच्चों के लिए ₹20 है। प्रवेश करने के लिए आपको अपनी गवरमेंट आई.डी. दिखाना ज़रूरी है ।
सैड्डल डैम एक निष्क्रिय डैम है जिसके एक तरफ खाई है एक तरफ दूर-दूर तक पानी ही पानी है। इसका एक रास्ता पहाड़ से बंद है जिस पर ट्रेक करते हुए आप इंद्रागांधी वॉचटावर पर जा सकते है, इंद्रागांधी वॉचटावर रावतभाटा का सबसे ऊँचाई पर स्थित पॉइंट है । जिन्हें बाइक से ऑफ-रोडिंग करना पसंद है वो इसी पहाड़ के दूसरे रास्ते से होते हुए ऊपर जा सकते है और वॉचटॉवर तक जा सकते है ।
ब्रिज साइड या ओटर पॉइंट

रावतभाटा कि यह जगह बहुत सी जगहों का संगम है, यहाँ पर आपको बेहद सुंदर नज़ारे तो दिखेंगे ही, आपको यहाँ कुछ और भी चीज़ें देखने को मिलेंगी । आप यहाँ से कई छोटी-छोटी हाइक्स पर जा सकते है और यहाँ बसी हुई वलचर्स की कॉलोनी भी देख सकते है । और अगर आपकी किस्मत अच्छी है तो आपको यहाँ पर ओटर्स देखने को मिल जाएँगे जो बहुत ही दुर्लभ जीव है। ओटर्स को यहाँ की जलवायु और पानी बहुत रास आ रहा है और यहाँ हर साल कई बड़े-बड़े वाइल्डलाइफ एक्स्पर्ट्स, उन्हें पानी में अठखेलियाँ देखने और उनके बारे मे रिसर्च करने यहाँ आते है ।
कहाँ रुके ?
रावतभाटा में रुकने के लिए आपके पास ज्यादा ऑप्शन नहीं है तो अगर आपको रात को रुकना है तो आप कोटा में रुक सकते है क्योंकि कोटा और रावतभाटा कि दूरी सिर्फ 55 कि.मी. है। यहाँ पर आपको बहुत से विकल्प मिल जाएँगे ।
तो अब जब आपको रावतभाटा कि पूरी जानकारी मिल गयी है तो मॉनसून में यहाँ आने का प्लान बना लें क्योंकि ये राजस्थान है दोस्तों, यहाँ तो हर अगले कदम पर जाने क्या दिख जाए!
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